सत्ता का नया फार्मूला खूब डराओ फिर रक्षक बनो फिर शासन करो: समीर दीक्षित - News Vision India

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सत्ता का नया फार्मूला खूब डराओ फिर रक्षक बनो फिर शासन करो: समीर दीक्षित

श्रीलंका और भूटान भारत से पेट्रोल डीजल खरीदते हैं पर वो भी अपने देश में भारत के मुकाबले 20 रुपये कम में बेच रहे हैं।

2008 की मंडी सबसे बड़ा उदाहरण है जब पूरे विश्व में बड़े-बड़े बैंक कंपनियां दिख रही थी मगर उस वक्त हमारे देश में स्थिति पूरी की पूरी नियंत्रण में थी यह इस वजह से था क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री खुद फाइनेंस के मास्टर और पी चितंबरम उस वक्त फाइनेंस मिनिस्टर हुआ करते थे इन दोनों की वजह से हमने 2008 की मंदी को हंसते-हंसते के लिए

कर्नाटक चुनाव के दौरान 19 दिन पेट्रोल और डीजल के रेट बढ़े जिससे कि यह साबित होता है कि सरकार कुछ भी कहे मगर उसका पेट्रोल और डीजल के रेट में नियंत्रण है और इलेक्शन के फायदों के लिए BJP सरकार ने पेट्रोल और डीजल के रेट नियंत्रण में रखें और जैसे ही वहां से उनकी सरकार गई तो उन्होंने सारी हदें पार करते हुए जनता के ऊपर एक नया पोस्ट डाल दिया और कर्नाटक चुनाव की हार का बदला जनता से ले रहे हैं


दिल्ली में पेट्रोल की कीमत साढ़े पांच साल के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफे के कारण पेट्रोल के दाम सितंबर 2013 के बाद सबसे अधिक है। राजधानी दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल की कीमत 77.51 रुपये प्रति लीटर हो गई। वहींडीजल के दाम 68.08 रुपये हो गए। पेट्रोलियम क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है।  ईरान पर प्रतिबंध और सीरिया में संघर्ष से क्रूड की सप्लाई कम हो सकती है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम और बढ़ने की आशंका है। इस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत करीब 80 डॉलर प्रति बैरल है। जबकी 2016-17 में यह 47.56 डॉलर प्रति बैरल थी। APRIL 2018 में यह कीमत बढ़कर 84 डॉलर पर पहुंच गई।


टैक्स के कारण तेल महंगा
दिल्ली मे प्रति लीटर पेट्रोल में केंद्र सरकार 20 रुपये राज्य 16 रुपये और डीलर करीब 4 रुपये कमा रहे हैं. कच्चे तेल की कीमतों के साथ केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स से भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि होती है। लगभग सभी राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला टैक्स अलग है। इसलिएसभी राज्यों में कीमत अलग है। हालांकिसरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग हो रही है। पेट्रोल और डीजल को पिछले साल सरकार ने अपने नियंत्रण से बाहर कर दिया था। पिछले साल 16 जून के बाद से तेल कंपनियां हर रोज पेट्रोल और डीजल के दामों की समीक्षा करती हैंजिसकी वजह से देशभर में हर रोज पेट्रोल एवं डीजल के दाम बदल रहे हैं। इससे पहले पेट्रोल डीजल की कीमतें महीने में सिर्फ दो बार बदला करती थीं।

पी चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधा
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने पेट्रोल के ऊंचे दामों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार तेल से होने वाली कमाई से ही जिंदा है। पूर्व वित्त मंत्री ने कई ट्वीट कर कहाभाजपा शेखी बघारती है कि 22 राज्यों में उसकी सरकार है लेकिन फिर क्यों एनडीए सरकार पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत नहीं लाती। उन्होंने कहा, ‘पिछले चार वर्षों से भाजपा सरकार तेल से होने वाली कमाई पर जिंदा रही है। अगर यह कमाई ना हो तो भाजपा सरकार मुश्किलों में घिर जाएगी। यहां तक कि स्कूल का एक बच्चा भी जवाब जानता है। यह भाजपा सरकार की ग्राहक से कर वसूलने की नीति के कारण है। पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने कहा कि कच्चे तेल के दाम 74 डॉलर प्रति बैरल चार साल पहले की कीमतों के मुकाबले अब भी कम हैं। चार साल पहले कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल थी। उन्होंने कहातो क्यों आज पेट्रोल/डीजल की कीमतें मई 2014 की कीमतों के मुकाबले ज्यादा है?'

अनब्रांडेड डीजल पर 2014 में ₹3.56 पैसे एक्साइज ड्यूटी लगा करती थी जैसे ही भाजपा ने केंद्र सरकार का मोर्चा संभाला के एक्साइज ड्यूटी अनब्रांडेड डीजल और पेट्रोल पर ₹9.48 पैसे कर दी गई थी जो कि आज 3 सालों में बढ़कर 17 रूपय 33 पैसे हो गई है साथ ही राज्य सरकारें जो कि आज हमारे पूरे भारत देश में अधिकतर भाजपा शासित राज्य हैं जो केंद्र सरकार के साथ समन्वय बिठाने में इस मुद्दे पर पूरी तरह से फेल हो चुके हैं राज्य सरकारों ने भी जनता की जेब में डाका डालना शुरू कर दिया है पेट्रोल-डीजल का यह काला खेल  राज्य की महत्वपूर्ण आय का साधन बन चुका है

आइए नजर घूम आते हैं एक बार इस पूरी प्रोसेसिंग पर कहां से आता है यह कच्चा तेल कहां इसकी रिफाइनरी लगी है और रिफाइनरी से लेकर बॉटलिंग प्लांट तक इसे कैसे सप्लाई दी जाती है और बॉटलिंग प्लांट के बाद डिस्ट्रीब्यूशन कैसे किया जाता है
भारत देश में लगभग हर राज्य में पेट्रोल कंपनियों की रिफाइनरी इंडस्ट्रीज है जिसमें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन  की 9 हिंदुस्तान पेट्रोलियम 6 भारत पेट्रोलियम की चार प्रकार लगभग हर राज्य में रिफाइनरी से लेकर के हर एक शहर तक हर एक गांव तक स्थापित किए गए पेट्रोल पंपों तक बॉटलिंग प्लांट के माध्यम से पेट्रोल डीजल उपलब्ध कराने की पर्याप्त व्यवस्थाएं कंपनियों के द्वारा की जा चुकी है.

बावजूद उसके ऐसे कौन से खर्चे हैं और ऐसे कौन से विकास कार्य राज्य सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा किए जा रहे हैं जिस पर इन लोगों के द्वारा आम जनता पर कर का भार लादा जा रहा है आखरी पैसा जा कहां रहा है इसके बारे में राज्य का मुख्यमंत्री कुछ बोलता है ना ही देश का प्रधानमंत्री कुछ बोलता है काले धन पर जोर लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी के सारे दिग्गज नेता डीजल और पेट्रोल के मामले में बोलने से कतरा रहे हैं बीच में एक दो बार देश के प्रधानमंत्री ने दो रुपए दाम गिरा कर जनता को लॉलीपॉप भी दिया था यह स्कीम थी जिससे जनता अनभिज्ञ रही है और आज ₹2 के बदले देश का प्रधानमंत्री जनता की जेब से सीधे ₹10 निकाल रहा है अपने आप को व्यापारी बताने वाला प्रधानमंत्री किस तरह से व्यापार कर रहा है ₹2 के ₹10 कैसे बनाए जाते हैं देश के प्रधानमंत्री से सीखा जा सकता है इसमें देश की जनता जाएगी.


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