गढ़ा थाना प्रभारी रविन्द्र गौतम की जांच के आधार पर लड़की गुन्हेगार,
निर्भया काण्ड दिल्ली ,की याद दिलाता
एक जबलपुर का केस,
एक मेट्रो बस ड्राईवर साथ कंडक्टर, एक लड़की को
लेके हाईवे की ओर बस दौड़ा रहा, लड़की चिल्ला रही है, चींख रही है, और ड्राईवर की
गति तेज होती जा रही है, अचानक से एक ट्रक बस के सामने आती है धीमी हुयी गती और
लड़की को बस से कूदने मौका मिला,
कुछ दिन पहले एक MBBS की छात्रा को एक
कार ड्राईवर ने इसी रोड पर, अगवाह करने की शर्मनाक हरकत की थी, अनुविभागीय अधिकारी
श्री जैन द्वारा लड़की को मौके पर सहायता दी गयी और थाने ले जाया गया जहा उसकी
प्राथमिकी दर्ज हुई,
आज इस लड़की को स्थानीय लोगो के सामने
थाना प्रभारी ने घिनौने शब्दों में गालिया देते हुए भाग जाने को कहा, घटना है
28-11-2017 की निशा केवट जो सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कालेज में बी पी टी की छात्रा
है, वो दमोह नाका से मेडिकल कॉलेज जा रही थी, लड़की के पास स्टूडेंट पास था,जो की कंडक्टर
ने ले लिया अपने पास रख लिया, वापस मांगने पर दूर ले जाया गया, चलो थोडा आगे चल के
दे देंगे और यहा से शुरू हुआ रास्ता लड़की के गंतव्य और बस के निर्धारित रूट के
विपरीत जाना, विरोध करने पर चिल्लाने पर बमुश्किल एक बाइक सवार के मदद की और लड़की
कूद कर भागी बस से और उक्त स्थान पर जनता के द्वारा पिटाई हुयी ड्राईवर की,
थाना प्रभारी की जांच के
मुख्य बिंदु, जिसके कारन आज तक प्राथमिकी
दर्ज नही हुयी.
बस कहाँ से कहाँ से जा रही थी उसका
रूट क्या निर्धारित है,
लड़की के साथ की गयी अभद्रता कोई अपराध
नही है, जब तक निर्भया काण्ड के समतुल्य न हो,
आवेदन लड़की से नही लिया गया,
प्राथमिकी दर्ज नही की गयी
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तत्काल प्राथमिकी
दर्ज करने हेतु पारित आदेशो की अवमानना
लोक सेवा गारंटी अधिनियम को लोक सेवक
जानते नही, कभी पारित भी हुआ होगा
मुख्य सचिव द्वारा जन शिकायत निवारण हेतु
जारी अधिसूचना का सीधा उलंघन,
लोक सेवा प्रबंधन विभाग द्वारा चलायी
जा रही मुहीम cmhelpline शून्य पर है,
मेट्रो बस ड्राइवरों का चरित्र
प्रमाण पत्र, नही जांचा गया
मेट्रो बस का वर्तमान बीमा और टैक्स
पेड हो रहा है की नहीं, सब रहस्य है
कुछ ही दिन पूर्व शहर के पुलिस अधीक्षक
ने बच्चो और युवतियों को वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष सिखाये थे सुरक्षा के गुण, पर
प्राथमिकी दर्ज कैसे होती है इसकी जानकारी आजतक किसी अधिकारी ने किसी पीड़ित को
सिखाना जरुरी नही समझा, और यह कार्य इतना आसान नही है,
पुलिस थाना गढ़ा अंतर्गत यह हाल ही की
दूसरी घटना है जो शहर को स्तब्ध कर सकती थी, जिस पर समाज में न्याय व्यवस्था और
शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु, कार्यवाही की भीषण आवश्यकता है, परन्तु थाना
प्रभारी गढ़ा, रविन्द्र गौतम ने इस विषय में स्वयं संज्ञान भी नही लिया, उल्टा पीडिता को निंदनीय शब्दों के साथ भगा
दिया, इस विषय में थाना प्रभारी के सम्मिलित होने की संभावनाओ को नकारा जाना उचित
नही है, यह मौन सहयोग सम्पूर्ण न्याय व्यवस्था को चौपट कर रहा है,
पुलिस अधीक्षक मौन है, क्राइम ब्रांच
को खबर मिलती है जुए और सट्टे के दिग्गज कारोबारियों की, समाज को देहला देने वाली
घटनाओ के सम्बन्ध में थाना प्रभारियो द्वारा नही की जा रही कार्यवाही को पुलिस अधीक्षक
तक नही पहुँच पाती है, जब तक वो दरकिनार करने योग्य न हो जाये,
बाईट :- पीडिता
रिपोर्ट्स रुपेश सारवान
ASSTT. EDITOR ;- JITAINDRA MAKHIEJA