घोटालेबाज उपायुक्त "नारायण मिश्र" पर कार्यवाही शुरू, वाणिज्यिक कर विभाग, मध्य प्रदेश - News Vision India

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घोटालेबाज उपायुक्त "नारायण मिश्र" पर कार्यवाही शुरू, वाणिज्यिक कर विभाग, मध्य प्रदेश


संपूर्ण विश्व में चरित्रहीनता में सबसे घिनौना अगर कोई व्यवसाय है जो समूचे मानव समाज को शर्मिंदगी का एहसास दिलाता है वह है “वैश्यावृत्ति’ ठीक उसी प्रकार की समतुल्य जीवनशैली होती है उस भ्रष्ट अधिकारी की जिसने बेरोजगारी का जीवन काटते समय बतौर पब्लिक सर्वेंट पूरी कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी के साथ जनहित में और लोकहित में काम करने की शपथ ली हुई होती है और उसके बाद वह पूरे समाज को शर्मिंदगी का एहसास उसी वेश्यावृत्ति के अंदाज में रिश्वत खाकर और अपने विरासत में पाई हुई दुकान समझकर उस कार्यालय को अपनी व्यक्तिगत अय्याशियां पूरी करने के लिए अपने हिसाब से संचालित करता है

अपने अधिकारों के दुरुपयोग की पराकाष्ठा को पार कर चुके इन अधिकारी के विरुद्ध किन शब्दों में और क्या तारीफ करनी चाहिए यह आज के कवियों की भी काबिलियत के परे है, फ़िलहाल भ्रष्टाचार से सम्बंधित हर वरिष्ठ अधिकारी को शिकायत मंत्रालय में प्रस्तुत कर दी गयी है, कार्यवाही की जारी  है, जिस प्रकार होली और दिवाली के समय पुलिस विशेष मुहिम के तहत अपराधियों को और  टुच्चो को  शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु केंद्रीय कारागार में बंद कर देती है ठीक उसी प्रकार एक मुहिम की आवश्यकता है इस प्रकार के धुर अपराधियों पर कार्यवाही करने की

 एक है  जबलपुर का भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्रा,  इन्हीं के समकक्ष अधिकारी एक और रहे ओम प्रकाश वर्मा जो हाल ही में निलंबित होकर रिटायर हो गए,  बड़ी ही दिलचस्प बात यह है कि वर्तमान में एक भ्रष्ट अधिकारी उपायुक्त निलंबित हुआ है बावजूद उसके दूसरा उससे कुछ सीख नहीं रहा है, भ्रष्टाचार के आरारोट में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है, इस तरह के भ्रष्टाचारों में लिप्त किसी उपायुक्त को उसके अधीनस्थ कर्मचारी उनके कक्ष में प्रवेश करने के समय नमस्कार करते होंगे कितना अफसोस भरा होता होगा वह पल. इस भ्रष्ट अधिकारी की जितने भी निम्न स्तरीय शब्दों में प्रशंसा की जाए लोक हित में जनहित में हमेशा कम ही रहेगी क्योंकि इनकी पदस्थापना से ना ही कोई लोकहित सिद्ध होता है ना ही कोई जनहित सिद्ध होता है इनकी इन की पदस्थापना तो केवल इनकी व्यक्तिगत अय्याशियों की पूर्ति का साधन मात्र है इसका मानव समाज से किन्ही प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है लिहाजा इस तरह के भ्रष्टाचारियों पर समूल निष्कासन की कार्यवाही अपेक्षित है


विशेष पुलिस स्थापना इसी भ्रष्टाचार को रोकने चलते की गयी थी, उन्ही की सक्रियता से आए दिन जबलपुर के विशेष लोकायुक्त न्यायालय से भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध सजा के आदेश पारित हो रहे हैं, विशेष न्यायाधीश सीबीआई द्वारा भी भ्रष्टाचारियों को लगातार दंडित किया जा रहा है बावजूद इसके भ्रष्टाचार में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आ रही है, इस भ्रष्टाचार की चमड़ी इतनी सख्त हो चुकी है कि इस पर किसी प्रकार के मौसम का कोई असर नहीं होता है,  इस तरह की संभावनाओं को नकारा जाना बिल्कुल भी उचित नहीं है कि यह भ्रष्टाचारी अपने वरिष्ठों के विरुद्ध भी कई प्रकार के भ्रष्टाचार की जानकारी रखते हैं, जिसके चलते इन के विरुद्ध किसी प्रकार से कोई सख्त कार्यवाही करने में इनके वरिष्ठ सफलता प्राप्त नहीं कर पाते ना ही किसी प्रकार की शुरुआत कर पाते हैं

स एक यही पल होता है जो इस तरह के भ्रष्ट अधिकारियों को सरकारी कार्यालय एक दुकान स्वरूप चलाने का अवसर प्रदान करता है जिसमे रोज न्याय  बेचने और बांटने का काम करते हैं, इनके विरुद्ध 49 फॉर्म बेचे गए है पर कार्यवाही लंबित है, क्योकि ये विभाग के कृतिम अंग है,

जिस हिसाब से इस भ्रष्ट अधिकारी के विरुद्ध लगातार की जा रही शिकायतों पर कार्यवाही धीमी गति से हो रही उससे यह प्रतीत होता है कि इतनी मोटी चमड़ी होने के साथ-साथ यह चमड़ी बहुत अनुभवी भी हो चुकी है जो सभी प्रकार से मौसम बर्दाश्त करने की क्षमता रखती है, 

