शर्मनाक: देश में हर 5 मिनेट में होता हैं एक नाबालिक से बलात्कार, उत्तरप्रदेश में सबसे खराब हालात - News Vision India

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शर्मनाक: देश में हर 5 मिनेट में होता हैं एक नाबालिक से बलात्कार, उत्तरप्रदेश में सबसे खराब हालात


2016 से NCRB (National Crime Record Bureau) ने कोई भी अपराधिक डेटा नहीं दिया है. तो आज हमारे पास अपराध को लेकर विश्लेषण करने के लिए कोई भी डाटा उपलब्ध नहीं है NCRB का कहना है कि उन्होंने अपने डाटा कलेक्शन फॉर्मेट में बदलाव किए हैं जिसकी वजह से डाटा आने में समय लग रहा है.

मगर इसी बीच नाबालिक बलात्कार पर छप रही मीडिया रिपोर्ट्स को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका में बदल दिया. जस्टिस रंजन गोगोई व जस्टिस दीपक गुप्ता अब इस जनहित याचिका की सुनवाई कर रहे हैं. उन्होंने 1 जनवरी 2019 से 30 जून 2019 तक के पूरे देश के नाबालिक बलात्कार पर आंकड़े सारे हाईकोर्ट से मंगाए थे. तो यह आंकड़े आज हमारे सामने मौजूद हैं, वह भी पूर्णता प्रमाणित आंकड़े हैं. इसके तहत 24212 नाबालिक बलात्कार हमारे देश में 6 महीने में हुए हैं. यानी कि हर 5 मिनट में एक बलात्कार.

इसमें 11981 में अभी तक जांच चल रही है
4871 में चालान प्रस्तुत हो चुके है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी है कि देश में कितने पोस्को एक्ट के तहत न्यायालय व एडवोकेट अप्वॉइंट हुए हैं. इन आंकड़ों में उत्तर प्रदेश सबसे पीछे है जिसमें 51% FIR में अभी तक जांच चल रही है. वह केस जिसमें न्यायालय अपना फैसला सुना चुकी है उसमें सबसे अच्छा मध्य प्रदेश ने किया है जो कि 10% है इसके बाद उत्तर प्रदेश जोकि 3% है फिर बिहार जोकि 2% है.

इन्हीं आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि नाबालिक बलात्कार में पिछले 4 साल में 41% (40.81%) बढ़ोतरी हुई है. हम जब भी बलात्कार सुनते हैं तो हमारे यहां से जनता फांसी फांसी चिल्लाने लगती है. जनता की आवाज को सुनकर फिर हमारे नेता भी फांसी फांसी चिल्लाने लगते हैं. मगर ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है और ना ही कोई सर्वे मौजूद है जिससे यह साबित होता है कि फांसी देने से बलात्कार कम होते हैं.

विटनेस प्रोटक्शन स्कीम
यह एक अच्छी स्कीम है जिसको लागू करना चाहिए और इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए ताकि जो गवाह है, वह स्वतंत्र होकर न्यायालय में गवाही दे सकें. न्यायाधीशों की कमी है जो कि पूरी की जानी चाहिए. लेबोरेटरी बहुत कम है. कई बार न्यायलय को चार-पांच बार लैब को लिखना पड़ता है, तब जाकर रिपोर्ट आती है. कई बार सैंपल्स रखे रखे एक्सपायर हो जाते हैं और रिपोर्ट सही नहीं आ पाती. ज्यादातर रिपोर्ट्स में देर हो जाती है और इन सब बातों से प्रॉसीक्यूशन/अभियोजन पक्ष अपना केस साबित नहीं कर पाता. पुलिस के पास भी पर्याप्त बल नहीं है, ना ही तो इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर (जाँच अधिकारी) को बलात्कार केस के लिए कोई ट्रेनिंग दी जाती है, कि सैंपल कैसे जब्त करना है. ब्यान कैसे लेने हैं और ज्यादातर पुलिस बंदोबस्त में ज्यादा व्यस्त रहती है जिसकी वजह से इन्वेस्टिगेशन सही से नहीं हो पाती है.

बाइट: अम्नीश वर्मा मेम्बर सेक्रेटरी SLSA
बाइट: शेक वसीम DPO Jabalpur

कैमरामैन तेज नारायण के साथ डॉ सिराज़ खान की रिपोर्ट

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