Special News On Ex Governor Death Anniversary By Rizwan Ahmad Siddiqui News Vision Hindi Samachar India video breaking Viral Video Latest News
हमारे नाना (अब्बा मियां)
हमारा उत्तरप्रदेश के बड़े ज़मीदार परिवार से नाता रहा है लेकिन ज़मीदारी के दिन लदे भी अरसा हो गया है इलाहाबाद (प्रयाग) में हमारे खानदानों के यह निशान आज भी मिल जायेंगे। यहाँ अपने एक ऐसे बुजुर्ग का ज़िक्र कर रहा हूँ जिन्होंने बड़े सियासी और प्रशासनिक पद में रहने के बाद भी सम्पत्ति नही बनाई बल्कि विरासत में मिली सम्पत्ति भी न के बराबर बची है।
हर इंसान की ज़िंदगी की तरह मेरे मन मे भी कुछ
हस्तियों की छाप है उनमें से एक हैं हमारे मरहूम नाना मोहम्मद फ़ज़ल साहब 2014
में आज 4
सितंबर के दिन ही वो अल्लाह को प्यारे हो गये थे।
बात उन दिनों की है जब हम युवा थे एक दिन अचानक ख़बर
आई कि उन्हें बीजेपी में शामिल होने का मशविरा दिग्गज नेता Dr Murli Manohar Joshi जी
ने दिया है आदरणीय Dr.
Murli Manohar Joshi जी से हमारे पारिवारिक रिश्ते रहे हैं.
तीज त्योहार और शादी व्याह आदि में उन्हें हम अरसे से आते जाते देखते रहे हैं।
बीजेपी का वह अटल बिहारी वाजपेयी जी का दौर था और नरसिम्हाराव सरकार थी। किसी को
भरोसा नही हो रहा था कि कोई शख़्स जो नेहरू गांधी परिवार के इतने निकट रहा हो कि
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने जिन्हें योजना आयोग का वरिष्ठ
सदस्य बनाया हो (तब प्लांनिग कमीशन में उपाध्यक्ष नही होते थे) वो स्व. राजीव
गांधी के दौर से उपेक्षित होते रहा हो तो कितने बरस यह सब सहता फिर भी उनका यह
फ़ैसला आसानी से गले उतरने वाला नही था लेकिन वह दिन आया कि उन्होंने बीजेपी की
सदस्यता ग्रहण कर ली मै भी उस पल का गवाह बना वो उस दौर के पहले अर्थशास्त्री और
बड़ी मुस्लिम हस्ती थे जिन्होंने बीजेपी का रूख़ किया था। कालांतर में बीजेपी ने
उन्हें उसका प्रतिफ़ल भी दिया अटल जी की सरकार में पहले वह 1999
में गोवा के गवर्नर नियुक्त किये गये और फिर महाराष्ट्र के उनकी क़ाबिलियत और हिकमत
अमली ही थी कि महाराष्ट्र की राजनितिक परिस्थितियों को उन्होंने बख़ूबी सम्भाला।
मुझसे कहा बीजेपी में शामिल हो जाओ
यूं तो मेरे जैसे उनके कई नवासे और पोते थे लेकिन
उन्हें मुझसे कुछ संभावनाएं दिखती थी तब मै UNI में रिपोर्टर था एक दिन उन्होंने
मुझसे पूछा अपने मुस्तक़बिल के बारे में क्या सोचा है.
