कमलनाथ को ले डूबेंगे वित्त मंत्री, वाणिज्यिक कर बना दलाली का अड्डा, पैसा दो काम करवा लो, एक उपायुक्त को हो चुकी 5 साल की जेल, दुसरे को बचाने में लगे मंत्री, - News Vision India

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कमलनाथ को ले डूबेंगे वित्त मंत्री, वाणिज्यिक कर बना दलाली का अड्डा, पैसा दो काम करवा लो, एक उपायुक्त को हो चुकी 5 साल की जेल, दुसरे को बचाने में लगे मंत्री,




no रिश्वत no वर्क,  अगर रिश्वत तब अधिनियम किनारे, उच्च न्यायालय या  सर्वोच्च न्यायालय के कोई आदेश का हवाला दे कर आदेश पारित करा लो, या अधिनियम की 1 धारा 42 के स्थान पर 46 में आदेश लेलो, बस केस पकड़ में न आये नही तो 5-7 साल जेल और लेलो 

कमलनाथ को ले डूबेंगे वित्त मंत्री, वाणिज्यिक कर बना दलाली का अड्डा, पैसा दो काम करवा लो, एक उपायुक्त को हो चुकी 5 साल की जेल, दुसरे को बचने में लगे मंत्री,

इस भ्रष्ट अधिकारी को दहशत इतनी है अपने कर्मो पे किगलती से कोई चिल्ला दे पीछे से ``चोर`` तो अधिकारी महोदय पीछे मुड के देख भागने लगते है शर्म के मारे

एक मर्तबा इंटरव्यू लेने गए कैमरामन को देख कर लूज मोशन हो गयाजवाबदेही से बचते चेहरा छुपाये फिरते नजर आये , ये मिश्र उपायुक्त RTI एक्ट की सुबह शाम हत्या करता है  , नियमविरुद्ध-अधिसूचना विरुद्ध  VAT एक्ट के आदेश हो रहे पारित इसके कार्यालय में , सी एम् हेल्पलाइन का अबला नारी के जैसे बलात्कार हो रहा है , अभी जवाब देना आना है 27/08/2019 को लोक सूचना आयोग में

ऐसी अराजकता आने वाले समय में जनता में जो रोष-असंतोष  व्याप्त कर रही है, उससे मंत्री न रहेगा मंत्री, कमलनाथ को ले डूबेंगे ये ऐसे वित्त मंत्री, और उनके भ्रष्टाचार समर्थक रवैये, मंत्री को लिखे पत्र में सीधी जानकारी दी गयी है,  परन्तु मंत्री ने कोई स्टेप नही लिया है, 

संभागीय आयुक्त के पास चल रही है, जांच जहां से कलेक्टर के द्वारा जांच का जिम्मा सौंपा गया था, अनुविभागीय दंडाधिकारी जेपी यादव ने  पिछले 1 साल से जांच लंबित कर रखी है,  अगर वहां   सिर्फ हस्ताक्षर हो जाएं तो आरोप पत्र बनने में विशेष देरी नहीं होगी और EOW  में डायरेक्ट F.I.R.  हो जाएगी और इस अपराधी को एक-2 साल के अंतर्गत विशेष न्यायालय से कम से कम 7 साल की सजा होगी, परंतु यह बड़ी ही विचित्र बात है, कि सभी जानकारियों के होते हुए वित्त मंत्री ने इसको गोद में बिठा कर रखा है, और पिछले 7 सालों से एक ही सीट पर तलवे चाट कर  ये अधिकारी पदस्थ है, बाकि सबका ट्रान्सफर हो जा रहा,

निश्चित ही इसकी चाटुकारी में कोई विशेष गुण है, सूत बूट पेहन इमानदारी-जमीर की हत्या कर, कल का गरीब अलाहबादी आज समाज के लिए एक HIV नुमा रोग सा बन गया है, कभी कसम खाए रहे इमानदारी से काम करने की. आयोग ने गलती से चुरकटो को नौकरी दे दी,  और झेल रहा समाज. 


