कांग्रेस का तीर, कांग्रेस के पेट में घुस गया, अब दर्द हुआ बोले चिदंबरम, 65 साल अधिनियमों को पारदर्शी नही बनाया था, आज एहसास हुआ कांग्रेस को, न जाने कितने लाख लोग जलील हुए, जैसे आज चिदंबरम, रुदाली बयान व्यक्त किया,कईयों को मौका भी नही मिलता सफाई देने का - News Vision India

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कांग्रेस का तीर, कांग्रेस के पेट में घुस गया, अब दर्द हुआ बोले चिदंबरम, 65 साल अधिनियमों को पारदर्शी नही बनाया था, आज एहसास हुआ कांग्रेस को, न जाने कितने लाख लोग जलील हुए, जैसे आज चिदंबरम, रुदाली बयान व्यक्त किया,कईयों को मौका भी नही मिलता सफाई देने का



कांग्रेस का तीर, कांग्रेस के पेट में घुस गया, अब दर्द हुआ बोले चिदंबरम, 65 साल अधिनियमों को पारदर्शी नही बनाया था, आज एहसास हुआ कांग्रेस को, न जाने कितने लाख लोग जलील हुए, जैसे आज चिदंबरम, रुदाली बयान व्यक्त किया,कईयों को मौका भी नही मिलता सफाई देने का

कांग्रेस के पूर्व मंत्री चिदंबरम ने व्यक्त किया कि अगर मौत और प्रेस्टीज में से कोई अगर एक चीज मुझे चुन्नी पड़ेगी तो मैं केवल प्रेस्टीज को चुन लूंगा

तो क्या पिछले 65 सालों से बाकी पूरे देश की जनता है मूर्ख थी जो यह सारे अधिनियम ओं का बोझ झेल रही थी जो आज तक पारदर्शी नहीं कर पाए कांग्रेस के सांसद इतने सालों राज करने के बाद भी आम इंसान की लिबर्टी के बारे में नहीं सोच पाए आज इसी अधिनियम की फांस कांग्रेश के गले में घुस गई और रुदाली के रूप में प्रकट हुई चिदंबरम के मुंह से. अभी तो जांच के नाम से प्रताड़ना झेलने की बारी है तारीख पे तारीख और जांच पर जांच होती रहेगी

चिदंबरम ने बताया है कि डेमोक्रेसी में लिबर्टी का क्या स्थान है संविधान अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए अच्छे से समझाने का प्रयास किया कि हर किसी व्यक्ति के लिए उसकी लिबर्टी कितनी महत्वपूर्ण होती है जिसको संविधान में बल दिया गया है

चिदंबरम ने बताया कि सन 1947 तक आजादी की लड़ाई हम सब लड़ते रहे इसी डेमोक्रेसी के लिए ताकि यह डेमोक्रेसी मेंटेन हो सके

चिदंबरम ने बताया है कि कुछ लोगों से बातचीत की गई है और बताया कई लोगों को गया है इसके इसके बारे में परंतु हकीकत क्या है यह नहीं बताई गई है

चिदंबरम ने बताया है कि मैं कन्फ्यूजन वाली बातों को क्लियर करना चाहता हूं

चिदंबरम जी अभी आपको याद आ रहा है इस तरह की कार्यप्रणाली से जो तकलीफ आपको हुई है ऐसी तकलीफ भारत देश के लाखों लोगों ने भुक्ति  है बिना जांच के जेल चले जाते हैं बाद में बरी हो जाते हैं और कुछ कर भी नहीं पाते, ऐसी कोई कानून व्यवस्था है ही न,हीं अब आपको इसकी तकलीफ झेलनी पड़ रही है 65  साल में आपने कभी यह नहीं सोचा था,

चिदंबरम ने बताया कि आईएनएक्स मीडिया के इसमें उनका कोई रोल नहीं है किसी भी प्रकार से नहीं और ना ही उनके परिवार वालों है और ना ही कोई चार्जशीट पेश की गई है सीबीआई के द्वारा नाही, प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा

और ना ही सीबीआई के द्वारा दर्ज की गई एफआईआर का मुझसे कोई रिलेशन है कोई भी प्रमाण नहीं है मेरे खिलाफ और मेरे पुत्र के खिलाफ आरोप सब झूठ है और सच्चाई सामने आएगी

अरे चिदंबरम जी ऐसी कई f.i.r. हो चुकी हैं हमारे देश में जिनका सीधे साधे लोगों के साथ कोई तालमेल नहीं होता ना ही कोई शिकायतें होती हैं ना ही उनकी सुनवाई होती है 5 साल या 10 साल या 15 साल के बाद न्यायिक इंक्वायरी में भी बरी तो हो जाते हैं पर तड़पते बिल्कुल ऐसे ही हैं जैसे कि आप अभी तड़प रहे हैं यह गलती आप ने की थी, आपने अपनी सरकार के दौरान नियम कानूनों को पारदर्शी बनाने में भूल की थी, उसका नतीजा आम आदमी के जैसे झेलना पड़ रहा है और सच्चाई तो 5 साल बाद सामने आएगी फिलहाल तो आप को झेलना है, आग का दरिया है तैर के जाना है

चिदंबरम ने बताया अपनी पीड़ा दायक स्वर में, कि मैं कानून का सम्मान करता हूं और मैं इन्वेस्टिगेशन एजेंसीओं से भी उम्मीद करता हूं कि वह भी कानून का सम्मान करेंगे और जांच निष्पक्ष रुप से संधारित होगी

अब चिदंबरम जी आपको तो पता ही होगा ऐसे कई केस रजिस्टर्ड हो जाते हैं राजनैतिक पार्टियों के जब पाला बदल जाता है सरकारें बदल जाती हैं तब सारे केस वापस भी हो जाते हैं जो शासन अपने स्तर पर वापस ले लेता है यह पॉलीटिकल गेम भी राजनेताओं के द्वारा ही किया जाता है परंतु जाते-जाते कई लोगों का भविष्य खराब हो जाता है कई लोग सरकारी नौकरियां पाते पाते रह जाते हैं कई लोगों पर प्रकरण दर्ज होने के बाद दाग लग जाते हैं कई लोगों की प्रेस्टीज धूमिल हो जाती है कई लोगों का परिवार टूट जाता है आपने तो मीडिया के सामने आकर अपनी पीड़ा की कई ऐसे गरीब मोहताज लोग भी होते हैं जिन्हें बोलने का मौका भी नहीं मिलता सीधे उठा कर जेल भेज दिया जाता है वह भी केवल जांच के नाम पर आज जांच के नाम पर चिदंबरम जी को पीड़ा हो रही है इसका हमें खेद है


अगर न्यायाधीशो की विवेक बुद्धि अनुभव जजमेंट का भय न हो तो, कानून व्यवस्था धूमिल हो जाये.

JITAINDRA MAKHIEJA