क्या विक्की की तरह जर्नलिस्म ही करोगे विक्की याने हमारे मामू Rehan Fazal साहब
(BBC) फिर
बोले तुम्हारा तो पॉलिटिक्स में भी काफ़ी इंटरेस्ट था मै उनसे कम बात करता था मैने
चुप्पी तोड़ते हुये धीमे से कहा कि किसी टीवी चैनल में काम करने का इरादा है।
राजनीति रोज़गार नही बन सकती इसलिये इससे किनारा ही बेहतर है। अचानक उन्होंने मुझसे
कहा तुम बीजेपी जॉइन कर लो उनकी इस बात से सन्नाटा खिंच गया और सब लोग कभी उन्हें
तो कभी मुझे देख रहे थे फिर वो बहुत गम्भीरता से बोले हमारे पूरे कुनबे में किसी
का मेरी सियासी विरासत को आगे ले जाने का रुझान नही है और न ही किसी का इंटरेस्ट
है लेकिन मैने महसूस किया है कि हमारे बच्चों सिर्फ़ तुम ही हो जो इसे समझता भी है
और ईमानदारी से कर भी सकता है। मेरा ज़्यादा वक़्त गोवा में बीतता है तुम दिल्ली में
रहो और इस दौर में तुम्हारे जैसे यंग एनर्जेटिक मुस्लिम के लिये बीजेपी में बहुत
स्कोप है मैने उनकी बात सुनी फिर उन्होंने मुझे सोचने का वक़्त दिया। उनके कहने पर
बीजेपी के लिये मेरे नज़रिये में कईं परिवर्तन आये पत्रकार होने के कारण वैसे भी मै
निष्पक्ष रहने की कोशिश करता था लेकिन उनके बार-बार कहने के बावजूद अपने रिटायर हो
रहे सरकारी अफ़सर पिता और घर का बड़ा बेटा होने के कारण मै सियासत से दूर रहना चाहता
था पत्रकारिता में अपना कैरियर आगे बढ़ाने की सोचने लगा था क्योंकि सक्रिय राजनीति
में रहकर कोई दूसरा रोज़गार करना मुश्किल था और सियासत में पैसे कमाना मेरे संस्कार
और पारिवारिक उसूल के ख़िलाफ़ था इसलिये अपने बुजुर्ग की वह सलाह मै मान नही पाया।
उनका व्यक्तिव
बुरख़े के प्रति उनकी स्प्ष्ट राय थी कि बुरख़ा पहनने
की वजह असुरक्षा का भाव दूर करना है लेकिन हिंदुस्तान में ऐसे हालात नही है. इस्लामिक
तरीक़े से अदब से रहो लेकिन इस लबादे को अपनी पहचान मत बनाओ उसका नतीजा यह था कि
मेरी और खालाओ और मामियो लिये नक़ाब व्यक्तिगत पसंद नापसंद तक ही सीमित था. जबकि
नक़ाब ज़मीदारों के परिवार में आम था। कालांतर में मेरी माँ ने मेरी सासू मां से भी
कहा कि नुज़हत के कपड़ों में नक़ाब मत दीजियेगा। यहाँ यह स्प्ष्ट कर दूं कि हम बुरख़े
के विरोधी नही हैं लेकिन उस लबादे का ज़िक्र कर रहे हैं जो पैग़म्बर साहब के दौर में
नही था।
राज्यपाल रहते वो इलाहाबाद कुम्भ के दौर में आये तो
उन्होंने भी गंगा स्नान किया मीडिया ने उनसे पूछा आप भी स्नान कर रहे हैं तो
उन्होंने कहा कि यहाँ मै अपने पुरखों के लिये आया हूँ वो भी कभी हिन्दू रहे होंगे।
राज्यपाल रहते उन्होंने महाराष्ट्र में देह व्यापार
को लीगल करने की हिमायत की थी जिस पर काफी विवाद भी हुआ था,
लेकिन मै आज भी ईमानदारी और दूरअंदेशी से उनका अपनी बात कहने का कायल हूँ.
उन्होंने अपने बच्चों को अपनी ज़िंदगी जीने की आज़ादी दी थी जो उन्हें नापसंद भी हो उसे भी वो थोपते नही थे.
