उपायुक्त राकेश आयाची नगर निगम जबलपुर कैसे बना अपर आयुक्त, अभी तक निलंबित क्यों नही किया गया, गुलज़ार होटल शादी समारोह से कोरोना डिस्ट्रीब्यूशन कांड का मुख्य जिम्मेदार - News Vision India

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उपायुक्त राकेश आयाची नगर निगम जबलपुर कैसे बना अपर आयुक्त, अभी तक निलंबित क्यों नही किया गया, गुलज़ार होटल शादी समारोह से कोरोना डिस्ट्रीब्यूशन कांड का मुख्य जिम्मेदार


जब पुलिस किसी को जुआ के फड से पकड़ लेती है या वाहन चोरी के मामले में गिरफ्तार कर दी है या किसी अन्य चोरी के मामले में गिरफ्तार करती है या किसी अन्य अपराधिक मामले में गिरफ्तार करती है तो प्रेस कांफ्रेंस करके उसका नापाक चेहरा जनता को दिखाती है, और बताती है यह वह समाज द्रोही है जो समाज के लिए घातक है यह समाज के बीच में रहते हैं इन्हें पहचानिये, इनसे सतर्क रहिए सजग रहिए दूर रहिए यह जहां कहीं भी आपको मिले इनसे दूर रहिए, वैसे ही हमारी भी एक पहल है

जब भी अपने कार्यकाल में अतिक्रमण दस्ते में पदस्थ रहा है, कई प्रकार के भ्रष्टाचार इसने किया, अतिक्रमण से संबंधित कई फाइलों को अपने पास दबा के रखा है, कईयों के घर उजड़ गए नगर निगम को चक्कर लगाते हुए, पर इस व्यक्ति ने कभी किसी की नहीं सुनी और ईश्वर की ऐसी मार पड़ी इस पर किकि इसके छुपे हुए घिनौने चरित्र ने समाज में सारे शहर में इसने नाम एक बार में कमा लिया, अब इसके अपर आयुक्त हो कर रिटायर होने का गुमान नष्ट हो गया , रिटायरमेंट के बाद अब ये अपने घर के नही लिख पायेगा  ``पूर्व अपर आयुक्त नगर निगम`` ये पद अभिशाप हो गया इसके लिए, इसके जीवन की पूरी कीर्ति  एक ही झटके में नष्ट कर दी गई  यह का प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का एक छोटा सा उदाहरण मात्र है

इसके कार्यालय में अतिक्रमण से संबंधित सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज होने वाली सैकड़ों शिकायतों के फर्जी निराकरण इसने दर्ज किए है की उसके चरित्र का पूरा वर्णन इसने खुद लिखा है

 अपर आयुक्त कैसे बना राकेश अयाची संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास जबलपुर कार्यालय में चल रही जांच में 24/4/ 2019 को जारी पत्र में आयुक्त नगर निगम को शिकायत क्रमांक 1671 / 2018 संलग्न करके भेजी गई थी, जिसमें वित्तीय घोटाले से संबंधित जांच का जिम्मा आयुक्त नगर निगम आशीष कुमार को सौंपा गया था, और उनको यह पत्र संबोधित था, ऐसी ही एक कंप्लेन थी जो कंप्यूटर ऑपरेटरों के संबंध में जारी की गई निविदा जो दिसंबर 2017 में ऑनलाइन जारी की गई थी, जिसका निविदा क्रमांक 2889 था, जिसमें पात्र और अपात्र, योग्य और अयोग्य की समीक्षा को छोड़कर संयुक्त रुप से निर्णय लेने वाली कमेटी के बगैर निर्णय पारित किए अच्छा खासा लाखों का भुगतान अयोग्य-अपात्र को कर दिया गया था

फिर भी इसमें मेयर इन काउंसिल के द्वारा स्वीकृति दी गई और नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय के पत्र के अनुसार राकेश अयाची उपायुक्त नगर निगम जबलपुर को अपर आयुक्त के पद पर पदोन्नत कर दिया गया, यह अनारक्षित वर्ग से है, जो सर्वोच्च न्यायालय में प्रमोशन के मामले में दायर एसएलपी क्रमांक 13954/2016  के निर्णय के अधीन है

