प्राकृतिक खेती अपनाये खेती मे अधिक लागत को घटायें: प्रो.रवि प्रकाश - News Vision India

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प्राकृतिक खेती अपनाये खेती मे अधिक लागत को घटायें: प्रो.रवि प्रकाश

Prof Ravi Prakash Ask Farmers For Organic Farming Uttar Pradesh
बल्दीराय सुल्तानपुर: लोक भारती उत्तर प्रदेश लखनऊ के तत्वाधान में प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण, गौसंवर्धन, गोष्ठी एवं कार्यशाला का आयोजन विकास खण्ड धनपतगंज के ग्राम खारा चन्दौर मे किया गया। कार्यक्रम को प्रारम्भ करते हुए नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्व विधालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बरासिन सुलतानपुर के प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने कहा कि आज के युग में जो हम खेती करते हैं वो रासायनिक खेती हैं, जिसमे अंधाधुध  उर्वरको, कीटनाशको, खरपतवारनाशी आदि का प्रयोग किया जा रहा है। जो बहुत ही महंगी खेती होती जा रही हैं तथा और भी महंगी होती जाएगी तथा पैदावार घटती जाएगी इसमें पूरी फसल की गुणवतता समाप्त होने के खतरे ज्यादा हैं, रासायनिक खेती में कीट ए्वं रोग स्वयं लगते हैं, सावधान रहे अपकी खेती खतरे में हैं इसे बचाए प्राकृतिक खेती अपनाये।नीम, लहसुन, हरी मिर्च, गोमूत्र से बहुत से कीट एवं रोगो का प्रबंन्धन किया जा सकता है।

उन्होने केन्द्र के प्रक्षेत्र पर प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन लगाने हेतु आयोजको से अनुरोध किया, जिससे किसान देखकर सीख सके। लोक भारती उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री प्रेम श़कर अवस्थी ने किसानों को बताया कि प्राकृति में सभी जीव एवं वनस्पतियों के भोजन की स्वालंबी व्यवस्था है, जिसका प्रमाण है कि बिना किसी मानवीय सहायता के जंगलों में खडे़ हरे भरे पेड़ तथा उनके साथ रहने जीव जंतु हैं। इस प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप खेती करना ही प्राकृतिक खेती है। पौधों के पोषण के लिए प्रकृति में सभी 16 आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। उन्हें पौधों के भोजन के रूप में बदलने का कार्य मिट्टी में पाए जाने वाले करोडो़ सूक्ष्म जीवाणु करते हैं।

डा. आर. आर. सिंह समन्वयक प्राकृतिक खेती ,काशी प्रांत ने बताया कि देशी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ लाभदायक जीवणु पाए जाते हैं। गोबर में गुड़ एवं अन्य पदार्थ जैसे गोमूत्र, बेसन आदि डालकर जीवामृत, घनजीवामृत तैयार किया जाता है। जब इसे खेतों में डाला जाता है तो भूमि मे उपलब्ध करोड़ो जीवाणु पौधों का भोजन तैयार करते हैं। कार्यक्रम के अंत मे खारा गाँव के ही श्री शेषमणि शुक्ला जो प्राकृतिक रूप से गन्ना की प्रजाति को.शा. 8272 की खेती किये है के प्रक्षेत्र का भ्रमण किया गया। गोष्ठी में श्री कृपा शंकर द्विवेदी सह ग्राम विकास प्रमुख काशी प्रांत, श्री लक्ष्मी नारायण महाविधालय के प्रबंधक,श्री प्रभात शुक्ला, प्रगतिशील कृषक, श्री देशमणि शुक्ला एवंश्री मोतीपाल आदि सहित सैकडो़ किसानो ने भाग लिया।

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