सिंधियों को बताया पाकिस्तानी,
छग सरकार मौन, कभी मोदी ने भी थी तारीफ
सिंधियो की
सभ्य समाज ने किया है सभ्य विरोध, जातीवाद का जहर घोलने के साजिश है ये
न्यायोचित कार्यवाही में राष्ट्र स्तरीय आन्दोलन की घोषणा,
पूरे देश में समाज के प्रतिनिधि अपने अपने जिले के कलेक्टर को सौपेंगे ज्ञापन,
कार्यवाही नही होने से होगा अनिश्चित कालीन व्यापार बंद, सरकार को होगा अरबो का नुक्सान
1947
के विभाजन पूर्व सिंध भारत का अभिन्न
अंग था, जिसे अखंड भारत का हिसा माना जाता था, और आज भी कई देश प्रेमी हिंदूवादी संगठन इस प्रयास में है की भारत को फिर
से अखंड भारत बनाया जाये, और विभाजन का दंश झेल
चुके सिंधियो पर घिनौना आरोप लगाने से पहले एक वरिष्ठ अख़बार ने भारत की अखंडता की
जानकारी के अभाव में सोचा भी नही, इस तरह की पुख्ता
भ्रमयुक्त जानकारी रखने वरिष्ट पत्रकार की तारीफ आज पूरे भारत देश में चर्चा का
विषय है, जगह जगह व्यापर बंद कर विरोध प्रकट किया जा रहा है,
क्या होती है भूमिका
एक पत्रकार की, इस
व्यवसाय का आखिर पर्याय क्या है, क्या लक्ष है पत्रकारिता का,
सिर्फ
जन जागरण हेतु की जाती है पत्रकारिता, जनहित लोकहित में कानून
व्यवस्था बनाये रखने में मुख्य भूमिका होती है पत्रकार की, न्याय
तंत्र का प्रमुख सिद्धांत है, 100 आरोपी बरी हो जाये, 1 निर्दोष को सजा न होने पाए, और इस न्याय प्रणाली में कार्यपालिका की मुख्य भूमिका होती है, जिसमे
पुलिस ने अपना एक लोकहित में स्तरहीन कार्य करने का छुपा हुआ डरावना एक पक्षीय
चेहरा दिखाया,
इस सभ्यता ने पूरे भारत देश को व्यापार की पहचान दिलाई और जिन्हें खुद को देश हित की परिभाषा नहीं पता है वह बता रहे हैं सिंधियों को देशद्रोही, खुद पुलिस ने किया है पाकिस्तानी कारनामा , साथ ही पुलिस ने जमानत ही अपराध को प्राथमिकी FIR में गैर जमानती धाराओं का इजाफा किया जोकि अपने आप में शर्मनाक है
छत्तीसगढ़ में एक अखबार में संधियों को
पाकिस्तानी बताने का दुस्साहस किया गया है जिसमें प्रकाशन करने वाले लेखक ने लिखा
है कि कई ऐसे सिंधी परिवार हैं जिनका ना तो पासपोर्ट है ना ही कोई वीजा है जिन पर
कई बार कार्यवाही की आवाज उठाई जा चुकी है परंतु प्रशासन की ढलाई के चलते अवैध रूप
से सिंधी निवासरत हैं और भी लूटपाट मारपीट की घटनाओं को लगातार अंजाम दे रहे हैं
ऐसे लोगों पर कार्यवाही नहीं की जा रही है जबकि समय-समय पर कार्रवाई की मांग उठती
रही है,
यह खबर छत्तीसगढ़ के 1 जिले के लोकल अखबार के किसी वरिष्ठ पत्रकार ने लिखी है जिससे वरिष्ठता का
स्तर समझा और नापा जा सकता है
कौन है यह सिंधी और कहां से आए यह सिन्धी किसकी व्यक्तिगत लाभ की राजनीति का
शिकार हुए हैं यह सिंधी जिसकी तारीफ करते हुए कभी देश का प्रधानमंत्री थकता नहीं
है क्या यही है वह सिंधी जो भारत देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सबसे
ज्यादा कर का भुगतान करते हैं जिनके विरुद्ध इस तरह की खबरें छापी जा रही हैं 1947
में मचे राजनैतिक बवाल का नतीजा इस अखंड
भारत देश का विभाजन रहा है उसे प्रताड़ित होने वाले सिंधियों को पाकिस्तानी
आतंकवादी सामूहिक रूप से वहां के एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहां है, वरिष्ठता के सामान्य ज्ञान की यह पराकाष्ठ है,
एक मामूली विवाद पर पत्रकारों के दबाव में दर्ज की गई FIR पर व्यापारी नवयुवकों का सामूहिक रुप से पुलिस ने निकाला जुलूस जो बना है आज पूरे भारत देश में प्रशासन की इस स्तरहीन कार्यवाही के विरोध का कारण
क्या
करना चाहिए था पुलिस को, किसी भी पंजीकृत अपराध में पुलिस को
बनाए गए आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत करना उनका उत्तरदायित्व है उनका
