स्तरहीन कार्यप्रणाली में BLACK LIST सूची में सबसे टॉप पर चल रही उप तहसील
क्रमानुसार चल रहा है
शिकायतों का दौर, कार्यवाही विधिवत ना होने पर शिकायतकर्ता ने कहा है कलेक्टर की
स्तरहीन मोनिटरिंग के चर्चे UPSC-DOPT-CHIEF SECRETARY-PS GAD को
लिखित आरोप पत्र तथ्यात्मत रूप से प्रस्तुत
निलंबन हेतु याचिका भी उच्च न्यायालय में दायर
की जायेगी,
अविवादित प्रकरण को अनावश्यक विवादित बनाने के आरोपी है, नायब तहसीलदार सुशील कुमार पटेल, पटवारी राम किशन भटेले, आर आई राजपूत. इस तहसील की ऑडिट नही होती, नतीजतन व्यवस्था चरमरा गई है
कई पटवारी जा चुके जेल, रिश्वतखोरी में फिर भी कोई सुधार नही कार्यालयीन कार्यों में, क्यों परेशांन होता है आम आदमी, बिना पैसा काम नही होता पटवारियों से, एक दूसरे पे थोपते है काम,
Executive-Magistrate कि नेम प्लेट लगी रहती है, गाड़ी में, अपनी योग्य पद का प्रचार इनके वाहन से होता है, कार्यालय में कार्यवाहीया इनकी असल योग्यता को दर्शाती है, मोनिटरिंग हो जाये तो पदावनति में भृत्य के पद पर नियुक्त ना मिल सके इन्हें, अंधेर है देश में कानूनन व्यवस्था का, जिसका जीता जगता नमूना है, चरगँवा उप तहसील - कलेक्टर ने भी खुद मुआयना किया है,
Executive-Magistrate कि नेम प्लेट लगी रहती है, गाड़ी में, अपनी योग्य पद का प्रचार इनके वाहन से होता है, कार्यालय में कार्यवाहीया इनकी असल योग्यता को दर्शाती है, मोनिटरिंग हो जाये तो पदावनति में भृत्य के पद पर नियुक्त ना मिल सके इन्हें, अंधेर है देश में कानूनन व्यवस्था का, जिसका जीता जगता नमूना है, चरगँवा उप तहसील - कलेक्टर ने भी खुद मुआयना किया है,
उप तहसील चर्गंवा में पदस्थ नायब तहसीलदार सुशील कुमार पटेल के
निर्देशन में फर्जी कार्यवाहीया सम्पादित की जा रही हैं, पिछले कई वर्षों से जब से पदस्थ
हुए किसी प्रकार का कोई वहां पर विधिवत कार्य नियम स्वरूप संधारित नहीं दिया जाता
मन मुताबिक कार्य किए जा रहे हैं, सीएम हेल्पलाइन पर होने वाली शिकायतों का झूठा
अनर्गल अपडेट दिए जाकर शिकायतों को बंद करने हेतु पुष्टि की जाती है, शारीरिक रूप से अस्वस्थ मानसिक रूप से अयोग्य
नायब तहसीलदार को वहां पर पदस्थ किया गया है, कर्मचारियों की वार्षिक योग्यटा
रिपोर्ट का पता नही, विश्वस्त सूत्रों से
जानकारी से प्राप्त हुई है कि आर आई से
पदस्थापना दी जाकर नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया है, जिसे विभागीय कार्य कलापों की कोई जानकारी नहीं है,
आर सी एम् एस सिस्टम का मैनेजमेंट भी बिल्कुल ढीला है, विधिवत प्राप्त होने वाले आवेदनों को भी आरसीएमएस सिस्टम पर नहीं चढ़ाया जाता, निर्धारित अवधि में प्रकरणों का निराकरण नहीं किया जाता, अविवादित प्रकरणों को भी अधिनियम विरुद्ध लंबे समय तक कार्यालय प्रक्रिया में विरुद्ध माना जा कर लंबित रखा जाता है, ऐसा ही एक प्रकरण खुल कर के सामने आया है कि पिछले लगभग २ वर्ष से ग्राम भिडकी में एक आवेदक के खेत के आने-जाने रास्ते पर स्थानीय निवासी राहुल श्रीपाल एवं उसके परिवार ने अवैध अतिक्रमण बना कर रखा है, उसको हटाने की शिकायत की गई थी और इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर की गई थी मिलीभगत के चलते पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर शिकायत को बंद कर दिया परंतु मौके पर जाकर के इंस्पेक्शन किया नहीं किया और ना ही कोई कार्रवाई हुयी,
आर सी एम् एस सिस्टम का मैनेजमेंट भी बिल्कुल ढीला है, विधिवत प्राप्त होने वाले आवेदनों को भी आरसीएमएस सिस्टम पर नहीं चढ़ाया जाता, निर्धारित अवधि में प्रकरणों का निराकरण नहीं किया जाता, अविवादित प्रकरणों को भी अधिनियम विरुद्ध लंबे समय तक कार्यालय प्रक्रिया में विरुद्ध माना जा कर लंबित रखा जाता है, ऐसा ही एक प्रकरण खुल कर के सामने आया है कि पिछले लगभग २ वर्ष से ग्राम भिडकी में एक आवेदक के खेत के आने-जाने रास्ते पर स्थानीय निवासी राहुल श्रीपाल एवं उसके परिवार ने अवैध अतिक्रमण बना कर रखा है, उसको हटाने की शिकायत की गई थी और इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर की गई थी मिलीभगत के चलते पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर शिकायत को बंद कर दिया परंतु मौके पर जाकर के इंस्पेक्शन किया नहीं किया और ना ही कोई कार्रवाई हुयी,
