बहुत चर्चित "गुरुदेव हत्याकांड" में अभी तक पुलिस की कार्यवाही संदिग्ध स्थिति में आगे बढ़ रही है, मामला है 26 अगस्त 2018 का संजीवनी नगर थाने में प्रकरण क्रमांक 220 दर्ज किया गया था जिसमें धारा 323 506 147 148 एवं अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच में लिया गया था.
इस मामले की कहानी इस प्रकार है, कि गुरुदेव अपने तीन मित्रों के साथ नर्मदा ढाबे में खाना खाने गया था, जहां पर मचे विवाद के चलते ढाबा में काम करने वाले युवकों के साथ गुरुदेव और उसके दोस्तों का विवाद हुआ था, विवाद पर मची भगदड़ की स्थिति में गुरुदेव ने एक दिशा की तरफ भागना शुरू किया, जिससे वह अनजान था, और वह नहर में गिर गया, जिस की लाश कुछ दिनों के बाद बरामद हुई.
मौत के कारन बने मिट्री
परंतु इसी बीच वहां पर पदस्थ थाना प्रभारी अरुणा वाहने ने, गुरुदेव के दोस्तों से पूछताछ की जा कर धारा 304 की बढ़ोतरी प्रकरण में दर्ज की थी, और कई उन लोगों को भी आरोपी बना दिया गया था जिनका इस प्रकरण में दूर-दूर तक कोई गुरुदेव की मौत के मामले में कोई रोल नहीं था.
गुरुदेव की लाश बरामद होने के बाद उसका पोस्टमार्टम नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में कराया गया, जिसकी रिपोर्ट प्रकरण में संलग्न थी, इसी बीच वहां से अरुणा वाहने का ट्रांसफर हो जाता है, और चार्ज संभाल लेंती है, निकिता शुक्ला
प्रकरण में बनाए गए आरोपियों की तरफ से जबलपुर न्यायालय में जब 27 सितंबर 2018 को जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया, तब उस दिनांक से लेकर 1 अक्टूबर तक किसी भी प्रकार की मेडिकल रिपोर्ट पुलिस वहां पर प्रस्तुत नहीं कर पाई थी, जब न्यायालय के द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी कर प्रभारी निकिता शुक्ला को निर्देश दिए गए कि 3 अक्टूबर 2018 को सारी रिपोर्ट संलग्न कर प्रकरण में अनिवार्य रूप से भेजी जाए, जिस पर उनके द्वारा न्यायालय को भी अंधेरे में रखा जा कर गोल मटोल जवाब दिए जा रहे थे, आखिरकार 3 अक्टूबर 2018 को न्यायालय में सख्त लहजे में जब निर्देश जारी किये, तो 4 अक्टूबर 2018 को अपने आप सारे दस्तावेज सागर से आ चुकी FSL रिपोर्ट के साथ प्रकरण में संलग्न कर न्यायालय में पेश कर दी गई, जहां पर न्यायालय ने प्रकरण में संदिग्ध स्तिथियो को देखते हुए जमानत का लाभ दे दिया गया.
बैंड बज गई न्याय के सिद्धांत की, जिसमें यह कहा जाता है, कि 100 आरोपी छूट जाएं परंतु एक बेगुनाह को गलती से भी सजा नहीं होनी चाहिए.
जबलपुर का बहुचर्चित मोंटी कार्लो वर्सेस कैंट पुलिस थाना कांड अभी तक भूला ही नहीं था कि एक नया और हो गया.
पहले अंग्रेज सरकार चलते रहे, अब .....................
सिर्फ न्यायालय की शक्ति पर ही जानता को है, आश्वासन और जनता को ही है, पूरा भरोसा बाकी कार्यपालिका में हो रहे कामकाज सब भगवान भरोसे हो रहे हैं, पारदर्शिता कहीं तक मेंटेन नहीं की जा रही है, आम आदमी के अधिकारों का सुरक्षा कवच टूट चुका है, यह सुरक्षा कवच आ गया है धारा 353 के रूप में भ्रष्टाचार को सुरक्षित करने.
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COURT PURIFIES
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public servant done a shameful job
sanjeevani nagar thana jabalpur