बिहार
के जहानाबाद में एक 3 साल के बच्चे की एंबुलेंस न
मिल पाने के कारण मौत हो गई, अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस
सर्विस देने से इनकार कर दिया था , बच्चे के पिता ने आरोप
लगाया कि अस्पताल ने बीमार बच्चे के लिये एंबुलेंस सर्विस देने से मना कर दिया,
जहानाबाद के जिला मैजिस्ट्रेट नवीन कुमार ने
कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन इस
खबर में सच्चाई पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी,
जहानाबाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक नाकाबिल जिला
मजिस्ट्रेट को पदस्थ किया था आज सेवा
में कमी और लापरवाही के कारण एक बच्चे ने अपनी मां के गोद में दम तोड़ दिया,
पूछे जाने पर पत्रकार वार्ता में नवीन कुमार के द्वारा बताया गया है
कि मामले की जांच की जा रही है और दोषियों को निश्चित रूप से दंडित किया जाएगा,
फिलहाल इसमें नवीन कुमार के द्वारा गैर
इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना मुनासिब नहीं समझा और
सेवा में कमी लापरवाही के तहत भारतीय दंड विधान की धारा 166 b
अंतर्गत मामला दर्ज करने की जहमत नहीं समझी, और The Clinical Establishments (Registration and
Regulation) Act, 2010 अंतर्गत हॉस्पिटल के पंजीयन
निरस्तीकरण के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की और ना ही उसकी संभावनाओं को प्रकट
किया,
यही एक छोटा सा मामला तबलीगी जमात का आया और उसके खिलाफ
सारी इंक्वायरी चालू हो गई, क्या बोल है
या नहीं क्या उसकी बिल्डिंग रजिस्टर्ड है या नहीं, कितने लोग
उस में बाहर से आए थे, जमात ने अनुमति मांगी थी कि नहीं वगैरा-वगैरा कई प्रकार के मामलों में जांच चालू हो गई,
परंतु इस बच्चे ने दम तोड़ दिया है इस के जिम्मेदारों को फ़िलहाल इस
दशक में कोई सजा नहीं मिल पाएगी
ऐसा ही एक हिस्सा है अगर वह हकीकत में तब्दील हो जाता, यही नीतीश कुमार के
परिवार से अगर किसी बच्चे की ऐसी मृत्यु होती / जदयू का कोई नेता इस घटना का
शिकार हुआ होता, तो अभी तक प्रशासन को हिला दिया गया होता और तत्काल निलंबन की
लिस्ट जारी हो गई होती, यह असफलता है नितीश कुमार की, जिसके होने से सुशासन की डींगे मरने में कोई कमी नहीं की है, निश्चित रूप से इस
सरकार को रिपीट नहीं आना चाहिए, जनता को यह विषय समझना चाहिए अरे सरकार को जड़ से
उखाड़ फेंकने की तैयारियां से शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि
यह ऐसे मुद्दे हैं जिनकी जानकारी जनता तक नहीं होती है चुनाव के समय केवल मैनेजमेंट के आधार पर आम जनता को झूठे जुमले सुनाकर और
आश्वासन देकर वोट हथिया लिये जाते हैं जिसका खामियाजा आज
जनता को ही भुगतना पड़ता है इसीलिए कभी किसी eg:- ``बंदर के हाथ में तलवार नहीं देनी चाहिए जो तहस नहस कर देगा पूरे आंगन को``
डीएम साहब की ऑफिशियल कार्यप्रणाली, शासन के आदेशों के समय पर कंडिका वार निर्देश अनुसार पालन एवं जनहित से संबंधित कार्यों के अपडेट के संबंध में कोई आगे होता भी है कि नहीं, या इसी का अभाव इस लापरवाही का मुख्य स्रोत है,