जीएसटी मिसमैच : कैसे बचे व्यापारी, क्यों मिलता है GST नोटिस? सख्त कार्रवाई का प्रावधान, - News Vision India

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जीएसटी मिसमैच : कैसे बचे व्यापारी, क्यों मिलता है GST नोटिस? सख्त कार्रवाई का प्रावधान,


जीएसटी मिसमैच : कैसे बचे व्यापारी :

पिछले कुछ महीनों में देशभर में कई कारोबारियों को GST नोटिस मिला है. यदि रिपोर्ट पर यकीन किया जाए तो जीएसटी मिसमैच या जीएसटी के कम भुगतान के करीब 34 फीसदी मामले सामने आए हैं. इससे 34,400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. करदाताओं और कंपनियों दोनों को जुलाई से दिसंबर 2017 के बीच दाखिल किए गए समस्त जीएसटी रिटर्न के रिस्पांस में यह नोटिस मिला है.

क्यों मिलता है GST नोटिस?

दरअसल, जीएसटी नोटिस मिलने का प्रमुख कारण रिटर्न में मिसमैच है. मिसमैच के दो प्रमुख कारण हैं. सबसे पहले, जीएसटीआर-3बी फॉर्म में रिटर्न का सारांश भरने और जीएसटीआर-1 में सभी बाहरी आपूर्तियों की इनवॉइस के अनुसार विस्तृत विवरण भरने के दौरान, स्वघोषित जीएसटी लाएबिलिटी और उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट वैल्यू के बीच अंतर देखने को मिले.

दूसरा, कई ऐसे मामले थे जिनमें जीएसटीआर 3-बी और जीएसटीआर-2ए यानी किसी की सप्लायर से की गई खरीदारी के विवरण में भरे गए आंकड़ों में अंतर देखा गया. दूसरा मामला सरकार के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि टैक्स के खिलाफ कोई भी गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट आवंटन वास्तव में सप्लायर द्वारा चुकाया जाता है, जिससे राजस्व में नुकसान होता है.

सख्त कार्रवाई का प्रावधान

इन नोटिसों के सामने आने के बाद यह अनुमान लगाया जा सकता है कि टैक्स विभाग का नॉन कम्प्लायंस को लेकर रुख नरम नहीं होगा. सरकार वाकई में अपना काम सख्ती से करने जा रही है, इसके द्वारा उन सभी कारोबारियों को 30 दिन का समय दिया गया है, जिन्हें नोटिस मिला था.

नोटिस जारी होने पर, यदि तय तारीख तक कोई स्पष्टीकरण नहीं मिलता है, तो माना जाएगा कि उक्त व्यक्ति/बिजनेस के पास देने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं है और बिजनेस के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. जीएसटी की सख्त प्रक्रियाओं को भी नहीं भूलना चाहिए. इसमें गलत ढंग से क्लेम किए गए आईटीसी पर 18 फीसदी ब्याज का प्रावधान है.

मिसमैच में कैसे बच सकते हैं कारोबारी?

अब सवाल यह है कि कारोबारी इन मिसमैच और जीएसटी नोटिस से कैसे बच सकते हैं. सबसे पहली चीज है कि जीएसटी कॉम्प्लाएंट सप्लायर्स के उचित समूह के साथ काम करें. ऐसा करने से सुनिश्चित होगा किसी भी समय बिजनेस द्वारा अपलोड की गई खरीदारी की जानकारी और इसके सप्लायर्स द्वारा अपलोड किए गए डेटा के बीच कोई मिसमैच नहीं होगा. इस तरह आईटीसी की अलग-अलग गणनाओं की संभावना दूर होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो यह जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-2ए की अनुरूपता को सुनिश्चित करने में लंबा सफर तय करेगा.

बिजनेस के लिए एक और बात महत्वपूर्ण है जीएसटीआर-3बी के फॉर्म में भरे जाने वाले समरी रिटर्न्‍स और जीएसटीआर-1 के फॉर्म में फाइनल रिटर्न भरने के दौरान भरे गए डेटा पर करीब से नजर रखना. इसमें बिजनेस द्वारा अनुपालन पर बहुत ध्यान दिया जाना चाहिए जोकि अकाउंट्स बुक एवं ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड बरकरार रखने के व्यवस्थित तरीके को अपनाकर ही संभव हो सकता है. यह भी समझने वाली बात है कि जो बिजनेस अभी भी मैनुअल रिकॉर्ड रखते हैं या जिनके पास स्प्रेडशीट्स पर बिजनेस रिकॉर्ड मेंटेन हैं, उन्हें इतने कम समय में इन नोटिसों का जवाब देने और जरूरी संशोधन करने में कठिनाई हो सकती है.

संकलनकर्ता : सी ए अनिल अग्रवाल जबलपुर 📱 9826144965
स्त्रोत : आईएएनएस

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