प्राप्त अधिकारों का मनमाना दुरूपयोग कैसा जनहित है, नौकरी ग्रहण करते समय इस अधिकारी ने कौनसी शपथ ली थी सेवा करने की या शोषण की,  आज के संवैधानिक संरक्षण में ये अधिकारी अधिनियमित रूप से सुरक्षित है, इस नपुंसकता का भ्रम एक बार पुरानी पदस्थापना के दौरान टूट चूका है, पशु भी धोखा खा के सीख लेता है, दोबारा गलती नही करता, पर इस उपायुक्त कार्यालय में हर रोज एक सामान गड़बडिया होती है, शेष रह गया है तो सिर्फ यही की अब आते जाते सडको पर कोई चोर चोर चिल्ला के पुकारे इनको ,   कलम का दुरूपयोग क्या होता है इन्हें भी जानकारी  है  तब ही जवाब सोचा समझ के दिया जाता है, आम जन के प्रकरणों को  न्यायलय में और अपील दायर करने भेज दिया जाता है, अधिनियमित संरक्षण कवच में इनके जैसे गीदड़ भी शेर बनने का दुस्साहस करते है, 

लाल घेरे में दिख रहा है आपको यह भ्रष्ट उपायुक्त जबलपुर के रहल चौक में आसपास दिखाई देता है जिसकी दिनचर्या में दोपहर का खाना और रात का खाना प्रतिष्ठित होटलों से आता जिनका कभी बिल का भुगतान इनके द्वारा नहीं किया गया है क्योंकि अगर कभी इनका ध्यान इस विषय में गया होता तो जीएसटी के फर्जी सेमिनार लगाकर लोगों को जागरूकता देने वाला भ्रष्ट अधिकारी उन सभी होटल मालिकों पर कार्यवाही कर चुका होता जो एमआरपी प्रिंट माल पर ज्यादा रेट लगाकर फिर जीएसटी जोड़ते हैं इस विषय से संबंधित खबरें नीचे दिए हैं, पर कार्यवाही लंबित है, इन विषय पर कार्यवाही उपभोगता फोरम ही करेगा,

ऐसी कई शिकायतें कार्यालय में लंबित है जिनका निराकरण मनमाने तरीके से इसके द्वारा किया जाता है जब तक किसी कार्य की कीमत निर्धारित ना हो जाए तब तक किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं होता है, इनका कार्यालय सुबह 10:00 बजे से लेकर रात को 2:00 बजे तक खुला रहता है सारे काम अंधेरे में किए जाते हैं जिस पर आज तक प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी प्रकार से कोई कार्यवाही नहीं की है संदिग्ध लोगों की आवाजाही और गतिविधियां विभाग में निरंतर बनी रहती हैं जिससे यह पता नहीं चलता है कि कार्यालय में अंधेरी रात में किसके साथ क्या हो रहा है और क्या चल रहा है

जो जानकारी हमें प्राप्त हुई है कि इस भ्रष्ट अधिकारी को कुछ वर्ष पूर्व जबलपुर क्षेत्र में कुछ असामाजिक तत्वों ने बड़ी दरिद्रता के साथ मारा था जिसके चलते हैं लगभग 15 दिवस यह अधिकारी इलाजरत रहा है हॉस्पिटल में,    इस विषय में कार्यालय स्तर पर पूरी जानकारी प्राप्त करने से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि रिश्वत से संबंधित कोई मामला रहा होगा जिसने इस घटना को जन्म दिया,  परंतु उससे भी भ्रष्टाचार में इजाफा ही हुआ किसी प्रकार की कमी नहीं आई, पीठ और मजबूत हो गयी है इस भ्रष्टाचार की, क्यों की अब मान सामान और स्वाभिमान का विषय यहाँ पर रह नही गया है, अपने कार्यालय की ( भ्रष्ट ) ईमानदार कार्यवाही से किसी को अवगत नही कराना चाहते है तो शिकायत पर लीपा पोती भी की जा सकती है

करोड़ो की वसूली RTO को करनी है, ओवरलोडिंग से सम्बंधित परन्तु मजाल है यह विभाग RTO को दस्तावेज सुपुर्द करे, आवेदन के बावजूद नही दिए जाते है और कार्यालय का उद्देश्य है राजस्व हित, पूछताछ और जाँच, अनुशास्त्मक  कार्यवाही का अधिकार जनता के पास सामान हो तो फिर देर न होती प्रकरणों के निराकरण होने में, ना ही फ़ोकट के प्रथम और दृतीय अपील प्रकरणों में इजाफा होता, क्योकि इनका कहना और मानना है कोर्ट का दरवाजा खुला है आप अपील कर सकते है, जब इन्हें कुछ मिलता है तो इनके द्वारा कई न्याय दृष्टान्तो का हवाला देकर फरियादी को लाभान्वित कर दिया  जाता है, अन्यथा कई न्याय दृष्टांत ऐसे भी है जो आपके आवेदन को ख़ारिज करने में उपयोग किये जाते है, जबकि कानून में ऐसी कोई व्यवस्था नही है, जब तक की सामूहिक और पर स्पष्ट निर्देशन न हो किसी दृष्टांत में,  

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50 करोड़ का घोटाला, वाणिज्य कर विभाग का फार्म-49 घोटाला, जबलपुर मध्य प्रदेश

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