स्टेट हेड न्यूज विजन भानू मिश्रा उत्तर प्रदेश द्वारा सरकार की नयी
राशन वितरण प्रणाली तथा उसके भविष्य पर विशेष प्रस्तुति
सरकार की नयी ई-पोस मशीन राशन वितरण प्रणाली पर विशेष
सुप्रभात-सम्पादकीय
साथियों,
रोटी कपड़ा और मकान मनुष्य जीवन का मूल आधार माना गया
है तथा इसे हर व्यक्ति को उपलब्ध कराना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी होती है। इसीलिए
सरकार गरीब लोगों को यह तीनों सुविधाएं अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध
कराती है। इधर सस्ते कपड़ें की सहकारी दूकानें बंद हो गयी हैं अन्यथा कुछ समय पहले
तक सस्ते मूल्य के कपड़े भी गरीबों के लिये आते थे। इसी
तरह रोटी और मकान भी लोगों को उपलब्ध कराने का कार्य दशकों पहले से हो रहा है। आवासविहीन
लोगों के लिये पहले इंदिरा आवास योजना जिसका नाम बदलकर इस समय प्रधानमंत्री आवास योजना
करके लागत मूल्य में वृद्धि कर दी गयी है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार भी अपनी तरफ
आवासीय योजनाओं को चलाती रहती हैं तथा केन्द्र सरकार ने अगले 2022
तक सभी आवासविहीन लोगों को आवास उपलब्ध कराने का ऐलान किया है। इसी तरह सरकार
लम्बे अरसे से सस्ता गल्ला भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को
उपलब्ध कराती है।
पिछले वर्षों भूख से हो रही मौतों को लेकर सुप्रीम
कोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों लिया था और सरकार को राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा
गारंटी कानून बनाकर पुरानी वितरण प्रणाली की जगह नयी वितरण प्रणाली लागू करनी पड़ी
थी।पुरानी प्रणाली में प्रति कार्डधारक पैतिस किलो खाद्यान्न मिलता था जिससे छोटे
सीमित परिवारों का कम ज्यादा पेट भर जाता था। राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा गारंटी
के तहत प्रति परिवार की जगह प्रति व्यक्ति राशन कर दिया गया है और अब प्रति
व्यक्ति पाँच किलो राशन मिलने लगा है। एक व्यक्ति अकेला तीस दिन के
महीने में कम से कम बीस किलो से ज्यादा राशन खा जायेगा। सरकार की गरीबों को भूखों
मरने से बचाने के लिये चलाई नयी वितरण प्रणाली गरीबों को महीने में पाँच किलो खाकर
जिंदा रहने पर मजबूर करने जैसी है। सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को संचालित एवं
देखभाल करने वालों की खाँऊकमाऊँ नीति के चलते राशन घोटाले से जुड़े तमाम भ्रष्टाचार
में डूबे लोग आजकल कटघरे में खड़े सीबीआई से बचाव के रास्ते ढूंढ रहे हैं।पिछले
वर्षों में तो भ्रष्टाचार के मामले में यह प्रणाली सुपरटाप पर पहुंच गई थी और
मंत्री तक इस भ्रष्टाचार में बदनाम होने लगे थे। एक दौर था जबकि गरीब के राशन की
लूट मची थी और कालाबाजारी का तमाम खाद्यान्न आढ़तों एवं गोदामों में पकड़ा गया था।
नयी वितरण प्रणाली के तहत अब तक सभी परिवारों को कार्ड उपलब्ध नहीं हो पाये हैं और
इंटरनेट पर उपलब्ध सूची से वितरण किया जा रहा है।कोटेदार जितने लोग राशन लेने आते
हैं उन्हें सूची देखकर पाँच किलो दे देता है जो नही आता है उसको भी आया दिखाकर
राशन हड़प लेते हैं।
सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में व्याप्त
भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में पहल की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश के 45
जिलों में ई-पोस वितरण प्रणाली की शुरुआत आगामी अक्टूबर महीने से करने का ऐलान कर
दिया है। प्रदेश के अन्य बचे 30 जिलों में यह योजना आगामी नवम्बर से शुरू होगी। इस
योजना से भ्रष्टाचार पर अंकुश ही नही लगेगा बल्कि तमाम खाद्यान्न सरकार का बच
जायेगा क्योंकि अब राशन उसी को मिलेगा जो खुद चलकर अंगूठा लगाने दूकान पर
जायेगा।अब राशन लेने क लियेे इलेक्ट्रानिक प्वाइंट आफ सेल मशीन पर जाना ही पड़ेगा
चाहे कोई विकंलाग वृद्ध असहाय भले ही क्यों न हो।इतना ही नहीं लगता है कि जैसे
सरकार इस बदनाम वितरण प्रणाली को पूरी तरह धोने पर आमादा हो गई है और आने वाले
महीनों में सरकार का और तमाम राशन बचना शुरू हो जायेगा। आने वाले महीनों में
कार्डधारकों को दूकानदार को गैस की तरह बाजारू मूल्य देना पड़ेगा और अनुदान उसके
खाते में भेजना शुरू हो जायेगा।सरकार की योजना के अनुरूप ई-पोस मशीनों का गाँव की
दूकानों पर पहुंचना शुरू हो गया है।
इसके लिये कोटदारों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षित
करने की शुरुआत कल से हो चुकी है।यह तय है कि सरकार की इस नयी राशन वितरण प्रणाली
से भ्रष्टाचार पर अकुंश लगेगा वहीं जो लोग धनाभाव एवं विवशता में दूकान तक नहीं
पहुंचने वाले हैं उनका बचा राशन कालाबाजारी होने से बचकर सरकार के गोदाम में चला
जायेगा।जिन लोगों ने डुप्लीकेट आधार कार्ड बनवाकर डबल फीडिंग करवा ली है उन्हें
दोहरा राशन नहीं मिल पायेगा। इस नयी ई-पोस वितरण प्रणाली के
संचालन के लिये इंटरनेट की सुविधा जरूरी होती है जो हर जगह हर समय उपलब्ध नहीं
रहता है तथा बहुत बुजुर्ग कामकाजी लोगों के अंगूठे मशीन पर काम नहीं करेगें जिससे
दिक्कत आ सकती है।इसी तरह राशन के लिये पैसों की अतिरिक्त व्यवस्था करना हर गरीब
के लिये निश्चित मुसीबत बन सकती है।
धन्यवाद
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