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में या विचाराधीन प्रकरण में कहीं भी ऐसी कोई बात नहीं लिखी है कि भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपी को ससम्मान वेतन में बढ़ोतरी और पद में पदोन्नति दी जाए
आम जनता को यहीं से समझना चाहिए अधिकारी करें तो चमत्कार और तुम करो तो कानून का उल्लंघन.............और चालान

राकेश अयाची के खिलाफ संभाग आयुक्त कार्यालय में प्रस्तुत की गई निलंबन हेतु शिकायतों पर कई पत्र जारी किए गए हैं, परंतु उनका कोई जवाब राकेश अयाची के द्वारा या नगर निगम उपायुक्त के द्वारा आज तक नहीं दिया गया है. अतिक्रमण विभाग में बतौर उपायुक्त पदस्थ रहे हुए राकेश अयाची के द्वारा जी भर के भ्रष्टाचार किया गया है ,

भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं की गई थी, इनसे काम कराने के लिए  श्रीमान पूर्व  चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जब वे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पदस्थ रहे, उनके द्वारा एक न्याय आदेश पारित किया गया था, जो समूचे मध्य प्रदेश की जनता के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रतीक होता है, जिसमें माननीय ने व्यक्त किया था, कंटेंप्ट आफ कोर्ट के प्रकरण में, कि प्रशासन का गठन आम जनता को सेवा प्रदान करने के लिए किया गया है,  जो राशी कर के रूप में जनता से प्राप्त की जाती है और राज्य के विकास के लिए खर्च की जाती है, जिसमें सरकार योग्य अधिकारियों की नियुक्ति करती है, जिनसे जनता सेवाओं की अपेक्षा करती है, और जब जनता की सेवाओं की उपेक्षा होती है, तब जनता कोर्ट आती  है, और जब कोर्ट से कोई आदेश पारित होता है, तो उसका बाद पालन करना प्रशासन का उत्तरदायित्व है, और जब यह उत्तरदायित्व प्रशासनिक अधिकारी भूल जाता है, तब उसे याद रहना चाहिए, 7  हो या 70 पर जब कानून की तलवार चलेगी तो सब पर एक समान बिजली की धार के जैसे गिरेगी

बस यही आम आदमी मार खा जाता है, क्योंकि वह हाई कोर्ट का जज नहीं है, वह आम आदमी है, उसके द्वारा कितने भी प्रमाण क्यों न दे दिए जाएं, परंतु फिर भी भ्रष्टाचार करने वाले को प्रमोशन मिल ही जाता है, और इसको पदोन्नत करने का महान कार्य में आशीष गुप्ता पूर्व नगर निगम कमिश्नर ने किया था दिनांक 3 अगस्त 1 जनवरी 2020,

रही बात करोना फैलाने की , जिसका माध्यम राकेश अयाची के घर में उनकी पुत्री का विवाह गुलजार होटल में संपन्न हुआ,  जहां पर आए लोगों के सीसीटीवी फुटेज न एकत्रित किए जा रहे हैं, न उन्हें  ढूंढा जा रहा है, बस वह धीरे-धीरे खुद प्रकट हो रहे हैं, और जबलपुर में कोरोना काल में  बढ़ते नंबर जो की गिनती में एक नया लक्ष्य बना रहे.

इसका पूरा खर्चा अयाची से वसूल किया जाना चाहिए, कि जब जिला मजिस्ट्रेट के आदेश हैं, उसके बावजूद आखिर अयाची ने कैसे 50 से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में आमंत्रित किये कैसे और क्यों, DMA U/S 51 TO 60 की कार्यवाही में निलंबित क्यों नही किया गया

जितने लोगों की विवाह में अनुमति थी, उससे ज्यादा तो कोरोनावायरस चुके हैं, अभी तक और ना जाने यह डिसटीब्यूशन सेंटर बना गुलजार होटल का विवाह समारोह कितने लोगों को अपना शिकार बनाएगा,.................

आरोपों के दौर से गुजरते हुए अयाची पर भ्रष्टाचारिओं की कृपा हमेशा से बनी रही है, जिसे निलंबित हो जाना चाहिए था, वह इलाज करवा रहा है, समाज के लिए दयनीय स्थितियों का निर्माण करने वाला यह शिक्षित और प्रशिक्षित लोक सेवक निश्चित ही समाज से बेदखल करने योग्य है