गबन के आरोपी को सशर्त जमानत उच्च न्यायालय जबलपुर
अधिवक्ता श्री अमित जैस्वाल ने बताया की थाना लॉर्डगंज अंतर्गत दर्ज एफ आई आर क्रमांक 261 / 2018 , धारा भारतीय दंड विधान 420 420 467 468 294 506 120b एवं 34 के तहत आरोपी अजय जयसवाल एवं पत्नी उषा जैसवाल को हिरासत में लिया जा कर न्यायायिक अभिरक्षा में भेज दिया था, इस पूरे गबन में पहले से ही कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड में गिरवी रखी हुई संपत्ति को बेचने का आरोप सिद्ध पाया गया, बैंक ने जब अजय जयसवाल को दिए गए लोन के संबंध में रिकवरी की कार्यवाही शुरू की तब पता चला कि जो संपत्ति बैंक में गिरवी है उसे नसीर मोहम्मद कुरैशी को विक्रय कर दिया गया है
इस प्रकरण में सभी प्रमाणित प्रतियां को प्राप्त करने उपरांत जुडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया, जहां से प्रकरण दर्ज करने के आदेश पारित किए गए जिसके तहत थाना लॉर्डगंज में यह प्रकरण कायम किया गया, जिसमें महिला की ओर से जमानत आवेदन दायर किया गया, जिस में अधिवक्ता मोहम्मद आदिल उस्मानी के द्वारा महिला की ओर से पक्ष रखा गया,
इस पूरे प्रकरण में अधिवक्ता के द्वारा पक्ष रखते हुए बताया गया कि महिला ने अपने पति के कहने पर भरोसे के साथ हस्ताक्षर किए हैं, इस पूरे प्रकरण में महिला निर्दोष है, तथा गबन किए गए रकम को अपने पारिवारिक मदद से प्राप्त सहयोग राशि पर, इस कंडीशन के साथ प्रतिभूति स्वरुप निर्देशित खजाने में सुरक्षित जमा करने के लिए भी तैयार है, कि भविष्य में ट्रायल में अगर महिला निर्दोष पाई जाती है, तो उसे रकम वापस मिल जाए इस तर्क को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्रीमान फहीम अनवर के द्वारा न्याय संगत एवं स्वीकार योग्य मानते हुए रुपए ₹800000 की प्रतिभूति जुडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष प्रस्तुत करने की शर्त के साथ ₹100000 के मुचलके पर महिला को सशर्त रिहा करने के आदेश पारित किए.
पारित आदेश में प्रस्तुत तर्क विधिसंगत रहा, जिसकी सराहना श्रीमान न्यायाधीश के द्वारा की गयी, न्यायायिक सिद्धांत `` सौ गुनेहगार बरी हो जाये पर एक बेगुनाह को सजा ना मिले`` इस आदेश में पूर्णतः स्पष्ट-पारदर्शी कानूनन व्यवस्था की नीव को मजबूत करता है, इसी के साथ न्यायाधीशों की विवेक बुद्धि और दूरदर्शिता न्याय तंत्र में हमेशा से अत्यंत सराहनीय रही है