भोपाल नेशनल लोक अदालत का पिछला
रिकॉर्ड टूटा,
2018 के 910 से बढ़कर, 2019 में 1024 प्रकरण हुए निराकृत
इस वर्ष की लोक अदालत का आयोजन 9 मार्च 2019 को माननीय
जिला न्यायधीश एवं अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्रीमान माननीय राजेंद्र कुमार
वर्मा के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया गया था, जिस के समापन उपरांत भोपाल
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, के सचिव अतिरिक्त जिला एवं सत्र
न्यायाधीश श्रीमान आशुतोष मिश्रा के द्वारा आज की नेशनल
लोक अदालत में निराकरण के लिए लक्षित किए गए प्रकरणों की जानकारी प्रदान की गई.
जिसमें जिला न्यायालय भोपाल अंतर्गत लंबित
दीवानी प्रकरण, पारिवारिक विवाद, चेक बाउंस संबंधित विवाद, प्री लिटिगेशन, लोक उपयोगी सेवाएं संबंधित विवाद,
नगर पालिक निगम अधिनियम एवं मोटर दुर्घटना दावा सहित विद्युत अधिनियम के अंतर्गत
आने वाले प्रकरणों को आज माध्यम लोक अदालत के आयोजन पर निराकृत करने हेतु लक्षित
किया गया था,
भोपाल जिले अंतर्गत सभी पीठासीन न्यायाधीशों
के द्वारा एक साथ विभिन्न मामलों का निराकरण करते हुए 1024 प्रकरणों का स्थाई निराकरण किया गया, जिसमें ऐतिहासिक रूप से आज नेशनल लोक अदालत के
आयोजन में कुल लाभान्वित 2408 लोगों को ₹15 करोड 40 लाख की डिक्री अवार्ड के रूप में पारित की
गई,
न्यायाधीशों की मुख्य भूमिका रही,
जिन प्रकरणों का निराकरण आज नेशनल लोक अदालत
में किया गया है, इस योजना पर उचित लक्ष्य प्राप्ति हेतु माननीय
जिला न्यायधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमान राजेंद्र कुमार
वर्मा के द्वारा भोपाल के सभी अति. जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को उचित मार्गदर्शन, युक्ति युक्त दिशा निर्देश दिए गए थे, जिनके फलस्वरूप आज जिला भोपाल के सभी न्यायाधीशों के द्वारा पिछले
रिकॉर्ड को क्रॉस कर लगभग 10% की वृद्धी दर्ज की गयी,
नए लक्ष्य की ओर सक्रीय हुए सभी,
आज की नेशनल लोक अदालत में, मध्य प्रदेश
विद्युत अधिनियम के अंतर्गत लंबे 82 प्रकरण निराकृत हुए, जिसमें लगभग राशि 1 करोड़ 80
लाख रुपए बतौर अवार्ड पारित हुई, छुटपुट मामले लगभग 90 रहे, जिसमें आठ करोड़ अस्सी लाख अवार्ड राशि रही, लेबर डिस्प्यूट प्रकरण जो कुल 33 निराकृत हुए,
जिसमें आवेदकों को 6 करोड़ 75 लाख रुपए का मुआवजा
वितरित हुआ, परिवारिक मैट्रिमोनियल प्रकरण 86 निराकृत हुए, जिनमें लगभग 15 लाख रुपए आवेदकों को प्राप्त हुए, क्रिमिनल
कंपाउंडेबल प्रकरणों में कुल 176 के आपसी राजीनामे के आधार पर निराकृत किए गए,
जिसमें अवॉर्ड राशि लगभग 2 करोड 40 लाख रुपए पारित की गई, वहीं धारा 138 चेक बाउंस के 338 मामले निपटाए गए.
जिसमें अवॉर्ड राशि आठ करोड़ पचास लाख रही, MACT के कुल 220 प्रकरण रहे जिनमे राशि
5 करोड रही, इस प्रकार आज के दिन 2408
लोगों को लाभान्वित किया गया, साथ ही कुल राशि ₹15
करोड़ 40 लाख रही,
यह अपने आप में एक बड़ी कार्यवाही है, जिसे सभी न्यायाधीशों ने एक्स्ट्रा वर्क आउट
करके आपसी रूची से आवेदक-अनावेदक के मध्य उचित समन्वय का निर्माण कर, इस लक्ष्य को हासिल किया है, जो निसंदेह प्रशंसा के योग्य है, जल्द ही आने वाली नेशनल लोक अदालत में इस
रिकॉर्ड को दुगनी रफ़्तार से तोड़े जाने पर कार्य उचित स्तर से होगा,
योजना, नेशनल लोक अदालत पर एक और पालिसी उम्मीद से दुगने रिजल्ट दे सकती है, जिसमे
हर न्यायालय अंतर्गत लंबित प्रकरणों में से कुछ % 3-4 श्रेणियों में प्रकरण की प्रकृति अनुसार सूची निर्धारित किया जा कर एक टास्क के रूप में सभी-प्रत्येक न्यायाधीश को- या 3-3 के ग्रुप बनाकर अधिक प्रकरणों के निराकरण के लक्ष्य पर श्रेणी अनुसार एक स्कीम लागू की जाये, जिसमे विनर (अकेले एवं ग्रुप) को पदोन्नत-टूर-या फिर यथोचित रूप से पुरुस्कृत किये जाने की योजना को जोड़ा जाये, ऐसे में पूरी सम्भावना है, आने वाले समय में न्यायालायो में प्रकरणों के निराकरण तीन चार पेशीयो में निराकृत हो कर आदेश मध्य प्रदेश डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की वेब साईट पर अपलोड भी समय पर होंगे, और न्याय तंत्र में, एक बहोत ही सराहनीय कार्य प्रणाली सुचारू रूप से न्यायायिक सिद्धांतो को मजबूती प्रदान करेगी, और समय के अभाव में या व्यवस्था के अभाव में न्याय में होने वाली देरी का % शून्य की ओर तीव्र गति से विलुप्त होता दिखेगा,