हजार करोड़ से अधिक के घोटाले पर जांच अभी तक निलंबितजिम्मेदार भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्र को मानो वित्त मंत्री ने गोद में लिए रखा है, मध्य प्रदेश वाणिज्य कर कार्यालय इंदौर के प्रमुख कमिश्नर के द्वारा कार्यवाही शुरू ही की गयी है, उनके द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार प्रकरण की जांच के लिए अतिरिक्त कमिश्नर को जांच अधिकारी नियुत किया है 

 इस विभाग में पैसे खाकर आदेश पारित करने वाला एक भ्रष्ट उपायुक्त ओम प्रकाश वर्मा आज साल के लिए जेल की चारदीवारी में बंद हो चुका हैभ्रष्टाचार की दूसरी गाज गिरनी है नारायण मिश्रा पर,  परंतु तलवे चाटने में महारत हासिल किए इस भ्रष्ट उपायुक्त की चाटुकारिता बचाए राखी है, लोकायुक्त, eow में जांच जारी है  ये चाटुकारी इनके द्वारा  इतनी शिद्दत लिहाज से की जाती हैजितनी कभी किसी कुत्ते ने अपने मालिक न की हो,  और मालिक खुश हो जाते हैजिससे खुश हो रहे अधिकारी इसके मालिक के जैसे से रोटी उपलब्ध कराते रहने की व्यवस्था को बनाए रखने में निरंतर आशीर्वाद देते रहते हैं, ओमप्रकश को एक उपसचिव परमार ने बहाली आदेश पकड़ा दिया था, 
परन्तु न्याय के घर के अंधेर थोड़ी है, गया वर्मा जेल में, 5 साल के लिए. सम्मान से रिटायर होने के लिए वर्मा ने उप सचिव को कोंसी घुट्टी पिला दी, और  PF का पैसा ले लिया जेल जाने से पहले, पर ये पैसा ना आया काम, और सही जगह पहुँच गया वर्मा, 

टीका लगाये वित्तमंत्री ने बजट के बारे में प्रदेश की जनता को अनुमानित जानकारी दे कर खुश करने का प्रयास किया, भाई साहब मंत्री जी को बजट की परिभाषा नही पता जिस विभाग के खुद वे मंत्री है, उन्हें खुद को नही मालूम कहा भ्रष्टाचार कैसा होता है, कितनो पर विभागीय जांचा चल  रही है ,  कितनो की जांच निर्धारित करनी है, सब हवा में  चल रहा, और मंत्री श्री तरुण भनोट बजट दे कर गर्दन ऊँची कर वापस आ गए, जिन जानकारों को अनुभव नही बजट के बारे में , प्रदेश की आय के बारे में उनके सामने बजट का उदघोषण ओरदेश की जनता को छलने के लिए ही है, कोई इमपेलेमेंट नही होना, सब लोलीपोप है, जो संतरी से मंत्री तक हस्तांतरित होता है,

अधिनियमि का पालन सिर्फ जनता व्यापारी पर शासन करने के लिए हैलोक सेवक की परिभाषा को इस विभाग के कुछ अधिकारी बदलने में लगे है,  नया नाम रिश्वतखोर फेमस होने की स्तिथि में है,


अभी वाणिज्य कर विभाग के कमिश्नर जीएसटी काउंसिल के अधिकारियों के साथ अलग-अलग मुद्दों पर प्लानिंग बनाने में व्यस्त हैयह वही सब प्लानिंग हैजिनका अनुपालन इन के निचले स्तर के अधिकारी कभी नहीं करते उनके द्वारा जारी की गई अधिसूचनाए कचरे के डिब्बे में पड़ी रहती हैंनाम के कमिश्नर फेल मॉनिटरिंग की आड़ में हर अधिकारी अपने अपने स्तर पर कानून से भय मुक्त होकर काम कर रहा है, खुल रिश्वत खोरी जारी है,

https://www.newsvisionindia.tv/2018/08/department-ke-defaulter-mpctd-jabalpur.html
मध्ययप्रदेश वाणिज्यिक कर के काले एतिहासिक कारनामे, MP COMMERCIAL TAX DEPARTMENT,


















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