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एक सोचा समझा फ्रॉड रिंगिंग बेल कंपनी का फ्रीडम 251 मोबाइल

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Fraud Case Of Ringing Bell Company Freedom 251 Mobile Beware Of This

साल 2016 की शुरुआत में रिंगिंग बेल नाम की कंपनी ने अनाउंसमेंट की उन्होंने अनाउंस किया कि उसे टू हंड्रेड फिफ्टी वन रेंज में एक स्मार्टफोन लॉन्च करने वाले हैं जिसके फीचर्स कुछ इस तरह हैं उनको थ्री गीगाहर्ट्ज क्वाड कोर प्रोसेसर वन जीबी रैम 1 जीबी इंटरनल मेमरी साथी उस माडर्न रेडी टू जीबी तक एक्सटर्नल मेमरी सपोर्ट करेगा उसकी बैटरी रहेगी फोल्डिंग हिडन फ्लिप की इमेज। ये सब सिर्फ स्टूडेंट फिटमेंट 251 रुपए के प्राइस पर। साथ ही कंपनी की 600 से भी ज्यादा सर्विस सेंटर्स रहेंगे


साल 2015 - 16 की वो पीरियड था जिसमें मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया इन प्रोजेक्ट्स को लॉन्च किया गया था । फंड ने अलग अलग तरीके से प्रमोट भी कर रही थीं और ये जो रिंगिंग बेल का फ्रीडम टू फिटनस स्मार्टफोन है उसने बिन कैम्पेन का फायदा लिया । उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट को एक गवरमेंट प्रोजेक्ट दिखाने की कोशिश की । रिंगिंग बेल्स के सीईओ मोहित गोयल ने कहा कि मनोहर पर्रिकर जो कि डिफेंस मिनिस्टर थे, वो इस स्मार्टफोन को लॉन्च करेंगे । जब इवेंट शुरू हुआ तब लोग मिशन मनोहर पर्रिकर के आने का इन्तजार कर रहे थे लेकिन इवेंट पूरा हो गया फिर भी वो नहीं आए । उसी इवेंट के एंकर ने कहा कि मनोहर पर्रिकर को एक कैबिनेट मीटिंग में जाना था जिसकी वजह से वो यहां पर आने पाए तो प्रोडक्ट लॉन्च पर उन्होंने बीजेपी के नेता मुरली मनोहर जोशी को बुलाया तो कंपनी ने सारी कोशिश की जिससे ये लगे कि गवर्मेंट बैक प्रोजेक्ट है । अगर कोई कहेगा कि हम इतने सारे फीचर्स 251 रुपये में देंगे तो हर किसी को लगेगा कि ये तो फ्रॉड है ।


रिंगिंग बेल के मैनेजमेंट को पता था कि अगर हमें लोगों को विश्वास दिलाना है तो यही दिखाना पड़ेगा कि ये प्रोजेक्ट गवर्नमेंट से जुड़ा प्रोजेक्ट है, तभी लोग इस पर विश्वास करेंगे और इसके लिए पेमेंट करेंगे. तो कंपनी की इस अनाउंसमेंट के बाद और फ्रीडम टू फिफ्टी उनका प्रोटोटाइप लॉन्च करने के बाद मेनली दो टाइप्स के ग्रुप बन गए । एक तो वो लोग जिन्होंने इसकी ओवरसीज कंपनी की डिटेल्स और सारी चीजें देखने के बाद ही पता कर लिया कि फ्रॉड होगा, इसलिए उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया । उन्होंने सोचा कि ऐसी स्कीम्स तो आती जाती आती हैं. जो लोगों को फंसाने में लगी रहती हैं । अगर ये प्रोजेक्ट सही नहीं सही है तो पहले प्रोडक्ट लॉन्च होने देते हैं, लोगों के पास डिलीवर होने देते हैं और फिर इसके बारे में सोचते हैं. तो लोगों को पता था कि फ्रीडम 251 में स्मार्टफोन मिलना एक इम्पॉसिबल नहीं है ।


वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी लोग थे जिन्हें लगा कि शायद ये फ्रॉड हो सकता है लेकिन ढाई सौ रुपये की तो बात है तो जरूर ट्राई करके देखते हैं और इसलिए उन्होंने इस फोन की बुकिंग की. तो जैसी कंपनी ने अपने स्मार्टफोन को प्रोडेक्ट लॉन्च किया उसके बाद उन्होंने अपने प्रोडक्ट की प्री बुकिंग शुरू की । इस प्री बुकिंग में कैश ऑन डिलीवरी एलिजिबल नहीं थे । जिन लोगों को भी प्री बुकिंग करनी है उन्हें इस फोन की पूरी प्राइस एडवांस में ही पे करनी होगी । अब रिंगिंग बेल कोई मोबाइल फोन नहीं था जो अपना नेक्स्ट वर्जन का प्रोडक्ट ला रहा है और इसकी प्री बुकिंग ले रहा है । रिंगिंग बेल्स एक नई कंपनी थी जिसको स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का कोई एक्सपीरियंस नहीं था । उसकी बिजनेस कभी कोई एक्सपीरिएंस नहीं था। साथ ही कंपनी की जो मैनेजमेंट उनके बारे में भी किसी को कुछ भी जानकारी नहीं थी ।


