होटल सिटी इन् को नोटिस जारी किया उपभोक्ता फोरम में
जीएसटी आने के बाद होटल संचालकों ने अपनी ऊपरी कमाई का नया जरिया एक तैयार किया है जिसमें कंपनी द्वारा अधिकतम मूल्य निर्धारित किए जा चुके प्रोडक्ट पर भी उसका रेट बढ़ाकर फिर उस पर जीएसटी लगाकर बिल जारी किए जा रहे हैं जो पूर्णता अवैध है जिसका नियम कानून से कोई सरोकार नहीं है
लगभग सभी रेस्टोरेंटों पर इस तरह की कार्य प्रणाली लागू है जो अपने ग्राहकों इस तरह की अवैध वसूली का साधन मनमाने नियम बनाकर किए जा रहे हैं, जिस पर सवाल पूछे जाने पर ग्राहकों के साथ कैमरे की निगरानी में अभद्रता की जाती है, साथ ही उनसे पूरा बिल अवैध रूप से वसूला जाता है, अब कोई ग्राहक किसी अन्य शहर से आया हो तो वह इस विषय में शिकायत कैसे दायर करें बड़ी विडंबना हो जाती है
फिलहाल शहर के एक प्रतिष्ठित नागरिक जो कुछ दिन पूर्व होटल सिटी इन् सिटी हॉस्पिटल के सामने रात्रि भोजन पर अपने प्रिय रिश्तेदारों के साथ गए हुए थे, जहां पर भोजनोपरांत होटल मैनेजर द्वारा प्रस्तुत किए गए बिल में पानी की बोतल पर अंकित अधिकतम विक्रय राशि से बढ़ाकर बिल में लिखी गई, ₹35 प्रत्येक पानी बोतल पर पृथक रूप से जीएसटी लगाया जा कर बिल प्रस्तुत किया गया, जिस पर ग्राहक द्वारा इस विषय में विरोध प्रकट किया गया,
इस पूरे घटनाक्रम में मेहमानों के साथ गए ग्राहक को शांतिपूर्वक वहां से घर जाने से बेहतर कुछ नहीं सूझा, और उन्होंने कानूनन रास्ता इख्तियार करते हुए उपरोक्त प्रकरण जबलपुर स्थित उपभोक्ता फोरम में प्रस्तुत किया जहां पर सुनवाई करते हुए श्रीमान न्यायधीश महोदय द्वारा इस संबंध में जवाब प्रस्तुत करने हेतु होटल सिटी इन् संचालक को नोटिस जारी किया है, अगले माह 30 दिवस के भीतर उन्हें इस संबंध में लिखित रूप में अपना जवाब प्रस्तुत करना है
होटल संचालकों के द्वारा लगातार की जा रही मनमानी पर अंकुश करने के लिए यह प्रकरण एक मुहिम साबित हो रहा है जिस पर पारित होने वाले आदेश जनहित में होने की प्रबल संभावनाएं हैं इस प्रकरण में आवेदक की ओर से नवयुवक अधिवक्ता ललित कोटवानी ने सक्रियता के साथ तार्किक पक्ष रखा. जिससे संतुष्ट हो कर न्यायलय ने अनावेदक होटल सिटी इन को नोटिस जरी कर जवाब तलब किया
इस विषय में अंधे बहरे बने जीएसटी अधिकारी कोई प्रकार की कार्यवाही नहीं करते हैं जबकि वह वहां पर रोज आए दिन लंच या डिनर करते हुए दिखाई देते हैं, परंतु उनकी नजर आज तक इस तरह के प्रकरण पर नहीं गई है क्योंकि रसूखदारी के चलते उन्हें कभी बिल देने की आवश्यकता ही नहीं आन पड़ी है, एक रसूखदार अधिकारी वाणिज्य कर विभाग के उपायुक्त नारायण मिश्र भी हैं जिनका खाना सुबह शाम रसल चौक स्थित एक प्रतिष्ठित होटल से जाता है अगर उन्होंने कभी बिल भरा हो तो उन्हें इस संबंध में जानकारी होती और वह कार्यवाही कर चुके होते.
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