क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश सबसे ऊपर नहीं होनी चाहिए - News Vision India

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क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश सबसे ऊपर नहीं होनी चाहिए


फिल्म पद्मावत पर सुप्रीम कोर्ट ने रिलीज होने का आदेश दे दिया है इस पर सुप्रीम कोर्ट में सारे बिंदुओं पर आदेश दिए है

जैसे कि फिल्म में कहा जा रहा था कि 6 कट सीन है पर बाद में सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने बताया कि उन्होंने कोई छह कट नहीं किए सिर्फ पांच सीन दोबारा से शूट करवाएगा है

डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ने कहा कि चार राज्यों ने जिसमें कि हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात ने फिल्म पर बैन लगा दिया है और वहां पर फिल्म रिलीज नहीं होने दे रहे हैं जिस पर कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब संसद की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आ गई है और फिल्म को क्लीन चिट दी है इसके अलावा सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने भी सर्टिफाइ कर दिया है तो क्या राज्य इन दोनों सेंट्रल बॉडी से बड़े हैं

राज्यों को संसद की स्टैंडिंग कमेटी और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन का मान्य रखते हुए फिल्म को अपने प्रदेशों में रिलीज होने देना चाहिए

सरकारी वकील ने तर्क रखा कि इस फिल्म से एक जातिगत को दिक्कत है जोकि बहुसंख्यक है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच रहा है जिसकी वजह से फिल्म पर बैन लगाया गया था इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर बहुसंख्यकों की भावनाओं का हम आदर करने लगेंगे तो हमारे देश का 90% लिटरेचर पढ़ाया नहीं जा सकेगा उसको भी रोकना पड़ेगा

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि फिल्म रिलीज होगी सारे राज्यों में होगी और यह राज्य की जिम्मेदारी है कि फिल्म रिलीज होने पर कोई भी अड़चन ना आए कानून व्यवस्था बनाए रखी जाए

जिस तरीके की खबरें आ रही हैं फिल्म रिलीज हुई तो देश में आग लगा देंगे ऐसे वाक्यों से एक भय उत्पन्न होता है

एक परिवार अगर छुट्टी मनाने के लिए या फिल्म देखने जाता है तो क्या वह अपने परिवार को खतरे में डाल रहा है?

क्या डेरा सच्चा सौदा जैसा फिर से देखने मिलेगा की पुलिस और इतनी बड़ी फोर्स नाकाम रही उनको संभालने में?

क्या यही डेमोक्रेसी है?

इन्हीं सब बातों को लेकर डेमोक्रेटिक लॉयर्स फोरम जबलपुर ने आज ज्ञापन देकर सरकार से मांग की है की फिल्म के रिलीज़ होने पर कानून विवस्था बनाई रखीं जाए.


बाइट – रविन्द्र गुप्ता – अधिवक्ता एम पी हाईकोर्ट

#GovernmentMaintainLawAndOrderOnReleaseOfMoviePadmavat,


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