Congress CM के रहते भी भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्र कों मिल रहा संरक्षण, वित्त मंत्रालय का आयुक्त मुख्य आरोपी - News Vision India

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Congress CM के रहते भी भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्र कों मिल रहा संरक्षण, वित्त मंत्रालय का आयुक्त मुख्य आरोपी

भाजपा के कार्यकाल में करोड़ों रुपए कमा चुका भ्रष्ट उपायुक्त अभी तक पिछले 6 सालों से लगातार एक ही पद पर जबलपुर में पदस्थ, यहाँ जंग लग जाति है , नेताओ कों, & आयुक्त पवन कुमार शर्मा (IAS BATCH 1999)  

मध्य प्रदेश राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में भी शिकायतें इस भ्रष्ट उपायुक्त के विरुद्ध पिछले 1 साल से अभी तक लंबित, स्वयं कलेक्टर जबलपुर के द्वारा छह माह से जांच प्रतिवेदन नही दिया जा सका है,

करे अफसोस कोई व्यक्ति जब इसके जैसे चिटलर अधिकारियों की पदस्थापना के दौरान किसी विभाग में नियम कानून की धज्जियां उड़ाने जैसा घिनौना अपराध अगर किया गया हो,  उसके विरुद्ध कार्यवाही हेतु गठित विशेष पुलिस संगठन और राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के अंतर्गत की जाने हेतु अधिनियम एवं प्रावधान है परंतु कार्यवाहीया लंबित होने का कारण अभी तक एक अनसुलझे रहस्य के जैसे बरकरार है.

मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया को किए गए घोटाले से संबंधित पूरी जानकारी एक शिकायत के माध्यम से प्रस्तुत की गई थी, जिस तरह उनके द्वारा पर्दा डाल कर रखा गया और मामले को दबाया गया, जिसकी कई शिकायतें विभिन्न विभागों में पूर्व से दर्ज थी, इस मामले में किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है, कि वित्त मंत्री जयंत मलैया के संरक्षण में या तो आयुक्त वाणिज्य कर डिफाल्टर डीसी डिफाल्टर नारायण मिश्रा के विरुद्ध कार्यवाही नहीं हो पा रही है, या स्वयं आयुक्त ने डिफाल्टर डिप्टी कमिश्नर को संरक्षण में पाल के रखा गया था,

मध्यप्रदेश में राजनैतिक समीकरण बदलते ही सबसे पहले प्रमुख सचिव वाणिज्य कर विभाग मनोज श्रीवास्तव को हटाया गया,  जिसके पास इस संबंध में पहले से शिकायत लंबित थी, स्वयं प्रमुख सचिव किसी आबकारी विभाग के मामले में उलझने के चलते पदावनित होते हुए तत्काल प्रभाव से हटाए गए.

आयुक्त वाणिज्य कर जो अभी वर्तमान में आयुक्त जीएसटी राज्य कर के रूप में पवन कुमार शर्मा आईएएस बैच 1999 पदस्थ है जो पूर्णतः अयोग्य है, जिन्होंने जापान में 23 दिनों का यूथ इन्विटेशन प्रोग्राम 2003 में अटेंड किया था, साथ ही दमोह के कलेक्टर भी रहे हैं, सीईओ रतलाम भी रहे हैं, उपसचिव फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में भी रहे हैं, छिंदवाड़ा के कलेक्टर भी रह चुके हैं, साथ ही डेपुटेशन पर इन्हें दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन पूर्व क्षेत्र में पदस्थ किया गया था, और आज वर्तमान में वाणिज्य कर विभाग के आयुक्त के रूप में मुख्यालय इंदौर में पदस्थ हैं, जिन के सानिध्य में चल रही भर्राशाही का नतीजा, इस कदर चरम सीमा तक पहुंच गया है, कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध मामले अनावश्यक लंबित रखे जा रहे हैं, ताकि यह डिफाल्टर अधिकारी सम्मान पूर्वक रिटायर होकर अपना फंड लेकर के घर चले जाएं, फिर उसके बाद राज्य शासन को हो चुकी रिकवरी अपने स्तर पर लटकी रह जाएं.

भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्रा के समर्थन में आईएएस पवन कुमार शर्मा के द्वारा शिकायत को अपने कार्यालय से हस्तांतरित कर किसे दे दिया गया है, इस विषय में सैकड़ों मर्तबा फोन लगाकर जानकारी प्राप्त करने के प्रयास किए गए, परंतु उनके द्वारा फोन नही  उठाया जाता है ,न  कभी कार्यालय में उपलभ्ध  होते हैं, न कभी इनके पर्सनल असिस्टेंट , इस मामले में सहयोग करते हैं, कैसे चल रहा है यह विभाग अपने आप में एक अनसुलझी पहेली है, कहां की सैलरी ले रहे हैं, ये आयुक्त महोदय कौन सा काम करने का इनको शासन की ओर से मेहनताना दिया जा रहा है, समझ से परे है. इनकी नियुक्ति की आवश्यकता क्या पडी थी ? .

अक्सर यह होता है, कि उनके पास कोई जानकारी नहीं पहुंच पाती हो तो माध्यम समाचार पत्रों के जानकारियां इन्हें पहुंचती रहती हैं, और भी इससे अच्छे स्त्रोत माध्यम पत्र के शिकायतें प्रस्तुत कर जानकारियां दी जाती हैं, और भी अच्छे अच्छे स्त्रोत के आज के डेट में उपलब्ध ईमेल सिस्टम के माध्यम से और व्हाट्सएप सिस्टम के माध्यम से भी जानकारियां दी जाती हैं, इसके अलावा सूचना अधिकार में इन से अपेक्षा की जाती है, कि इनके द्वारा जो कार्यवाही की गई है, उसके संबंध में हमें जानकारी प्रदान करेंगे परंतु काहे का कानून और काहे का अधिनियम और काहे का प्रावधान, भाई साहब के पास टाइम ही नहीं है, तो काम करेंगे नहीं और नीचे के लोगों को संरक्षण देना है, उनसे सेवाएं लेने हैं, तो उनके खिलाफ एक्शन लेंगे नहीं

ऑनलाइन अपडेट सिस्टम में भी सारे काम फर्जी तरीके से संधारित किए गए हैं, सैकड़ों केस निर्धारित अवधियों के बाद पारित किए गए हैं, फिर वैट अधिनियम की धारा 34 का दुरुपयोग कर फिर से खोला गया है, फिर से एसेसमेंट किया जा रहा है, करोड़ों रुपए का शासन को नुकसान रोज हो रहा है, परंतु इसकी जानकारी है नहीं है और जब इन्हें जानकारी दी जाती है, तो यहां आंखों पर पट्टी बांधकर के धृतराष्ट्र की पत्नी के रूप में काम कर रहे होते हैं

बस फर्क यह होता है कि उस तराजू में चमचागिरी करने वाला आदमी जीत जाता है

 देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने की कमान इस तरह के भ्रष्ट आयुक्त को दी जाए तो उसे बेहतर है, कि देश का आम आदमी आईएस बनने का ख्वाब देखना बंद कर दें.

सियासी घमासान में अधिकारियों के हस्तांतरित करने की कड़ी शुरू हो चुकी है, भाजपा के समर्थक रहे कई अधिकारियों को यहां से वहां ट्रांसफर किया जा चुका है ,परंतु बावजूद उसके वित्त मंत्रालय को करोडो  की क्षती करीत करने वाले आयुक्त पवन कुमार शर्मा और उपायुक्त नारायण मिश्रा जबलपुर संभाग इन दोनों के ट्रांसफर अभी तक नहीं किए गए हैं, इनके द्वारा की गई करोडो की हेरा फेरी और राज्य शासन को किया गया अरबों रुपयों का नुकसान, इनके रिटायर होने के बाद कौन वसूल करेगा,

इसकी जिम्मेदारी कौन वित्त मंत्री ले रहा है, इस विषय में अयोग्य मंत्री जयंत मलैया हर वर्ष फर्जी रूप से फर्जी आंकड़ों का घोषणा पत्र लेकर विधानसभा में बजट की घोषणा करता रहा था, आज की डेट में हार का मुंह देख कर सारी नेतागिरी धरी रह गई है, यह वही वित्त मंत्री था, जो कभी शिकायत पत्रों का जवाब नहीं देता था, वहीं वित्त मंत्री था जो शिकायत पत्रों को दरकिनार कर भ्रष्ट अधिकारियों से सांठगांठ कर लेता था, यह वही जनप्रतिनिधि था जिसे भाजपा ने मंत्री तो बना दिया था पर उसने केवल अपना हित देखा, यह जनता का हित करने के लिए था, आज अपना हित करने की स्थिति में भी नहीं रह गया और जो यह काम लंबित कर गया, अगर उस पर जांच हो जाए तो मंत्री बनने का सपना आज के बाद कोई नहीं देखेगा.

