पुलिस पर F.I.R. दर्ज हो गयी मध्य प्रदेश
पहली बार थाने में पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और पीड़ित परिवार को न्याय मिला jbp-sadar-monte carlo vs police
जैसा बर्ताव पुलिस ने पीड़ित की दुकान पर किया था, उससे इन संभावनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस थानों में मामले दर्ज होने के पीछे वाकई में कभी कोई पीड़ित सही होता भी है या नहीं या दर्ज होने वाले प्रकरण कानून व्यवस्था बनाए रखने के आडंबर में खानापूर्ति वाले मामले पंजीबद्ध कर आम इंसान को पुलिस अपराधी बनाती है,
पूरे भारत देश में अभी तक ऐसे मामलों की गिनती शुरु भी नहीं हुई है, जिसमें पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया हो और आरोपी न्यायालय से दोषमुक्त हो गया हो, यह एक अहम कार्य जनहित में, लोक हित में होना अभी शेष है
पीड़ित दुकानदार की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता ने पक्ष रखा, तर्क वितर्क पर संतुष्ट होकर जबलपुर के न्यायाधीश श्री आशीष ताम्रकार द्वारा प्रकरण की संजीदगी को देखते हुए तत्काल प्रभाव से F.I.R. दर्ज करने के आदेश पारित कर दिए, जिसमें वर्तमान पुलिस अधीक्षक की कानून व्यवस्था बनाए रखने में नाकामयाबी का कैरियर / रिजल्ट भी प्रिंट हो गया,
ऐसे कई मामले हैं, जो पुलिस अधीक्षक कार्यालय में समाधान के लिए आवेदन स्वरुप लंबित हैं, कई गरीब लोग जो पुलिस की गिरफ्त में आराम से आ जाते हैं, जिनका जीवन अपने आप को साफ पाक साबित करने में अनावश्यक व्यतीत हो जाता है, क्योंकि न्यायालय में लंबित प्रकरणों में शासन की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी द्वारा गवाहों की सूची में दर्ज गवाही कराने में सालों गुजर जाते हैं,
और ऐसी स्थिति में अगर कोई दोषमुक्त भी हो जाता है तो उसका प्रकरण बनाने वाला जांच अधिकारी रिटायर हो चुका होता है
अपराध रोकने मैं खर्च हो रही धनराशि से अच्छा है न्याय व्यवस्था में न्याय की आशा रखने वालों को समय पर उचित न्याय मिले और किसी भी आम आदमी और कमजोर वर्ग के व्यक्ति के विरुद्ध कोई एक पक्षीय सृजित कार्यवाही युक्त FIR ना हो, जिसमे कार्यपलिकाए समाज में अपने आप में कानून व्यवस्था पर भरोसा बनाने में नया आयाम हासिल कर सकेगी, भरोसा कायम कर सकेंगी
न्यायालय द्वारा पारित आदेश में दर्ज की गई FIR में आरक्षक राजेश दत्त, आरक्षक सतीश तिवारी, भगवानदास, हरिहर सिंह, कृष्ण कांत साहू, एकता साहू, शिवम गुप्ता और पुनीत दुबे को आरोपी बनाया गया है, इनके द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले कर्मचारियों को भी गाली गलौच की जाकर अभद्र व्यवहार किया गया था, जिसके तहत एससी एसटी एक्ट की कार्यवाही की गई है, साथ ही इन पुलिसकर्मियों द्वारा पीड़ित दुकानदार के घर जाकर महिलाओं से छेड़खानी की गई थी जोकि अपने आप में शर्मनीय है जिसके तहत इन सभी आरोपी पुलिस वालों के विरुद्ध धारा 354 भारतीय दंड विधान के तहत प्रकरण में कार्यवाही की गई है, आरोपियों के घटने बढ़ने की सम्भावना भी है,
संज्ञेय अपराधो पर भादवि के तहत FIR दर्ज होते ही आरोपी पुलिस कर्मचारियों के विरुद्ध तत्काल प्रभाव से पुलिस अधीक्षक जबलपुर द्वारा अनुशास्त्मक कार्यवाही तथा निलंबन की कार्यवाही की अपेक्षा न्याय व्यवस्था पर भरोसा कायम रखने हेतु जनता की ओर से अपेक्षित है,
यह वही पल है जो है एहसास दिलाता है कि आम आदमी को आज भी भरोसा है तो केवल न्यायालय पर जहां पर वह अपना पक्ष रख सकता है अपनी पीड़ा सुना सकता है कार्यपालिकाओं पर आज भरोसा करना आम आदमी के लिए महंगा साबित हो रहा है, जिस पर एक जबलपुर के न्यायाधीश श्री आशीष ताम्रकार द्वारा इस जख्म पर विश्वास का मरहम लगाते हुए आम आदमी को न्यायपालिकाओं पर भरोसा कायम रहने की मजबूती प्रदान की.
पूर्व में प्रदर्शित खबर एवं विडिओ
http://www.newsvisionindia.tv/2018/02/fir-against-police.html
संपादक जितेन्द्र मखीजा
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