यह तहसीलदार किस दिशा में
काम करता है यह तो यहां ईश्वर ही जानता है या यह खुद तहसीलदार जानता है, भ्रष्टाचार
में एक चरम सीमा को लान्ध्ते हुए नायब
तहसीलदार ने आवेदक की शिकायत को ठिकाने लगाने का काम किया, संभावना है इसमें
रिश्वत के लेनदेन की प्रबल हो जाती हैं, जब किसी भी वैधानिक प्रक्रिया के विरुद्ध
कार्य किया जाता है, तब ये तत्काल बर्खास्तगी के पात्र होते हैं, ऐसे भ्रष्ट
लोकसेवक जिन्हें तत्काल प्रभाव से नौकरी से निकाल देना चाहिए, जनता पर थोपे जाते
है, साथ ही इस तरह के भ्रष्ट अधिकारियों को सामाजिक
रूप से दंड मिलना आवश्यक है,
लंबित शिकायतों की मॉनिटरिंग हेतु नियुक्त एसडीएम अनुविभागीय
अधिकारी पी.के. सेनगुप्ता पीने के कारन वर्तमान में निलंबित है, इनका स्थान पर किसी अन्य अनुविभागीय अधिकारी को पदस्त
कर दिया गया है, जिनके आने के बाद भी
कार्यालय इन कार्यों में किसी प्रकार का सुधार नहीं हो पाया है,
अतिक्रमण की शिकायत संभाग आयुक्त कार्यालय में भी लंबित है, केवल
कागज आते जाते रहते हैं, परंतु ग्राउंड पर कार्यवाही शून्य है, स्थानीय निवासी
होने के नाते पटवारियों का रिलेशन स्थानीय निवासियों से बहुत प्रबल होता है, जिन
के पक्ष में लेनदेन कर कार्रवाई या समेट दी जाती हैं, पूरे प्रदेश की विकास की ऐसी
तैसी करने वाले ऐसे भ्रष्ट पटवारी, आर आई और नायब तहसीलदार की भूमिका निभाने वाले
ग्राउंड पर काम करने वाले अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों को भी अंधेरे में रखते हैं,
जिसके चलते पूरा विकास धरा
का धरा रह जाता, कोई भी इन्वेस्टर किसी भी क्षेत्र में इस विश्वास के साथ जमीन
नहीं खरीद सकता कि वहां पर कभी किसी प्रकार का निर्माण या खेती-किसानी वह कर सके,
इनके जैसे भ्रष्ट अधिकारियों की पदस्थापना और इनके एकजुट होकर के काम करने के
तरीके केवल धन की उगाही करने का काम करते हैं, जिस क्षेत्र में इन्हें पदस्थ कर
दिया जाता है वह क्षेत्र के मालिक हो जाते हैं, और वो क्षेत्र विकास के नाम पे बंजर हो
जाता है, बाँझ हो जाती है वह की उपजाऊ भूमि, भागने लगते है इन्वेस्टर वहा से.
इनके कार्यालय आने जाने का
कोई समय निश्चित नहीं होता, कार्यालय में कभी भी कोई भी समय पर उपलब्ध नहीं होता,
कागज लेनदेन आवेदन लेनदेन के नाम पर हस्ताक्षर करके दस्तावेज दे दी जाते हैं,
मुद्रा अंकित करने का कोई भी इनके पास साधन नहीं होता या फिर यह लोग कन्नी काटते
हैं, ताकि काम करने के बाद से अपने आप को बचा सके, लंबित आवेदनों के मामले में इन की आवक जावक का
रिकॉर्ड भी मॉनिटरिंग से परे रहता है, अनुविभागीय अधिकारी कभी भी इस तरह के
मॉनिटरिंग सब्जेक्ट पर कोई कार्य नहीं करते, अगर कर रहे होते तो अभी तक इस तरह के
भ्रष्ट अधिकारी कब के बर्खास्त हो चुके होते, या कम से कम कानून व्यवस्था के नाम
पर इन्वेस्टरों का एक भरोसा कायम हो गया होता और क्षेत्रों में विकास होता,
गांव में विकास नहीं होने का सबसे बड़ा कारण इस तरह की भ्रष्ट टीम
का पदस्थ होना भी है, सीमांकन जैसे मुद्दे महीनों लंबित रहते हैं, जिन्हें कभी भी
समय पर निष्पादित नहीं किया जाता है, ना ही सीमांकन रिपोर्ट विधिवत प्रस्तुत की
जाती है, जब तक कि इन्हें माल नहीं मिल जाता, यह पूरी मॉनिटरिंग जिस अधिकारी के
जिम्मे हैं वह अधिकारी स्वयं अपने कार्यालय में हफ्ते में १ दिन आते हैं, और जब मन
करता तब आते हैं, नहीं करता मन तो नहीं आते हैं,
क्या चल रहा है प्रशासन में कि अवगत कराने के बाद शिकायत देने के
बाद भी आवेदक और शिकायतकर्ता परेशान होते रहते हैं, देश को एक भ्रष्टाचार की नई दिशा दिखाने में इस तरह की टीम बहुत बड़ा
योगदान देती है.
डूब जाता है पैसा इन्वेस्टरो का, याँ उलझ जाता है, ऐसे भ्रष्टाचार के
चलते, निंदनीय स्तिथि है शाहपुरा राजस्व प्रशासन की, पीड़ित ने कलेक्टर कार्यालय में नायब तहसीलदार के निलंबन हेतु आवेदन दायर किया