परिषदीय विद्यालय मे इस्लामिया शब्द जोडने तथा शासन द्वारा अपनी ही कार्य शैली पर? - News Vision India

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परिषदीय विद्यालय मे इस्लामिया शब्द जोडने तथा शासन द्वारा अपनी ही कार्य शैली पर?

Govt School Name Changed Uttar Pradesh

लखनऊ से स्टेट हेड न्यूज विजन भानू मिश्रा उत्तर प्रदेश की कलम से परिषदीय विद्यालय मे इस्लामिया शब्द जोडकर किसी धार्मिक समुदाय का वर्चस्व समाप्त करने के षडयन्त्र विशेष रिपोर्ट

सरकारी परिषदीय विद्यालयों के इस्लामिया बनाने के सनसनीखेज खुलासे पर विशेष

साथियों नमस्कार,

प्रदेश में शिक्षा विभाग और सरकार दोनों कितना सजग हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों को एक सोची समझी रणनीति के तहत वर्षों पहले से इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय का स्वरूप देने के प्रक्रिया शुरू हो गई लेकिन उन्हें इसका पता ही नही चल सका। परिषदीय विद्यालय अकेले मास्टर या किसी व्यक्ति अथवा धर्म जाति सम्प्रदाय के बाप की बपौती नहीं बल्कि सरकारी संस्था होते हैं।

इनका नामकरण संचालन पठन पाठन सरकार की निर्धारित प्रक्रिया के तहत होता है और इन सरकारी विद्यालयों के नाम के हिन्दू या इस्लामिया नाम नही जोड़ा जा सकता है। ऐसा करना एक संवैधानिक अपराधिक कृत्य है इसके बावजूद एक दो जिले नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के विभिन्न जिलों में सरकारी परिषदीय विद्यालयों के नाम के आगे इस्लामिया शब्द जोड़कर चलाये जा रहे हैं तथा वहाँ पर शुक्रवार को पढ़ाई की जगह छुट्टी एवं रविवार को अवकाश के दिन पढ़ाई होती है। ताज्जुब इस बात का है कि इन इस्लामिक प्राथमिक विद्यालय चोरी छिपे नहीं बल्कि डंके की चोट पर साल दो साल से नही अपितु दशकों से चल रहे हैं। इसका भंडाफोड़ गत दिनों एक प्रमुख समाचार पत्र द्वारा किया गया है और सरकार ने जांच के निर्देश भी दिये हैं। सवाल इस बात का है कि क्या कभी इन विद्यालयों का दौरा या निरीक्षण कभी किसी जिम्मेदार अधिकारियों ने नहीं किया? अगर किया तो क्या उन्हें निरीक्षण के दौरान सबसे ऊपर सबसे आगे मोटे मोटे अक्षरों में लिखा स्कूल के नाम वाला बोर्ड नहीं दिया? अगर पढ़ा तो फिर इसको नजरदांज क्यों किया गया?

एक दो विद्यालयों एवं एक दो जिले की बात नहीं है इसमे बाराबंकी फैजाबाद श्रावस्ती सुल्तानपुर गोरखपुर देवरिया जैसे तमाम जिले शामिल हैं। सरकारी परिषदीय विद्यालयों को इस्लामिक कलेवर देने के पीछे क्या मंशा है इसका पता तो जाँच के बाद ही चल पायेगा लेकिन इतना जरूर है कि सरकारी स्कूलों का मनमाने ढंग से धार्मिकीकरण करके संचालित करना किसी भी तरह से उचित नहीं कहा जा सकता है। यह घटनाएं जनमानस को हैरतअंगेज करने वाली ही नहीं है बल्कि सरकार के लिये खुली चुनौती है। इसे भूल या चूक नहीं माना जा सकता है क्योंकि यह एक स्कूल या एक जिले की बात नहीं है।

प्रकाश में आये विभिन्न जिलों के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का कलेवर मनमाने ढंग से किसके आदेश से बदला गया है इसका पर्दाफाश तो उच्च स्तरीय जांच के बाद ही हो सकता है। यह तो तय है कि ऐसी हरकत एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया है लेकिन इसके पीछे कौन लोग शामिल हैं इसका पता लगाना सरकार का दायित्व बनता है। मोदी योगी और भाजपा के शासनकाल में ऐसी घिनौनी हरकत करने की जुर्रत कैसे हुयी इसकी भी जाँच जरूरी हो गई है। प्रारंभिक संकेतों से पता लगता है कि यह सनसनीखेज हरकत एक सुनियोजित ढंग से जानबूझकर की गयी है। यह भी तय है कि ऐसी हरकत भाजपा सरकार कार्यकाल में नहीं बल्कि इसके पहले से हो रही है और इस बदलाव को सभी जानतें हुये अनजान बन रहे हैं।

सरकारी अधिकारी कर्मचारी किसी धर्म सम्प्रदाय के नहीं बल्कि वह सरकारी व्यवस्था से बंध धर्मनिरपेक्ष होते हैं इसलिए सरकारी संस्थान की गरिमा को बनाये रखने की नैतिक जिम्मेदारी उनकी होती है। इन इस्लामिया प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने वाले प्रधानाचार्य एवं शिक्षक सबसे पहले दोषी हैं क्योंकि वह रोजाना आठ घंटे विद्यालय में रहते हैं। इसके बाद जिस ग्राम पंचायत में विद्यालय चल रहा है वहाँ के ग्राम प्रधानों के साथ ही खंडशिक्षाधिकारी उपजिलाधिकारी तहसीलदार सभी दोषी हैं क्योंकि इन लोगों के रहते विद्यालयों का स्वरूप बदला गया लेकिन कभी उन्होंने इस पर एतराज नहीं किया और न ही कभी इसकी जानकारी ही दी गई है।

धार्मिक शिक्षा संस्थानों में होने वाली अनुचित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का पर्दाफाश समय समय पर होता रहता है लेकिन सरकारी स्कूलों में फैल रही अराजकता एवं मनमानी कार्य प्रणाली पहली बार उजागर हुयी है। इसकी जड़ें कहाँ तक फैली हुई है इसकी व्यापक जाँच होना राष्ट्रहित में अतिआवश्यक है। बेहतर तो यह होगा कि राज्य सरकार इस मामलों को गंभीरता से लेकर ईमानदारी के साथ इसकी जाँच किसानों स्वतंत्र जाँच एजेंसी से कराकर साजिश को बेनकाब कर कठोर से कठोर कार्यवाही करें ताकि भविष्य में ऐसी हरकत करने की किसी को जल्दी हिम्मत न पड़ सके। ऐसी दुस्साहसिक घिनौनी हरकत के साथ किसी तरह की मुरव्वत करना आस्तीन में साँप पालने और राष्ट्रद्रोह करने जैसा है।
धन्यवाद

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