फिलहाल मामले अधर में लटके हैं, उच्च न्यायालय में याचिका लंबित है, आदेश पारित होने पर भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्र के व्रत पुख्ता सबूत और उनका सत्यापित प्रमाण पत्र हासिल हो सकेगा, इसके बाद राज्य अपराधिक प्रकोष्ठ में सीधे एफ आई आर कराने का एक माध्यम और मजबूत रूप से मिल जाएगा, तब तक एक आम शिकायतकर्ता केवल कागजी घोड़ों में उलझा रहेगा.

जो कृत्य नारायण मिश्रा ने उपायुक्त जबलपुर रहकर के किए हैं, उसके बारे में कई खबरें पहले प्रकाशित हो चुकी है, परंतु किसी के द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है, ऐसे बेशर्म अधिकारियों को झेलने की ताकत कहां से आ जाती है, इस विषय में निस्संदेह एक एनालिसिस करने की आवश्यकता है.
अधिनियम और अधिसूचना है जो हो गई बेअसर.
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013
Prevention Of Corruption Act 1988,
मध्य प्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम 1982
इंडियन पीनल कोड 1860
सिविल एंड ह्यूमन राईट्स    शून्य हुआ 
मुख्य सचिव द्वारा जन शिकायत निवारण हेतु जारी की गई अधिसूचनाएं.
लोक सेवा प्रबंधन विभाग का गठन और उसके उद्देश्यों के उड़े चिथड़े.
सीएम हेल्पलाइन का तो ऐसे शोषण हुआ है, मानो उतनी  गिनती तो आज तक नेशनल क्राइम रिकॉर्ड में भी नहीं आई होगी.


पिछली खबरे जो प्रकाशित की गई थी
कलेक्टर जांच प्रतिवेदन पर रुका है, शासन के घोटालेबाज नारायण मिश्रा का निलंबन वाणिज्य कर विभाग जबलपुर
https://www.newsvisionindia.tv/2018/12/dm-jbp-div-jbp-mpctd-dc-defualetr.html

रिश्वतखोर उपायुक्त वाणिज्यिक कर ओ पी वर्मा को 5 साल का कारावास,
https://www.newsvisionindia.tv/2018/07/mpctd-defaulter-dc-opverma-narayanmishra.html

हराम की टैक्स वसूलने नियुक्त डिफाल्टर उप-आयुक्त वाणिज्यिक कर नारायण मिश्र ले रहा फ़ोकट की पगार, सूट बूट पहन नियुक्त है सफेद कालाबाजारी
https://www.newsvisionindia.tv/2018/11/defaulter-dc-narayan-mishra-mpctd.html

राज्य के गद्दारों को IAS पवन कुमार शर्मा का संरक्षण, वाणिज्यिक कर विभाग के घोटालों में रिश्वत की गन्दगी ने पकड़ा जोर
https://www.newsvisionindia.tv/2018/12/mp-state-culprits-gettign-relief-dc-defaulter-narayan-mishra.html

Jabalpur Collector Failed To Submit Report On The Scam,
https://www.newsvisionindia.tv/2019/01/jabalpur-collector-failed-to-submit.html

Defaulter Dy. Commissioner Narayan Mishra has got security, from a senior official, Game of Collusion on the amount of scam
https://www.newsvisionindia.tv/2018/05/mpctd-dc-defaulter-narayan-mishra.html

जबलपुर पुलिस सावधानी बरते तो करोडो की कर चोरी पकड़ में आयेगी, थाना प्रभारी ही जांच कर सकते है,
https://www.newsvisionindia.tv/2018/09/jabalpur-police-ko-handle-karna.html











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