Ipc 498 दहेज
प्रताड़ना में सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश पारित
अर्नेश वर्सेस स्टेट ऑफ बिहार के बाद 27
जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की बेंच के अनुसार धारा 498 दहेज
प्रताड़ना मामले में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए जिले में स्थापित परिवार
कल्याण समिति के माध्यम से प्राथमिक तौर पर जांच कराई जाना निर्देशित किया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में 3 जजों की
बेंच में आज दहेज प्रताड़ना में पति की गिरफ्तारी का रास्ता साफ करते हुए 27 जुलाई 2017 को पारित आदेश पर
आदेश जारी करते हुए कहां की परिवार कल्याण कमेटी की राय / भूमिका सीधे दर्ज होने
वाले मामलों पर कोई आवश्यकता नहीं है, अगर आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी पर लगी रोक
हट जाती है, तो ऐसी स्थिति में पीड़ित की
सुरक्षा खतरे में हो जाती है, आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत का विकल्प खुला है, और
जमानत के लिए संबंधित न्यायालय में आरोपी अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं
एट्रोसिटी एक्ट के बाद दूसरा ऐसा कानून है, हिंदू
मैरिज एक्ट, जिससे कि हर एक सामान्य नागरिक लगभग एक पक्षीय आधार पर अनावश्यक
न्यायालीन कार्यवाहीयों से जूझता है, जिसे सुनवाई का तो मौका मिलता है, परंतु इस
प्रोसिडिंग में उसकी महत्वपूर्ण आयु ,उसका सामाजिक सम्मान और उसकी आर्थिक स्थिति की
बदहाली जरूर हो जाती है.
जिसका पालन कभी होता नही
गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांत में
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि CRPC की धारा 41 में गैर जमानती अपराध में गिरफ्तारी को लेकर
संतुलन कायम किया गया है. मनमानी गिरफ़्तीरी को रोकने के लिए CRPC 41 में साफ प्रावधान है कि पुलिस अगर किसी को
गिरफ्तार करती है तो पर्याप्त कारण बताएगी और न गिरफ्तार करने का भी कारण बताएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में परिवार कल्याण कमिटी के फैसले को खारिज कर दिया
है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसकी इजाजत नही जा सकती.
और लोकपाल कानून लोलीपोप टंगा है, अधर में, राज्यों में लोकपाल
नियुक्त नही हो पाए है,