बल्दीराय -सुलतानपुर। मजरूह सुलतानपुरी बीसवीं
सदी के उर्दू /हिंदी के एक मशहूर शायर थे। हिंदी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और
प्रगति शील आंदोलन के उर्दू के सबसे बड़े शायरों में से एक थे। इनका जन्म 01 अक्टूबर सन 1919 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के
निजामाबाद गांव में हुआ था। इनके वालिद यहीं पे पुलिस मे उप निरीक्षक थे। इनके
पुरखों की असल पुस्तैनी जमीन सुल्तानपुर के गजेहडी गांव में थी। मजरूह सुलतानपुरी
के बचपन का असली नाम “असरार उल हसन खान“ था ।
मगर आज देश उन्हें “मजरूह सुलतानपुरी “के नाम से जानती है। मजरूह के
गुरु “जिगर मुरादाबादी “थे, जिनके सहयोग से इन्होनें एक बुलन्द मुकाम हासिल किया। ये बामपंथी
विचारधारा के थे जिसके चलते इन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन्हें दो
वर्ष की जेल यात्रा भी करनी पड़ी ।
फ़िल्म जगत के नौशाद, अनु मलिक, जतिन-ललित, ए आर
रहमान और लेस्ली लेविस के साथ इन्होंने भारतीय फिल्मों को बेमिसाल गीत पेश किए ।
कई दर्जन फिल्मों में इनके गीतों ने धूम मचाई है
जो आज भी बेजोड़ है। सन 1965 में फ़िल्म दोस्ती के गीत “चाहूंगा में तुझे सांझ सवेरे, के लिए इन्हें “फ़िल्म फेयर“ अवार्ड से नवाजा गया। सन 1993 में इन्हें “दादा साहेब फाल्के“ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनकी मृत्यु 24 मई
सन 2000 को मुम्बई में हुई । आज भी सुलतानपुर की अवाम अपने
बेमिसाल शायर को नही भूल पा रही है। शायद कभी भूल भी नही पाएगी और बोल उठेगी–चाहूंगा में तुझे सांझ सवेरे
रिपोर्ट अमन वर्मा स्टेट कोआडिरनेटर न्यूज विजन
उत्तर प्रदेश
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