आज हमारे देश में ढोंगी बाबाओं का
अम्मार लगा हुआ है. पता नहीं यह कहां से आ जाते हैं और कैसे इतनी बड़ी जनसंख्या को
इतनी आसानी से बेवकूफ बना लेते हैं. कैसे हमारे देश के पढ़े लिखे लोग इस झांसे में
फस जाते हैं. बाद में यही पढ़े-लिखे लोग नुकसान उठाने के बाद दुहाई देने लगते हैं
और न्याय की पुकार करने लगते हैं.
देखा जाए तो धर्म की बागडोर ब्राह्मणों के हाथो में हैं
और सदियों से ब्राह्मण ही है जो धर्म कार्यों का और धर्म के ज्ञान का कार्य करता आया
है. मगर हम यह देखते हैं किसी भी ब्राह्मण ने कोई भी फ्रॉड, धोखा जनता के साथ नहीं
किया और ना ही धर्म के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाया.
यह ढोंगी बाबाओं ने पता नहीं कितने अजीब अजीब से
एलान किए, कोई कहता है कि मैं भगवान का अवतार हु, तो कोई अपने आप को संत, तो कोई ने
तो अपने आपको भगवान ही बता दिया पर भगवान या संत बन नहीं पाए पर अरबपति जरूर बन गए.
गैर ब्राह्मण जब संत बनता है तो आसाराम, रामरहीम, रामवृक्ष, रामकृपाल बनता है
और ब्राह्मण जब संत बनता है तो तुलसीदास एवं शंकराचार्य बनता है. संत की मर्यादा
एवं पवित्रता ब्राह्मणों ने ही बनाई रखी है.
यह हम नहीं कहते, आप अपने आस पास देख
ले की बार बार धर्म का नाम लेकर सबसे ज्यादा चिल्लाने वाला कोई गैर ब्राह्मण ही होगा.
अंत में हम यहीं कहेंगे की चोला बदलकर बाबा तो बन जाओगे पर
ब्राह्मणों वाले संस्कार कहां से लाओगे.