तमिलनाडु सरकार सुप्रीमकोर्ट के SC ST Act के आदेश के खिलाफ़ अपील करेगी पर कुछ राज्यों ने इस आदेश को लागु कर दिया और किसी ने लागु कर के रोक दिया.
अनुसूचित जाति-जनजाति एक्ट के तहत आरोपों की जांच
किए बिना तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश को
छत्तीसगढ़, मध्य
प्रदेश और राजस्थान के पुलिस महानिदेशकों द्वारा लागू करने से तीनों राज्य सरकारें
दुविधा में हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने तो पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश
को स्थगित कर दिया है और मध्य प्रदेश सरकार अभी तक तय नहीं कर पाई है कि पुलिस
विभाग द्वारा पैदा किए गए इस संकट से कैसे निकला जाए। राजस्थान की मुख्यमंत्री का
कहना है कि राज्य की पुलिस द्वारा उठाए गए ऐसे किसी कदम की उन्हें जानकारी नहीं
है।
सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के आलोक में छत्तीसगढ़
पुलिस मुख्यालय ने छह अप्रैल को सर्कुलर जारी कर दिया कि इस एक्ट के तहत लगाए गए
आरोप में किसी को भी जांच किए बिना गिरफ्तार ना किया जाए। साथ ही गिरफ्तारी के लिए
एसएसपी स्तर के अधिकारी की अनुमति आवश्यक बतायी गयी।
राज्य सरकार को जब इस बात की जानकारी हुई तो
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश को स्थगित कर दिया। रमन
सिंह ने घोषणा की कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
करेगी। मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और
जनजाति वर्ग के सम्मान की रक्षा के प्रति जवाबदेह है।
मप्र सरकार अनिर्णय की स्थिति में
मंगलवार को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पुलिस मुख्यालय से
जारी परिपत्र को स्थगित करने की खबरों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से
लेकर गृृह मंत्री भूपेंद्र सिंह सलाह मशविरा में जुटे रहे। गृृह मंत्री भूपेंद्र
सिंह ने तो छत्तीसगढ़ सरकार की तरह यहां भी पीएचक्यू के सर्कुलर को वापस लेने के
लिए मीडिया को बुला लिया था। मीडिया के आने के बाद गृृह मंत्री ने डीजीपी शुक्ला
को बुलाया और फिर मंत्रणा का दौर चला।
सूत्रों ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने गृृह
मंत्री के सामने यह तथ्य रखा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कानून का ही रूप ले लेता
है। कई स्तर पर बैठकों का दौर चला, लेकिन देर शाम तक कोई फैसला नहीं
हो सका।
परिपत्र अभी वापस नहीं लिया
एडीजी अजाक प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने बताया कि
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएचक्यू ने जो परिपत्र जारी किया था, उसे
वापस नहीं लिया है। वहीं आईजी इंटेलीजेंस मकरंद देउस्कर का कहना है कि परिपत्र सभी
एसपी को जारी कर दिया गया है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक कार्रवाई
करने को कहा गया है।
राजस्थान में आदेश जारी, राजे
बोलीं- 'पता
नहीं'-
राजस्थान में पुलिस अधिकारियों ने इस बारे में
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दो दिन बाद ही निर्देश जारी कर दिए थे। यह मामला एक
पखवाड़ा बाद जब मंगलवार को सामने आया तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा-
"पुलिस विभाग ने मेरी जानकारी के बिना ही यह आदेश जारी किया है। हम इस आदेश
का समर्थन नहीं करते। मैंने गृृहमंत्री और पुलिस विभाग को स्पष्टीकरण जारी करने को
कहा है ताकि कोई भ्रम न रहे।"
अनुसूचित जाति-जनजाति एक्ट के प्रावधानों में बदलाव
को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए फैसले के बाद केंद्र व राज्य सरकारें रिव्यू
याचिका की बात कर रही है। राजस्थान में भी सरकार इस रिव्यू याचिका के पक्ष में है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को फैसला दिया था और राजस्थान में 23 मार्च
को ही राजस्थान पुलिस की ओर से एडीजी नागरिक अधिकार एमएल लाठर ने इस बारे में आदेश
जारी कर दिया था।
तीनों ही राज्यों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग
की आबादी कुछ इलाकों में ज्यादा है। तीनों ही राज्यों में इस वर्ष नवंबर- दिसंबर
में विधानसभा चुनाव हैं।
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