वो कुनबा परस्त थे सपोर्ट करते थे लेकिन चाहते थे कि
हम अपनी क़ाबलियत के दम पर आगे बढ़ें। समय और बात के पाबंद थे एक वाक़या और बताने
योग्य और स्मरणीय है मेरे फ़ॉरेस्ट ऑफ़िसर पिता अपने अफ़सर के साथ अचानक उनके दिल्ली
के सरकारी आवास पर पहुंच गये तब पापा मरहूम Haji Aziz Ahmad Siddiqui की
कान्हा के मुक्की में पोस्टिंग थी। नाना की कोई मीटिंग थी उन्हें जाना था जल्दी
जल्दी उन्होंने साथ मे नाश्ता किया और कहा अज़ीज़ मियां आने के पहले इत्तेला कर दिया
कीजिये जिससे मै अपने प्रोग्राम उस लिहाज़ से तय करूं। अब दोनों इस दुनिया मे नही
हैं लेकिन इस चर्चा ने मेरे पिता के मन मे अजीब सा संकोच पैदा कर दिया और उन्होंने
उनके सरकारी आवास से दूरी सी बना ली यह दूरी राज्यपाल भवन तक भी थी मै तो गया
लेकिन वो नही गये बेशक दोनों एक दूसरे की इज़्ज़त बहुत करते थे निरन्तर राजभवन के फल
तरह तरह के तोहफ़े तो हमारे घर मे स्थान बनाते गये लेकिन फ़ासला बहुत लंबा हो गया।
अपनी उम्र की ढलान में पापा इस मामले में भी नसीहत दी और कहा हर बात को सिर्फ़ अपने
नज़रिये और हालात से ही नही देखना चाहिये दूसरे के हालात और नज़रिये की भी इज़्ज़त
ज़रूरी है।
हत्याकी योजना बनाने वाले गिरफ्तार
योजना आयोग के वरिष्ठ सदस्य के नाते वो विदेश गये थे
उसी दौरान कुछ हथियार बंद उनकी फ़ोटो के साथ पकड़े गये थे इत्तेफ़ाक़ से पहचान करने की
कोशिश के दौरान वह फ़ोटो हमलावर के हाथ गिर गई थी और ख़ुलासा हुआ था कि उनकी हत्या
का इरादा था वो अपने सिद्धांतों से समझौता नही करते थे इसलिये अंतरराष्ट्रीय साजिश
रची गई थी.
मेरे बचपन की यादें हैं माँ इन बातों का ज़िक्र करके भावुक हो जातीं थीं उन्होंने
ब्लिट्ज पेपर बरसों सम्भाल कर रखा था।
संक्षिप्त परिचय
1999
में गोवा के राज्यपाल नियुक्त हुए थे। उसके बाद अक्टूबर 2002
से दिसंबर 2004
तक वह महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे थे।
इलाहाबाद के जमींदारों के एक संपन्न परिवार में जन्में मोहम्मद फ़ज़ल साहब के पिता और हमारे पर नाना ब्रिटिश हुकूमत में दारोगा थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
1977 मे केंद्रीय औद्योगिक विकास विभाग में सचिव नियुक्त हुए थे। 1980-85 के दौरान वह योजना आयोग के वारिष्ठ सदस्य रहे।
वरिष्ठ पत्रकार रेहान फ़ज़ल BBC उनके
भतीजे वरिष्ठ पत्रकार असिस्टेंट डायरेक्टर ऑल इंडिया रेडियो Ritu Rajput बहु
और फ़िल्म स्टार Ali
Fazal भी उनके पोते हैं लेकिन यक़ीन जानिये इन सबने भी
हमारी ही तरह अपनी राह ख़ुद बनाई और चुनी और हमारे बुजुर्गों ने हौसला अफ़ज़ाई की.
हमे उन पर नाज़ है आज भी उनकी वजह से बहुत इज़्ज़त
मिलती है हमारे कुनबे को मुरली मनोहर जोशी साहब जब भी मिलते हैं बड़े स्नेह से कहते
हैं यह मेरे नवासे हैं। एक बार मैं Dr. Manmohan Singh साहब
से मिला तो वो ज़िक्र करने लगे कि मै इलाहाबाद वाले घर पर भी गया हूँ नाना जब योजना
आयोग के सीनियर मेम्बर थे तब डॉ साहब रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे। यही स्नेह Rajnath Singh साहब
से एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मिला और उन्हें पता चला कि मै फ़ज़ल साहब का नवासा
हूँ तो कांफ्रेंस के बाद उन्होंने मुझे नाश्ते में अपने साथ बैठाया। जोशी जी ने तो
बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष Prabhat Jha जी को भी मेरा यह परिचय दिया जिसका
प्रभात जी ने सदैव मान रखा। हमारे बुजुर्गों ने जो माहौल बनाया था आज उसकी दशा और दिशा
पर अक्सर ध्यान जाता है. यह
हमारे बुजुर्गों की शिक्षा और विश्वास ही था जो हमने अपने लिये अलग राह बनाई है
हमे उनकी दुआओं से अपने पैरों पर खड़े होने के बाद कभी उनके सहारे का इस्तेमाल नही
करना पड़ा लेकिन विरासत का अपना फल और आनन्द तो प्राप्त होता ही रहता है।
रिज़वान अहमद सिद्दीक़ी
ग्रुप एडिटर
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