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ताजमहल पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार, कहा- देखभाल नहीं कर सकते तो ढहा दो

Demolish Taj Mahal If You Cant Care Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने दुनिया के सात अजूबों में शामिल आगरा के ताजमहल को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि या तो हम ताजमहल को बंद कर देंगे या फिर आप इसे ढहा दें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की सुरक्षा को लेकर किेए जा रहे उपायों का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को सुस्त बताया।
इस दौरान न्यायाधीशों यह भी कहा कि ताज 'एफिल टॉवर' से भी ज्यादा सुंदर है और यह अधिक सुंदर है" और यह देश की विदेशी मुद्रा की समस्या को भी हल कर सकता है। बता दें उच्चतम न्यायालय ने यह बातें ताजमहल के के उचित रखरखाव की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान कही।

बताते चलें कि 16वीं सदी में बने इस संगमरमर के मकबरे की सुंदरता को देखने के लिए सिर्फ देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। इस मकबरे को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था।

न्यायाधीश ने ताजमहल की तुलना एफिल टॉवर से करते हुए कहा कि करीब 80 मिलियन लोग इसे देखने जाते हैं, जो एक टीवी टॉवर के जैसा दिखता है, जबकि ताजमहल के लिए मिलियन। आप लोग ताजमहल की देखभाल को लेकर गंभीर नहीं है और न ही आपको इसकी परवाह है। ताजमहल इससे भी ज्यादा सुंदर है।

अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि केवल एक स्मारक देश की समस्या का समाधान कर सकता था। क्या आपको अपनी उदासीनता के चलते देश को कितना नुकसान हुआ है इसका अहसास है?

उल्लेखनीय है कि इससे दो दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने ताजमहल में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि ताजमहल दुनिया के सातवें अजूबों में से एक है। इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि ताजमहल के परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यहां कई और जगहें हैं जहां नमाज पढ़ी जा सकती है फिर ताजमहल परिसर ही क्यों?

बता दें कि ताजमहल में नमाज पढ़े जाने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अक्टूबर 2017 में ताजमहल में होने वाली नमाज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इस समीति की मांग थी कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है, तो क्यों मुसलमानों को इसे धार्मिक स्थल के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है। अगर परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत है तो हिंदुओं को भी शिव चालीसा का पाठ करने दिया जाए।

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