पटना: मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस
कांड जिस रिपोर्ट की वजह से बेपर्दा हुआ था अब वो सार्वजनिक की जा चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद बिहार सरकार ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल
साइंसेज (TISS) की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर
दिया है. समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट पर इसे अपलोड किया गया है, जिसे कोई भी देख-पढ़ सकता है. यूं तो TISS की इस
रिपोर्ट के वो पन्ने काफी पहले ही लीक हो चुके थे जिनमें मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस
की सोशल ऑडिट थी लेकिन अब TISS की 110
पन्नों की पूरी रिपोर्ट को पढ़ा जा सकता है.
बिहार के 110 शेल्टर होम की सोशल ऑडिट के
बाद तैयार की गई इस रिपोर्ट का सबसे अहम हिस्सा ‘Grave Concerns’
Institutions Requiring Immediate Attention है. जिसमें मुजफ्फरपुर
शेल्टर हाउस समेत बिहार के कुल 17 संस्थानों का जिक्र करते
हुए समाज कल्याण विभाग को सुझाव दिया गया है कि इन संस्थानों को लेकर तुरंत एक्शन
लेने की जरूरत है.
• सबसे पहले मुजफ्फरपुर शेल्टर
हाउस का जिक्र है जिसमें वहां रहने वाली लड़कियों के हवाले से यौन उत्पीड़न की बात
कही गई है.
• फिर मोतिहारी के बाल गृह के
बारे में बताया गया है कि किस तरह से वहां बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न हो रहा है,
शारीरिक हिंसा हो रही है और एक बच्चे की गलती पर कैसे सबकी एक साथ
पिटाई की जाती है.
• भागलपुर और मुंगेर का ज़िक्र
किया गया है. बताया गया है कि मुंगेर का बाल गृह और वहां चलने वाला सुधार गृह एक
ही परिसर में चलाया जा रहा है. बाल गृह को भी सुधार गृह की तरह ही बैरकनुमा बनाया
गया है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है
कि बाल गृह का सुपरिटेंडेंट यहां रहने वाले बच्चों से अपने घर का निजी काम करवाता
है और मना करने पर बच्चों की पिटाई करता है. एक बच्चे ने अपने गले पर 3 इंच का घाव दिखाते हुए आरोप
लगाया कि ये सुपरिटेंडेंट की पिटाई का ही नतीजा है.
• गया के बाल गृह के बारे में
जानकारी दी गई है कि यहां बच्चों को जबरदस्ती कैद करके रखा जाता है.
• पटना, मधुबनी
और कैमूर के शेल्टर हाउस के बारे में लिखा गया है कि यहां छोटे-छोटे बच्चे भूखे
मिले.
• अररिया के सुधार गृह पहुंची TISS
की टीम को बच्चों ने बताया कि सुधार गृह में तैनात सरकारी गार्ड
उनकी पिटाई करता है. एक बच्चे ने तो यहाँ तक कह दिया कि ‘इस
जगह का नाम सुधार गृह से बदलकर बिगाड़ गृह कर देना चाहिए.’
• उसी तरह पटना के अल्पावास गृह
की लड़कियों ने दावा किया कि उनके पास उनके घर का पता है, परिजनों
के फ़ोन नंबर हैं फिर भी उन्हें घरवालों से बातचीत नहीं करने दिया जाता. इसी अवसाद
में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली तो दूसरी लड़की पागल हो गई.
• मोतिहारी के अल्पावास गृह में
मानसिक तौर पर विक्षिप्त महिलाओं और लड़कियों के साथ शारीरिक हिंसा की शिकायत
मिली. लड़कियों का आरोप था कि उन्हें सैनिटरी पैड तक नहीं दिए जाते.
• TISS की टीम जब मुंगेर के
अल्पावास गृह पहुंची तो लड़कियों ने शिकायत की कि उनके शौचालयों में कुंडी तक नहीं
है. सोशल ऑडिट टीम को एक कमरे में ताला लगा हुआ मिला, खुलवाने
पर अंदर एक महिला और लड़की तख़्त पर बैठी थी. अल्पवास गृह के कर्मियों ने दावा
किया कि ये पागल हैं लेकिन वो TISS की टीम के एक सदस्य को
गले लगाकर रोने लगी.
• मधेपुरा के अल्पावास गृह में एक
लड़की ने दावा किया कि उसे रास्ते से ज़बर्दस्ती उठाकर यहां लाया गया है और वापस
नहीं जाने दिया जाता. TISS की टीम ने पाया कि अल्पावास गृह
में बिस्तर तक मौजूद नहीं था और वहां रहने वाली लड़कियों और महिलाओं को ज़मीन पर
ही सोना पड़ता है.
• कैमूर के अल्पावास गृह की
लड़कियों ने तो वहां के गार्ड पर ही यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.
• मुजफ्फरपुर और गया के सेवा
कुटीर में लोगों को काम दिलाने के नाम पर लाया गया और वहीं रख लिया गया, वहां लोगों के साथ मारपीट होती है, अवसाद में लोग
मानसिक संतुलन खो रहे हैं.
• पटना के कौशल कुटीर में महिलाओं
और पुरुषों दोनों के ही साथ शारीरिक हिंसा होती है, यहां
मौजूद लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें काम दिलाने का झांसा देकर यहा लाया गया और
लम्बे समय से यहीं रखा गया है.
TISS की रिपोर्ट के मुताबिक़ इन 17 जगहों पर स्थिति सबसे ज़्यादा भयावह थी लेकिन इनके अलावा 7 ऐसे शेल्टर होम की जानकारी भी इस रिपोर्ट में दी गई है जहां हालात बेहतर
थे. दरभंगा, बक्सर, सारण, कटिहार, बेगूसराय, पूर्णिया और
नालंदा के इन शेल्टर होम में TISS की टीम को स्थित अच्छी
दिखी.
TISS की टीम ने बिहार के कुल 110 शेल्टर होम का सोशल ऑडिट किया है लेकिन 110 पन्नों
की इस रिपोर्ट में सिर्फ़ 24 शेल्टर होम के बारे में ही
विधिवत जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में बाकी 86 जगहों पर
सर्वेक्षण टीम ने क्या पाया इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
दरअसल, पिछले साल 30 जून को समाज कल्याण विभाग ने बिहार के सभी शेल्टर होम और अल्पावास का
सोशल ऑडिट करने का ज़िम्मा TISS को सौंपा था. कई महीनों तक
बिहार के अलग-अलग शेल्टर होम और अल्पावासों का सोशल ऑडिट करके अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल, 2018 में विभाग को सौंपी. जिसमें
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के साथ बिहार के कुल 15 अल्पावास,
बालगृह, बालिका गृह और शेल्टर होम में बड़े
स्तर पर अनियमितता सामने आई थी.
मुजफ्फरपुर मामले में रेप की
शिकायत दर्ज कराई गई. जिसके बाद मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार किया गया
है. पूरे मामले में फजीहत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की
सिफारिश की थी. सीबीआई मुजफ्फपुर शेल्टर हाउस से जुड़े लोगों से लगातार पूछताछ कर
रही है.
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