समदड़िया मॉल के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने दिया स्टे। अब मॉल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी, व जेडीए द्वारा जो तालाबंदी का ड्रामा रचा गया था उसका अंत होते हुए अब खुद जेडीए को ताले खोलने पड़ेंगे.
समदड़िया मॉल की लीज़ मान्य नहीं है?
सहीं, क्योंकि लीज़ के वक्त राज्य शासन की अनुमति
नहीं ली गई थी.
G+7 का निर्माण परमिशन के ख़िलाफ़?
जेडीए ने टेंडर में G+4 की परमिशन दी थी पर G+7 का निर्माण हुआ. अब इसमें
देखने लायक यह बात है कि हाय राइस कमेटी ने इसको स्वीकृत किया था. कलेक्टर जबलपुर
व अन्य उच्चाधिकारियों के द्वारा मीटिंग कर G+4 को G+7 किया गया. इससे यह बात साफ
हो जाती है कि समदड़िया मॉल में जो अतिरिक्त 3 फ्लोर बने हैं
उसका टैक्स व किराया वसूला जा चुका होगा, तो अब कौन सी वसूलीं वो भी किस मद में की
जाती है ये देखने लायक होगा.
क्या 3 फ्लोर तोड़े जाएंगे?
नहीं, उच्च न्यायालय ने साफ कह दिया की अतिरिक्त
3 फ्लोर जो बने हैं उनको #PublicInterest के तहत
गिराया नहीं जाएगा.
क्या निर्माण मिली परमिशन से ज़्यादा
हुआ?
नहीं, समदड़िया मॉल को जो स्वीकृत परमिशन हुई थी
उससे कम पर निर्माण हुआ है.
किराएदारो को निकाला जाएगा?
नहीँ, पर उच्च न्यायालय ने इस पर कह दिया है की
जो मॉल की लीज़ है वो समदरिया बिल्डर की कंपनी से नहीं हो सकती, उसको जेडीए दूसरें
लोगो या कंपनी से करे बिल्डर की सहमति से.
न्यायालय का यह भी कहना है की जेडीए अगर फ्लोर बाय फ्लोर लीज़ करता तो सरकार को ज़्यादा फ़ाएदा मिलता.
लीज़ में राज्य शाशन के नियमों का पालन
नहीं हुआ?
रिजर्वेशन पॉलिसी का मुद्दा न्यायालय में उठाया
गया की मॉल में जो किराएदार होंगे उसमें राज्य शाशन की रिजर्वेशन पॉलिसी का पालन नहीँ
किया, मगर समदड़िया मॉल की तरफ से अपने पक्ष में कहा गया कि राज्य शासन की
रिजर्वेशन पॉलिसी कमर्शियल कंस्ट्रक्शन पर लागू नहीं होती जिस पर उच्च न्यायालय
सहमत हुईं.
अब क्या होगा?
अब इसमें दो काम जेडीए करेगी जैसे कि मॉल का नाम
जेडीए रखेगा व एक नई लीज़ करी जाएगी समदड़िया बिल्डर की सहमति से.
इमानदारी की नौकरी और कर्तव्यों का निर्वहन करने में जमीर और संस्कारों की बलि चढ़ाकर अवैधानिक निर्माण को समर्थन देकर जबलपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने जिस 8 मंजिला इमारत को समदरिया मॉल के रूप में शहर के बीचोंबीच सबसे कीमती जमीन पर बनते हुए देखा और लगभग एक दशक तक अवैधानिक रूप से उसे आम जनता के लिए खोल कर रखा जिस पर जबलपुर के एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा किए गए खुलासों के तहत माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में की गई दायर याचिका पर पारित आदेश के तहत ऊपर के तीन माले खाली करने के निर्देश जारी किए गए तथा समदड़िया मॉल का नाम बदलकर संस्कार मॉल रखने के आदेश पारित किए गए थे जिस पर कार्यवाही चल ही रही थी कि
अचानक से सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे प्रदान करते हुए समदड़िया को राहत प्रदान की है अब वापस समदरिया मॉल का नाम यही चलता रहेगा संस्कार नाम का बोर्ड आज हटा दिया जाएगा और आने वाले दिनों में सुनवाई के बाद इस पर कोई निर्णय हो सकेगा तब तक किस प्रकार से दुकानदारों से वसूली की जाएगी आवंटन पर क्या प्रतिक्रिया रहेगी असमंजस में पड़ चुका है जबलपुर विकास प्राधिकरण इस समय संस्कारों की एक बार बलि देने के बाद यह प्रकरण और भी ज्यादा उलझता ही जा रहा है
इमानदारी की नौकरी और कर्तव्यों का निर्वहन करने में जमीर और संस्कारों की बलि चढ़ाकर अवैधानिक निर्माण को समर्थन देकर जबलपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने जिस 8 मंजिला इमारत को समदरिया मॉल के रूप में शहर के बीचोंबीच सबसे कीमती जमीन पर बनते हुए देखा और लगभग एक दशक तक अवैधानिक रूप से उसे आम जनता के लिए खोल कर रखा जिस पर जबलपुर के एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा किए गए खुलासों के तहत माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में की गई दायर याचिका पर पारित आदेश के तहत ऊपर के तीन माले खाली करने के निर्देश जारी किए गए तथा समदड़िया मॉल का नाम बदलकर संस्कार मॉल रखने के आदेश पारित किए गए थे जिस पर कार्यवाही चल ही रही थी कि
अचानक से सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे प्रदान करते हुए समदड़िया को राहत प्रदान की है अब वापस समदरिया मॉल का नाम यही चलता रहेगा संस्कार नाम का बोर्ड आज हटा दिया जाएगा और आने वाले दिनों में सुनवाई के बाद इस पर कोई निर्णय हो सकेगा तब तक किस प्रकार से दुकानदारों से वसूली की जाएगी आवंटन पर क्या प्रतिक्रिया रहेगी असमंजस में पड़ चुका है जबलपुर विकास प्राधिकरण इस समय संस्कारों की एक बार बलि देने के बाद यह प्रकरण और भी ज्यादा उलझता ही जा रहा है
डॉ. सिराज़ खान न्यूज़ विज़न
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