जबलपुर
से आज सीबीआई न्यायालय की न्यायाधीश श्रीमती
माया विश्वलाल के द्वारा बैंक मैनेजर और
बिल्डर को 8 फ्लैट पर चार चार लाख रूपय
के फर्जी लोन लिए जाने पर सुनाई ४० साल की अलग-अलग सजा वह भी अलग-अलग धाराओं में,
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इस
पूरे प्रकरण में वर्ष 2002 में मामला
सीबीआई की तरफ से पंजीकृत किया गया था, जिसमें भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468 और भ्रष्टाचार
निषेध अधिनियम की धारा 13 खंड 1 बी के
तहत तथा भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी के तहत प्रकरण कायम
किया गया था,
जिसमें
मिलीभगत करने वालों के नाम इस प्रकार है, रतिराम जाट ,बसंत पाठक ,शैलेश शर्मा, रमेश शर्मा ,विजेंद्र सिंह ,रंजीत
कोहली , सुरेश कुमार राव ,नरेंद्र
शर्मा, अरविंद श्रीवास्तव बैंक मैनेजर ने मिलीभगत करते हुए फर्जी दस्तावेज फर्जी आयकर प्रमाण पत्र, फर्जी पते, और फर्जी गारंटर
के दस्तावेज तैयार करके गोरखपुर में आकांक्षा अपार्टमेंट के 8 फ्लैट पर चार चार लाख रूपय का लोन State Bank of India जीसीएफ की शाखा से वर्ष 2002 में स्वीकृत/आवंटित लिया/किया था ,
इस
पूरी बिल्डिंग में रहने वाले कई लोग काफी समय से इस आदेश हेतु प्रतीक्षारत रहे हैं, और आज इस मामले में पूरी
स्वच्छता के साथ फर्जी फ्लैट पर की गई फर्जी लोन प्रक्रिया का पूरा खुलासा करते
हुए उसने लिप्त सभी आरोपियों को अलग अलग धाराओं में लगभग 40 साल की सजा सुनाई गई,
इस तरह न्यायालय का आदेश उन बैंक मैनेजरों और
बिल्डरों , को जो वर्तमान में अपने कर्तव्यों का और प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग
करते हुए कार्य कर रहे हैं, काफी हद तक कानून से खिलवाड़ करने के हौसले तोड़ने में
कारगर साबित होगा
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