जब कंपनी प्रीबुकिंग शुरू की तो कंपनी के पास मोबाइल फोन के डीलर्स कोई भी सेटअप नहीं था ना ही उसकी डिलीवरी का सेटअप था । कंपनी ने बस लोगों को कहा कि वो हरिद्वार और नोएडा में कंपनी के असेंबली प्लान सेटअप करेंगे जो मैन्युफैक्चरिंग के लिए मटीरियल लगेगा । चाइना से इम्पोर्ट किया जाएगा और इन दो प्लांट्स में उन्हें असेंबल किया जाएगा । जब कैपिटल की बात हुई यानी उनसे पूछा गया इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए उनके पास पैसा कहां से आएगा । पुरी ने कहा कि उनके पास कुछ इनवेस्टर हैं साथ ही डेट और इक्विटी फण्ड से पैसा रेज करेंगे । उन्होंने कहा कि प्रमोटर फैमिली का एक काफी बड़ा एग्री कमोडिटी बिजनेस है जिसके चलते प्रमोटर्स अपना काफी सारा पैसा इस कंपनी में डालने वाले हैं. लेकिन बाद में पता चला कि रिंगिंग बेल के प्रमोटर्स गोयल फैमिली का कोई भी एग्री कमोडिटी बिजनेस नहीं है । उनका बस यूपी के शामली डिस्ट्रिक में एक छोटा सी किराना दुकान है ।


फ्रीडम टू फिफ्टी स्मार्टफोन ऑफर को काफी ज्यादा रिस्पॉन्स मिल गया । रिस्पॉन्स इतना ज्यादा था कि उनके ऑर्डर्स ओवरलोड लोड हो गए जिसकी वजह से वो और नया ऑर्डर नहीं ले पाए. तो प्री बुकिंग में रिंगिंग बेल ने करोड़ रुपए कलेक्ट कर लिए । अब अमाउंट तो कलेक्ट कर लिया, उसके बाद दौर शुरू हुआ डिलीवरी का, तो शुरुआत में लोगों को बताया गया कि उन्हें जल्दी प्रोडक्ट डिलीवरी मिल जाएगी लेकिन टाइम पर डिलीवरी नहीं मिली । उसके बाद डेट एक्सटेंड करके 30 जून कर दी गई कि 30 जून तक सारे लोगों को अपने मोबाइल फोन्स मिल जाएंगे लेकिन 30 जून को भी लोगों को स्मार्टफोन नहीं मिला जिसकी वह डेट और एक्सटेंड कर दी गई और सिक्सटीन को भी उनको स्मार्टफोन नहीं मिले । डेट्स आगे बढती चली गई और लोगों को उनके प्रोडक्ट डिलीवरी कभी मिली ही नहीं । आज की डेट तक लोगों को प्रोडक्ट डिलीवरी नहीं मिली है ।


डिलीवरी न मिलने की वजह से अब लोगों ने कमेंट करना शुरू किया । कुछ लोगों ने कंप्लेन की, कि उन्होंने स्मार्टफोन नहीं मिला और ज्यादातर लोगों ने कंप्लेन करना भी सही नहीं समझा । उन्होंने सोचा कि चलो ढाई सौ रुपये की तो बात ही छोड़ देते हैं । उसके बाद जब कंपनी पर प्रेशर डाला गया कि प्रोडक्ट की डिलीवरी क्यों नहीं कर रहे हो । इसपर कंपनी ने ये कहना शुरू कर दिया कि उन्हें इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए गवर्मेंट से 50 हजार करोड़ रुपए चाहिए होंगे । लेकिन गवर्नमेंट ये फंड नहीं दे रही है जिसकी वजह से अपने प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ा रही है । लेकिन खासबात ये है कि जब इस प्रोडक्ट की प्रीबुकिंग शुरू हुई थी और जब प्रोडक्ट का प्रोटोटाइप दिखाया गया तब इस बारे में बात नहीं हुई थी उसमें किसी भी गवरमेंट सपोर्ट की बात नहीं हुई थी । उसमें तो कंपनी ने कहा था कि जो भी कैपिटल लगेगा वो उसे डेट इक्विटी फण्ड से करेंगे और काफी सारा फंड कंपनी के प्रमोटर ही इसमें डालेंगे ।


