हराम की टैक्स वसूलने नियुक्त डिफाल्टर उप-आयुक्त वाणिज्यिक कर नारायण मिश्र ले रहा फ़ोकट की पगार, सूट बूट पहन नियुक्त है सफेद कालाबाजारी - News Vision India

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हराम की टैक्स वसूलने नियुक्त डिफाल्टर उप-आयुक्त वाणिज्यिक कर नारायण मिश्र ले रहा फ़ोकट की पगार, सूट बूट पहन नियुक्त है सफेद कालाबाजारी


इस भ्रष्ट अधिकारी को दहशत इतनी है अपने कारणों पे कि, गलती से कोई चिल्ला दे पीछे से ``चोर`` तो अधिकारी महोदय पीछे मुड के देख भागने लगते है शर्म के मारे, एक मर्तबा इंटरव्यू लेने गए कैमरामन को देख कर लूज मोशन हो हो गया, जवाबदेही से बचते चेहरा छुपाये फिरते नजर आये  

हजार करोड़ से अधिक के घोटाले पर जांच अभी तक निलंबित, जिम्मेदार भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्र के विरुद्ध IAS पवन कुमार शर्मा मध्य प्रदेश वाणिज्य कर कार्यालय इंदौर के प्रमुख कमिश्नर के द्वारा कार्यवाही करने में असमर्थता जाहिर की गई, उनके द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार प्रकरण की जांच के लिए अतिरिक्त कमिश्नर एन एस मरावी और अतिरिक्त कमिश्नर बसंत कुर्रे  को नियुक्त किया गया है,  इन दोनों अधिकारियों के द्वारा इस पूरे प्रकरण में एक जांच संबंधित पत्र भी जारी नहीं किया गया है, ढील ऐसी बरती  जा रही है, जैसे कभी कुछ हुआ ही ना हो या कुछ करने की इच्छा ही ना हो इस विभाग में पैसे खाकर आदेश पारित करने वाला एक भ्रष्ट उपायुक्त ओम प्रकाश वर्मा आज साल के लिए जेल की चारदीवारी में बंद हो चुका है, भ्रष्टाचार की दूसरी गाज गिरनी है नारायण मिश्रा पर,  परंतु तलवे चाटने में महारत हासिल किए इस भ्रष्ट उपायुक्त की पकड़ मजबूत है ये चाटुकारी इनके द्वारा  इतनी शिद्दत लिहाज से की जाती है, की मालिक खुश हो जाते है, जिससे खुश हो रहे अधिकारी इसके मालिक के जैसे से रोटी उपलब्ध कराते रहने की व्यवस्था को बनाए रखने में निरंतर आशीर्वाद देते रहते हैं, जो निरंतर 6 वर्षो से स्थान्तरण पालिसी के विपरीत एक जबलपुर संभाग के काम दिए हुए है, जो कमाऊ क्षेत्र है 


 इस विभाग से संबंधित अनेक खबरों का प्रकाशन पहले किया जा चुका है जिस पर कार्यवाही या धीरे-धीरे चलती रहती हैं प्रधानमंत्री ऑफिस से भी इस पूरे कार्यक्रम में जांच हेतु पत्र जारी किया गया है परंतु चाटुकारी इतनी ज्यादा हावी है, कि प्रधानमंत्री को भी लॉलीपॉप देने में चूकते  नहीं अधिकारी,  जनता की तरफ अगर देखा जाए तो जब भी कोई सामान्य व्यक्ति इनकी तरफ कोई शिकायत आवेदन या विभाग संबंधित आवेदन लेकर के पहुंचता है,  अगर वह खाली हाथ आता है तो इनका दृष्टिकोण है लगभग ऐसा रहता है.



क्योकि अधिनियम तले इन पर कार्यवाही का अधिकार केवल मालिक को है, जो करेंगे नही

अभी वाणिज्य कर विभाग के कमिश्नर पवन कुमार शर्मा जीएसटी काउंसिल के अधिकारियों के साथ अलग-अलग मुद्दों पर प्लानिंग बनाने में व्यस्त है, यह वही सब प्लानिंग है, जिनका अनुपालन इन के निचले स्तर के अधिकारी कभी नहीं करते उनके द्वारा जारी की गई अधिसूचनाए कचरे के डिब्बे में पड़ी रहती हैं, नाम के कमिश्नर फेल मॉनिटरिंग की आड़ में हर अधिकारी अपने अपने स्तर पर कानून से भय मुक्त होकर काम कर रहा है

फिलहाल संयुक्त संभाग आयुक्त ने जिला कलेक्टर को किया है नियुक्त , जांच में , जो अनावश्यक लंबित है, माह जुलाई 2018 से, स्मरण पत्र पे स्मरण पत्र चल रहे कागज में घोटाले की फाइल हो रही मोटी.