परिसीमन के फेर में तकलीफें भोगने पर मजबूर हैं गुर्दा के निवासी - News Vision India

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परिसीमन के फेर में तकलीफें भोगने पर मजबूर हैं गुर्दा के निवासी


जबलपुर-प्रशासनिक तंत्र की हीला-हवाली और नौकरशाही के चलते ग्राम गुर्दा ,जो कि नगर निगम की सीमा पर वार्ड क्रमांक 74 में स्थित है। ग्राम पंचायत और नगर निगम की सीमा विवाद के चलते विकास की बयार से अब भी अछूता है।  इसी अछूते पन के कारण आज इस भरी बारिश में वहां के सैकड़ों लोग बड़ी ही मुश्किल और अव्यवस्थित जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। ना सड़क मनाली ना बिजली पानी की समुचित व्यवस्था किसी तरह जुगाड़ लगाकर अपनी अपनी जीने की व्यवस्थाएं कर बड़ी ही विपन्न दशा में यह लोग जीने पर मजबूर हैं । कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में आए सभी निवासियों ने अपनी गुहार कलेक्टर महोदया से लगाई। इसके पूर्व नगर निगम में भी वह अपनी समस्याओं का समस्याओं की दुहाई दे चुके हैं ,लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी या जनप्रतिनिधि के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। कोई भी इनकी समस्याओं का उचित और स्थाई निवारण करता नजर नहीं आ रहा है। यद्यपि क्षेत्रीय पार्षद कविता यादव और सत्येंद्र यादव ने इस क्षेत्र के निवासियों की मदद जरूर की है।

उनकी सहायता से इन्हें कुछ राहत भी मिली लेकिन समस्या का स्थाई और उचित समाधान शासन और प्रशासन में बैठे लोगों के हाथों में हैं।वह न जाने क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठे है। ना बिजली की व्यवस्था है, ना पानी का समुचित इंतजाम, आने जाने की रोड और नाली की बात ही क्या कहें ।लोग पानी में से होकर लिंक रोड तक आने पर मजबूर हैं। छोटे-छोटे बच्चे पानी में चलकर अपने सड़क तक आने के लिए मजबूर हैं, अपने घर तक जाने के लिए मजबूर हैं।भारी बारिश में इनके घर इस लायक भी नहीं है कि इन्हें बारिश से बचा सके। इसलिए इन्हें कई बार भारी बारिश के दौरान वेयरहाउस में शरण लेनी पड़ती है। यदि यहां के निवासियों की मानें तो विगत 25 वर्षों से यहां रह रहे हैैं।

इस जमीन के पट्टे की मांग निरंतर उठाते आ रहे हैं लेकिन किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यह बहुत ही चिंता का विषय है कि इस क्षेत्र के लोगों की तकलीफऔर इनकी परेशानियां किसी भी व्यक्ति को नजर क्यों नहीं आ रही है। यदि यहां के निवासियों की माने तो उनका यह भी कहना है इस क्षेत्र में दबंगों रसूखदार लोगों ने सरकारी जमीनों पर भी कब्जा कर रखा है। इसके लिए वह कुछ जमीन है तो किसानों से खरीदते हैं लेकिन शेष जमीन सरकारी होती है जिस पर कि वह अवैध रूप से कब्जा करके बैठ जाते हैं। इस प्रकार सब अपना अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। अब तो नौबत ये आ गई है कि बिल्डर इन वस्तियों को यहां से उखाड़ फेंकने पर आमादा हो गए हैं। इन तमाम शिकायतों को लेकर आज कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में यह सारे के सारे लोग उपस्थित रहे। इसके बाद मीडिया की टीम ने मौके पर जाकर भी कवरेज की और उसे कवरेज के दौरान घटनाक्रम की कुछ परतें खुली।

जबलपुर से जुबेर शेक की रिपोर्ट

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