प्रोडक्ट डिलीवरी की डेट्स 21 तक पोस्टपोंड होती चली गई लेकिन उसके बावजूद बिना असेम्बली सिस्टम का पता था ना ही असेंबली का जो मटीरियल होता है उसका पता था । कंपनी ने कहा कि उन्होंने वी टेक्नोलॉजी मिनट्स टेक्नोलॉजी को प्रोजेक्ट आउटसोर्स कर दिया है । जब कंपनी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने रिंगिंग बेल से ऐसी कोई भी ऑर्डर रिसीव नहीं किया है । एक्चुअली जब प्रोडक्ट लॉन्च हुआ था तभी कई सारी असोसिएशंस और लोगों ने इसे फ्रॉड के तौर पर डिक्लेयर कर दिया था और इससे दूर रहने के लिए कहा था टेलीकॉम मिनिस्ट्री के अनुसार ऐसे किसी भी प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट 3000 रुपए से कम नहीं होगी पर ऐसे में कोई अपना प्रोडक्ट 251 रुपये में कैसे बचेगा तो इस पर रिंगिंग बेल का ने कहा था कि वह बहुत ही अलग स्केल पर काम कर रहे हैं और बहुत ज्यादा पब्लिक को अपने मोबाइल फोन बेच रहे हैं । साथ ही न्यूज मार्केटिंग टेक्निक यूज कर रहे हैं जिसकी वजह से उनकी प्रमोशनल कॉस्ट और मार्केटिंग कॉस्ट काफी कम है । उन्होंने ये भी कहा कि वह इनबिल्ट ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं और जिन ऐप्स को मोबाइल फोन्स में इनबिल्ट करेंगे उनसे वे कुछ कमीशन लेंगे ।


जनरल हम देखते हैं कि जितने भी स्मार्टफोन कंपनी है उनमें से ज्यादातर कंपनीज इनबिल्ट एप्स देती हैं लेकिन उनमें इतना कमीशन नहीं है कि कोई मोबाइल फ़ोन ढाई सौ रुपये में दे दे । एक्चुअली कंपनी ने जब अपना प्रोडक्ट लॉन्च किया तो इवेंट फ्रॉड था क्योंकि जिस इवेंट में इस प्रोटोटाइप को दिखाया गया उस स्मार्टफोन फ्रीडम 251 नहीं था । वो एडकॉम जो कि एक चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी है उसका आइकन फोर मॉडल था. उस स्मार्टफोन पर जहां पर मॉडल नेम पर वाइटनर लगाया गया और उसके ऊपर फ्रीडम 251 लिखा गया.


बाद में जब लोगों ने कंपनी पर प्रेशर डालना शुरू किया । क्या हमारे पैसे रिफंड कर दो, तो उसके बाद कंपनी ने बोला कि उन्होंने उनकी पेमेंट गेटवे को कह दिया है कि पेमेंट रिफंड करने के लिए। लेकिन असल में ऐसा नहीं हुआ और चूंकि अमाउंट छोटी थी इसलिए लोगों ने भी इसे ज्यादा सीरियसली नहीं लिया । बाद में कंपनी बंद हो गई और जो प्रमोटर्स लोग भी गायब हो गए । फिर साल 2017 में रिंगिंग बेल्स के फाउंडर मोहित गोयल को अरेस्ट कर लिया गया और जेल भेजा गया । उन्होंने सब लोगों को ही नहीं बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी फंसाया । उन्होंने फ्रीडम टू फिफ्टी उनके डिस्ट्रीब्यूटर्स को चुना और उन्हें कुछ अमाउंट डिपॉजिट करने को कहा लेकिन जब बाद में प्रोडक्ट लॉन्च नहीं हुआ तो शिवा डिस्ट्रिब्यूटर्स कंपनी से पैसा वापिस मांगने लगे । पर कंपनी ने वो पैसा उन्हें रिटर्न नहीं किया और डिस्ट्रिब्यूटर्स के अमाउंट लोगों जैसा छोटा मोटा अमाउंट नहीं था। उन्हें लाखों में पैसा जमा किया था । कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स ने 15 तो कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स ने 20 लाख रुपये जमा किए थे. जिसके बाद उन्होंने कंप्लेंट करना शुरू कर दिया और उन कंप्लेंट्स के बेसिस पर मोहित गोयल को अरेस्ट कर लिया गया ।


रिंगिंग बेल्स ने कॉल सेंटर को भी पेमेंट नहीं किया. जिसके चलते उन्होंने रिंगिंग बेल के खिलाफ कंप्लेन फाइल की । इस केस में सुमित गोयल को बाद में बेल मिल गई जिसके चलते वो जेल से बाहर आ गए लेकिन जल्दी उन्हें फिर से अरेस्ट कर लिया गया । एक रेप का केस हुआ, जिसमें 5 लोगों पर रेप का आरोप था, तो मोहित गोयल ने उनमें से एक परिजन को इस पूरी केस को सेटल करने के लिए पैसा मांगना शुरू किया. तो इस पर उसने पुलिस को फोन किया कि कुछ लोग उनसे पैसा मांग रहे हैं । जिसके बाद पुलिस ने प्लान बनाया जिसमें मोहित गोयल को रंगेहाथ पकड़ा गया तो इस तरह वो फिर से जेल में चले गए.


तो ये थी फ्रीडम टू 251 स्मार्टफोन स्कैम का पूरा मामला.


Contact: Dr. Siraj Khan 9589333311


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