अभिषेक के जल से बढ़ा रहे भूजल
लखनऊ: पानी बचाने का आपका
छोटा सा प्रयास एक बड़ा सबक दे सकता है, बस आपको आगे बढ़ने की जरूरत होती है। सदर के
ऐतिहासिक द्वादश ज्योतिर्लिग मंदिर में चार साल पहले अभिषेक के जल से भूजल को
बढ़ाने की छोटी सी पहल शुरू हुई और वह अब नजीर बन गई। पानी से सूनी हो रही धरती की
कोख को बचाने की मुहिम के संयोजक राजेश अग्रवाल ने बताया कि भगवान शंकर के अभिषेक
के बाद पानी नालियों से बहकर गंदे नाले में जाता था जिसे आस्था के साथ रीचार्जिग
सिस्टम के माध्यम से धरती की कोख में फिर से भेजने का प्रयास किया जा रहा है।
मंदिर में फरवरी 20 फरवरी 2014 को वाटर रीचार्जिग का इंतजाम
किया गया तो आसपास के सूखते हैंडपंपों में पानी के आने की संभावना भी जग गई है।
अभिषेक के जल को बचाने के इस छोटे से प्रयास ने श्रद्धालुओं को भी जागरूक किया है।
कई श्रद्धालु इस सिस्टम की जानकारी लेकर अपने घरों के पानी को बर्बाद होने से
बचाने में लग गए हैं। राजेश अग्रवाल ने बताया कि एक ओर जहां विकास के नाम पर पेड़ों
की अधाधुंध कटान जारी हैं वहीं विकास के नाम पर खेतिहर भूमि भी कम होने लगी है।
धरती मां की कोख बंजर बनाने की ओर हमारे बढ़ते कदम हमें विकास से कहीं ज्यादा
विनाश की ओर ले जा रहे हैं। समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो काफी देर हो
जाएगी। उपजाऊ भूमि में कमी और जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण जल स्रोतों में आई
कमी है। सरकारी नीतियों और लोगों में जागरूकता की कमी से पुराने पोखरों, तालाबों, झीलों और कुओं पर कब्जा कर
उनके अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है। प्रदेश में ऐसे जलीय स्रोतों की संख्या 9,55255 है। उनमें से 1,11968 पर लोगों ने कब्जा कर लिया
है।
लखनऊ सुलतानपुर से स्टेट हेड
न्यूज विजन भानू मिश्रा उत्तर प्रदेश की विशेष रिपोर्ट
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