कर्तव्य है आयकर का लगातार भुगतान करने वाले व्यापारियों को सरेराह जुलूस निकाला
है जिनका कोई हिस्ट्री रिकॉर्ड नहीं है उनके विरुद्ध इस तरह की शर्मनीय कार्यवाही पुलिस के द्वारा की गई है जो कि स्थानीय
पत्रकारों के दबाव में की गई है पुलिस प्रशासन अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना भूल
गया था,
सिविल प्रक्रिया संहिता में बतौर लोक सेवक जनहित में किये जाने वाले कार्यो की
प्रक्रिया का मुद्रीकरण है, सी आर पी सी
में गिरफ्तार व्यक्ति पर की जाने वाले कार्यवाही के नियम स्पष्ट उलेखित है, जिनका
पुरजोर उलंघन किया गया, जिससे यह
संभावनाएं उपज कर सामने आती है कि भ्रष्टाचार की हदें कितनी गहरी हैं, अभी तक नही हुआ है निलंबन किसी अधिकारी
का,
पूरे देश भर में सिंधी समाज ने व्यापार से किया है
बहिष्कार कई राज्यों में कई जिलों में आज बंद का आह्वान किया गया है व्यापारियों
ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे हैं करोड़ों रुपए की कर की हानि हर एक राज्य को इस
भ्रष्टाचार के प्रतिकर के रूप में भुगतनी पड़ रही है,
दुर्ग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने एहसान रूपी खेद
व्यक्त किया है जुलूस निकालने वाले थाना प्रभारी और साथ में चलने वाले आरक्षकों के
विरुद्ध अनुशासनात्मक - दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान सिर्फ कागज में सीमित है, भारतीय
दंड संहिता में तथा सिविल प्रक्रिया
संहिता में निहित कानून का पालन करने के लिए केवल आम जनता और व्यापारी ही इस भारत
देश में करेंगे, जिन पर यह लोक सेवक जब
चाहे तब जैसी मनचाही कार्यवाही कर सकता है, क्या देश और जनता नहीं जानती कानून
व्यवस्था की खस्ता हालत, क्या उस थाने की कभी ऑडिट हुयी है, कितने आरोपी उक्त थाने
में फरार है, कितनो पर विभागीय जाँच जारी
है, क्या कभी भ्रष्ट पुलिस अधिकारी का नाम भी छापा है वहां के लोकल अख़बार ने,
सिंधी समाज ने किया है बहिष्कार उस अखबार का जिसमें यह खबर छपी है
जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है खबरें छत्तीसगढ़ के दुर्ग
शहर की है जहां पर वरिष्ठ पत्रकार और 3 व्यापारी युवकों के वाहनों के बीच हुई
मामूली टक्कर का बवाल वहां के न्यायालय में निराकृत न
किया जा कर पुलिस और अखबारों के माध्यम से निराकरण किया जा रहा है ,
साथ ही उस अखबार में छपने वाले हर एक प्रोडक्ट की
ऐड और हर एक कंपनी की ऐड जो भी छपती है जिस किसी वस्तु के संबंध में हो हर एक एड
से संबंधित वस्तुओं का बहिष्कार करने का निर्णय सिंधी समाज ने लिया है साथ ही उस
अख़बार में सिंधियों के द्वारा कभी कोई ऐड नहीं दिया जाएगा और जिस किसी कंपनी के
द्वारा उस अख़बार को ऐड दिया जाएगा उस कंपनी के साथ कारोबार
सिंधी व्यापारियों के द्वारा नहीं किया जाएगा, साथ ही प्रोडक्ट की असीलीयत का पर्दाफाश करने हर लैब टेस्ट करने समाज हित
में जन हित व्यपारी प्रतिबद्ध है,
अगर व्यापारी ऐसा करते हैं तो कई कंपनियों की
वैल्यू खत्म हो जाएगी शेयर मार्केट में लंबी गिरावट देखने को देखी जा सकेगी जो
इतिहास में अपना मूल्यांकन गिरावट का दर्द कर सकेगी साथ ही उस कंपनी के साथ कभी
रिकवर ना होने वाली घाटे की स्थिति का सीमांकन नहीं किया जा सकेगा
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#NewsVisionIndia, #HindiNewsDurgChhatigarhSamachar,
पत्रकारिता इतनी नीची गिर गइ है कि, उनको रद्दी के व्यापारीओं की तरह अपने अखबार बेचने पडेंगे ।
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ReplyDeleteDemonisation of any community is wrong
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