14 साल के नाबालिग के परिवार का आरोप था कि पुलिस
ने मुफ़्त सब्ज़ी न देने के चलते उनके बेटे को झूठे मामले में गिरफ़्तार किया था.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मामले की जांच के आदेश के बाद हुई पुलिस जांच में
सामने आया कि एफआईआर में थीं गड़बड़ियां. पुलिस के नाबालिग पर लगाए आरोपों का कोई
प्रमाण नहीं.
पटना: मुफ्त में सब्जी न देने पर किशोर को जेल
भेजे जाने के मामले में जांच के बाद दो थानों के प्रमुखों सहित 12
पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही एक अपर पुलिस अधीक्षक स्तर
के अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
मालूम हो कि 14 साल के कमल (बदला हुआ नाम)
के पिता ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे को पुलिस वालों को मुफ्त में सब्जी न देने
के चलते गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है. उन्होंने कहा कि वे और उनका बेटा कांति
फैक्ट्री रोड स्थित महात्मा गांधी नगर में सब्जी की दुकान लगाते हैं और कमल के
पुलिस को मुफ्त सब्जी देने से इनकार के बाद उसे झूठे मामले में फंसाकर जेल में डाल
दिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुतबिक लड़के के पिता ने
आरोप लगाया था कि उनके नाबालिग बेटे को पुलिस उनके घर से उठा ले गई और बाइक चोरी
का इल्जाम लगाकर जेल में भेजा गया, साथ ही पुलिस ने अपनी रिपोर्ट
में उसे बालिग बताया.
यह घटना मार्च की है, लेकिन
मामले में एक समाचार चैनल द्वारा कमल के पिता से बातचीत के बाद बीते हफ्ते इस
मामले ने तूल पकड़ा, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की
जांच का आदेश दिया था.
इस मामले की जांच के बाद पटना क्षेत्र के पुलिस
महानिरीक्षक नैय्यर हसनैन खान ने बताया कि कमल की गिरफ्तारी उस जगह से नहीं हुई
जहां पुलिस द्वारा बताई गयी थी.
हसनैन खान ने बताया कि जांच के क्रम में यह भी
पाया गया कि कमल की गिरफ्तारी के समय उसके पास कोई सामग्री बरामद नहीं की गयी, जैसा
पुलिस ने कहा था. साथ ही इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में कई अनियमितताएं पाई गयी
हैं.
बता दें कि पुलिस की ओर से कहा गया था कि बाईपास
थाना क्षेत्र में डकैती की योजना बनाते पांच लड़कों में तीन को गिरफ्तार किया गया
था और दो फरार हो गए थे. गिरफ्तार लड़कों के पास से चार मोटरसाइकिल बरामद हुईं.
पुलिस ने यह भी कहा था कि उनके पास से एक देसी बंदूक, कुछ
कारतूस और रुपये भी मिले थे.
हालांकि हसनैन खान ने यह भी कहा कि मुफ्त में
सब्जी न देने पर कमल को जेल भेजे जाने के आरोप के भी कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं.
हसनैन ने बताया कि प्राथमिकी में अनियमितताओं के
मद्देनजर अगमकुआं के थाना अध्यक्ष कामाख्या सिंह को निलंबित कर दिया गया है और
उनका मुख्यालय सहरसा के पुलिस उपमहानिरीक्षक मुख्यालय कर दिया गया है तथा बाईपास
थाना अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह को निलंबित करते हुए उनका मुख्यालय बेतिया कर
दिया गया है.
उन्होंने बताया कि उक्त समय अगमकुआं थाना के
प्रभारी अध्यक्ष मुन्ना कुमार वर्मा को भी निलंबित कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त
अगमकुआं थाना के चार अन्य अवर निरीक्षक एवं दो आरक्षी तथा बाईपास थाना के तीन
आरक्षी तथा एक अन्य अवर निरीक्षक को भी निलंबित कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि अगमकुआं थाने की छवि ठीक नहीं
होने के मद्देनजर उक्त थाने के सभी पुलिसकर्मियों को पुलिस लाइन बुला लिया गया है
तथा वहां नए सिरे से पदस्थापन किया जा रहा है.
हसनैन ने बताया कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी
में पायी गयी अनियमितताओं को देखते हुए पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को फिर से
जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.
उन्हें निर्देश दिया गया है कि वह गंभीर मामलों
पर स्वयं नजर रखें और अपने अधीनस्थों पर नियंत्रण रखें. हसनैन ने बताया कि प्रभारी
पटना सिटी अनुमंडल अधिकारी हरिमोहन शुक्ला को इस मामले में दोषी पाया गया है तथा
उनके निलंबन एवं विभागीय कार्रवाई के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
वहीं दूसरी ओर पटना के बेउर जेल में बंद कमल को
रिमांड होम भेजने के लिए कार्यवाही की जा रही है. साथ ही उसकी सही उम्र का पता
लगाने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है.
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