संसद के बनाये कानून के विरोध में, कमलनाथ+कांग्रेस+कैबिनेट ने CAA के खिलाफ में संकल्प किया पारित, प्रदर्शनकारियो को शांत करवाने का एक प्रयास - News Vision India

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संसद के बनाये कानून के विरोध में, कमलनाथ+कांग्रेस+कैबिनेट ने CAA के खिलाफ में संकल्प किया पारित, प्रदर्शनकारियो को शांत करवाने का एक प्रयास


भोपाल :-  CAA के खिलाफ कैबिनेट में संकल्प पारित.... ,मप्र सरकार ने CAA को वापस लेने के लिये किया संकल्प पारित ...

जो कानून राष्ट्रपती के द्वारा, देश की आम जनता पर, अनुमोदित कर, प्रभावशील कर दिया जा चूका है, उसके सिर्फ विरोध में ही, औपचारिक कार्यवाही /प्रोटेस्ट/ असंतुष्टता जाहिर की जा सकती है, , इसके अतिरिक्त, उस कानून को ना मानने के लिए कोई संकल्प , अध्यादेश, असाधारण एडवाइजरी, जारी नही की जा सकती, इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है, कई याचिका कर्ताओ ने, अपने अपन तर्कों के साथ याचिका मान सर्वोच्च न्यायलय में प्रस्तुत की है, निर्णय CAA 2019 में / केद्र सरकार के पक्ष में ही आयेगा, इसकी सम्भावनाये प्रबल है, कमलनाथ ने माइनॉरिटी को मैनेज करने जारी किया संकल्प पत्र    


कांग्रेस का संकल्प पत्र 
शासकीय संकल्प पंथनिरपेक्ष भारत के संविधान की आधारभूत अवधारणा है जिसे बदला नहीं जा सकता। संविधान की उद्देशिका में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है। साथ ही संविधान का अनुच्छेद 14 देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों के समानता के अधिकार और कानून के अंतर्गत समानता की गारंटी प्रदान करता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) जिसे दिसम्बर 2019 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया है के द्वारा धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद के प्रावधान वर्णित है। यह संविधान में प्रावधानित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है। भारतीय संविधान के अंगीकृत करने के बाद यह पहला अवसर है जब धर्म के आधार पर विभेद करने के प्रावधान संबंधी कोई कानून देश में अधिनियमित किया गया है। इससे देश का पंथनिरपेक्ष स्वरूप एवं सहिष्णुता का ताना बाना खतरे में पड़ जायेगा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, में ऐसे प्रावधान क्यों किये गए है यह लोगों की समझ से परे है, साथ ही जनमानस में आशंका को भी जन्म देता है परिणामस्वरूप देशभर में इस कानून का व्यापक विरोध हुआ है एवं हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस कानून के विरोध में निरंतर प्रदर्शन देखे गये हैं जो कि शांतिपूर्ण रहे हैं और जिनमें समाज के सभी वर्गो के लोग शामिल रहे हैं।

इन तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में यह स्पष्ट है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, संविधान की आधारभूत विशेषताओं एवं समानता के उपबंधों का उल्लंघन करता है। इसलिए संविधान के मौलिक स्वरूप एवं मंशा के अनुरूप, धर्म के आधार पर किसी भी तरह के विभेद से बचने के लिए एवं भारत में समस्त पंथ समूहों के लिए कानून के समक्ष समानता को सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश शासन भारत सरकार से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को निरस्त करने के लिए आग्रह करता है।

साथ ही मध्यप्रदेश शासन, भारत सरकार से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को निरसित2 करने के साथ-साथ जनमानस में उपजी आशंकाओं को दूर करने के लिये, ऐसी नयी सूचनाओं, जिन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) 2020 में अद्यतन करने के लिए चाहा गया है को वापस लेने एवं उसके पश्चात ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के अधीन गणना करने का कार्य हाथ में लेने का आग्रह करता है |