अब शहरवासी भी कहने लगे, बेचारा प्रशासन भी कहां कहां देखे - News Vision India

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अब शहरवासी भी कहने लगे, बेचारा प्रशासन भी कहां कहां देखे

अब शहरवासी भी कहने लगे, बेचारा प्रशासन भी कहां कहां देखे

#Now the residents of the city also started saying, where should the poor administration also look?

जबलपुर । कोरोना के टीके लगाने का अभियान बार बार विफल हो रहा है. पटवारी की आलमारी से लेकर कलेक्टर के कार्यालय तक हर जगह रूटीन फाईलों का ढेर लग रहा है. फ्लाईओव्हर से लेकर गलियों की नालियों तक अधिकांश काम शुरु तो हो गये हैं, लेकिन खत्म नहीं हो रहे है. प्रशासन के जितने भी रूटीन और बुनियादी काम है, वो प्रभावित हो रहे हैं. नगर निगम की सफाई और टैक्स वसूली, जेडीए के निर्माण और स्मार्ट सिटी के विकास कार्य सब बेपटरी हैं. इन विभागों के चक्कर काटती महीनों से परेशान आम जनता अब अधिकारियों को कोसने के बजाय कहते नजर आ रही है की प्रशासन भी कहा कहा देखे.कलेक्ट्रेट में परेशान होते लोग अब हार कर अपनी पीढ़ा व्यक्त करते नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है शासन से प्रशासन से महाआरती करवानी है, सोनू शान का शो करवाना है, फिर तीरंदाजी और खोखो करवाना है, फिर विकास यात्रा निकलवानी है. यह खत्म नहीं होगा और स्वच्छता सर्वेक्षण आ जाएगा. वो जाएगा भी नहीं और चुनाव का ढंका पिट जाएगा. अधिकारी भी दबी जुबान में कहने लगे हैं प्रशासन भी क्या क्या देखे. शासन हमें साल के १२ महीने शोज, ईवेन्ट, यात्राएं, कार्यक्रम में ही व्यवस्त रखता है, रूटीन काम की पेंडेंसी तो बढ़ेगी ही.

अवसाद में आ रहे अधिकारी

इस पूरी अव्यवस्था के नतीजे में सबसे ज्यादा प्रभावित जिला प्रशासन के रूटीन कार्यों की व्यवस्था हुई है. खसरा, नामांतरण जैसे दर्जनों रूटीन कार्य हैं. जो लम्बे समये से पेंडिंग हैं. लोगों को प्रशासनिक कोर्ट की पेशी से साहब के नहीं मिलने पर लौटना आम है. हद यह है की अधिकारी कोर्ट में अपनी पेशी तक पर नहीं जा पा रहे हैं. अधिकारी कर्मचारी अवसाद में आ रहे हैं.

स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी

बीते २ माह में दो बार कोविड वैक्सीनेश अभियान चलाया गया, लेकिन दोनों बार विफल हो गया. अधिकारियों ध्यान नहीं दे रहे. नतीजा कभी नर्स, कभी पैमरामेडिकल स्टॉफ, कभी टेव्नâीशियन हड़ताल कर रहे हैं. शासकीय अस्पतालों और डिस्पेंसरीज की अधिकांश सेवाएं बेपटरी हैं या मनमर्जी चल रही है.

स्वच्छता सर्वेक्षण में करेंगे सफाई

शहर के ७९ वार्डों में से गिनती के वार्डों को छोड़ दिया जाए तो हर जगह सफाई बेपटरी है. वजह मानीटरिंग की कमी, अधिकारियों का ध्यान न देना. रांझी, गोहलपुर, गढ़ा बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कई कई दिन कचरे नहीं उठ रहे. अब यहां जनता भी कहने लगी है, की स्वच्छता सर्वेक्षण में ही अधिकारी आएंगे और सफाई करवाएंगे.