लखनऊ से स्टेट हेड न्यूज विजन भानू मिश्रा उत्तर प्रदेश की केजीएमसी
मे रूक नही रहा तीमारदारो पर अत्याचार पर विशेष प्रस्तुति
मरीजों व तीमारदारों पर के.जी.एम.सी.के विभागीये कर्मचारियौं का नही
रुक रहा है अत्याचार
उ.प्र.के राजधानी लखनऊ मे बना प्रदेश का सबसे
बड़ा चिकित्सा विश्वविद्मालय व मेडिकल कालेज k.g.m.c. जोकि
शासन व प्रशासन के अनुसार सभी प्रकार के मरीजों के इलाज व जांच के लिए सुविधायुक्त
है। लेकिन सारी सुविधाओ एंव सी.एम एस.जैसे एक वरिष्ट व कुशल व्यक्त के दिशा
निर्देश के बवाजूद इस चिकित्सालय मे कार्यरत कर्मचारी व सुरक्षा गार्डो द्धारा आए
दिन मरीजो व उनके तिमारदारो से रूपये वसूलने मारपीट करने जैसी घटनाऐ घटती रहती है।
गरीब व असहाय मरीज के तीमारदार आते है एक उम्मीद लेकर कि हम लखनऊ मेडिकल कालेज
अपने मरीज को ले चलेगे वहां पर मेरा मरीज ठीक हो जाएगा.लेकिन क्या पता उन
पूर्वाग्रह मे ग्रशित व परेशानहाल मजलूमो को। कि हम जिस दयार पर जा रहे है वहा मदद
के बजाय हमारा आर्थिक व जिस्मानी व दिमागी शोषण करके दौड़ा-दौड़ा कर हमे इतना
परेशान कर दिया जाएगा कि हमे मरीज लेकर भागना पड़ेगा। अब हाल यह है कि विभाग से
परेशान होकर या मरीज को तीमार दार लेकर भाग जाता है या मरीज दम तोड़ देता है अगर
तिमारदार हिम्मत जुटाकर इस प्रताड़ना कि शिकायत किसी डाक्टर या विभागाध्यक्ष से
करता है तो लिखित रूप से प्रार्थना लेकर उसे कार्यवाही का आश्वान दे कर टरका दिया
जाता है। जिससे यह घटनाऐ विकराल रुप धारण कर रही है।
तिमारदार से जब कोई कहता है कि मेडिकल कालेज मे मरीज को देखवा दो तो उसके पसीने छूट
जाते है इस मानवीये र्दनदिगी की शिकायत जब पत्राकारो द्धारा संचालित संगठन
राष्ट्रीय जन जर्नलिस्ट ऐसोसिएशन को मिली तो संगठन के संस्थापक श्री कमरुल हूदा
अपने पदाधिकारी के साथ आज दिनांक 3 अक्तूबर 2018 को मेडिकल कालेज लखनऊ पहुच कर कई विभागों का मरीज बन कर जायज़ा लिया इस
दौरान उनके साथ वही सूलूक हूआ जो रोज मरीजो व उनके तीमारदारों के साथ होता है सारी
पुष्टी के बाद जब संस्थापक महोदय ने अपना परिचय दिया तब चिकित्सा प्रशासन के आंख
खुले फौरन चिकित्सालय के मुख्यचिकित्सा अधीक्षक श्री एस.एन.संखवार के र्निदेश पर
जन संपर्क अधिकारी व रेडियोडाएग्नालोजी के एच.ओ..डी. डाक्टर नीरा कोहली मौके पर
पहुंच कर सिस्टम को सुधारने व दोषी कर्मचारियों के विरुध सख्त कार्यवाही की बात
कही।
वैसे तो जब कोई रंगे हाथ पकड़ा जाता है तो उस
वक्त मामलात को रफा दफा करने के लिए बोल वचन कर लिया जाता है। जिससे विभाग बदनामी
से बच जाए लेकिन जिमेम्दारान यह भूल जाते है कि एक गलती छूपाने का मतलब समाज से
मानवता का हनन करके सुल्ताना डाकू बनाने का दावत दे रहे है। अब देखना यह है कि मरीज
हित मे हकीकत मे चिकित्सा प्रशासन क्या कदम उठाता है।
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