राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर तक केंद्र सरकार को अपना स्पष्ट जवाब प्रस्तुत करें तलब किया है
केंद्र की तरफ अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल उपस्थित हुए उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है, इसीलिए इस एग्रीमेंट के करार के सारे दस्तावेज किसी को भी नहीं दिखा जा सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की भूमिका का पूरा मत जानना चाहा है, जो इस डील में उनके द्वारा उल्लेखित किया गया है
सुप्रीम कोर्ट ने इस सौदे पर प्रत्येक विमान की खरीदी रकम के विषय में कोई भी जानकारी तलब नहीं की है, बस यह डील कैसे और कब क्रियान्वित हुई, इस संबंध में स्पष्टीकरण की अपेक्षा की है
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो जनहित याचिकाएं लंबित थी, उन को डिसमिस करने के लिए केंद्र सरकार ने अपना जवाब प्रस्तुत किया है, जिसमें केंद्र ने कहा है कि यह सभी पॉलीटिकल ड्रामेबाजी हैं, केंद्र सरकार को अनावश्यक परेशान करने की नियत से जुड़ी है, केंद्र सर्कार का समय नष्ट किया जा कर राष्ट्रीय सुरक्षा हितों से खिलवाड़ का प्रयास है, जिसके चलते इस संबंध में चल रही सभी याचिकाओं को निरस्त किया जाना उचित है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, कि वर्तमान केंद्र सरकार के द्वारा जोड़ी की गई है, उसमें यूपीए सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय और उन निर्णयों पर वर्तमान सरकार एनडीए के द्वारा लिए गए निर्णयों में क्या समानता है, और क्या असमानता है यह स्पष्ट करें.
कांग्रेस के तहसीन पूनावाला जिन्होंने याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी, उन्होंने यह याचिका वापस ले ली है .
अधिवक्ता एमएल शर्मा जिन्होंने राफेल डील पर स्थगन की अपेक्षा की थी, उन्होंने अपनी याचिका में बताया था कि 58000 करोड रुपए का घोटाला है, जिसको उभरने में समय लगेगा, इस डील को निरस्त किया जाना चाहिए ओर यह पार्लियामेंट के नियम 253 के विरुद्ध यह डील की गई है जो अपने आप में अवैधानिक हो जाती है
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने इस संबंध में याचिका दायर करके चाहा है कि इस पूरी डील में एक एसआईटी का गठन किया जाए जो राफेल डील पर पूरी कार्यवाही करेगी और सभी जानकारियां एकत्रित करेगी
यूपीए सरकार ने केवल 126 फाइटर जेट का आर्डर दिया था, जिसको घटाकर 36 किया गया NDA सरकार के द्वारा और कीमतों में भारी इजाफा है,