कलेक्टर
जांच प्रतिवेदन पर रुका है, शासन के घोटालेबाज नारायण मिश्रा का निलंबन वाणिज्य कर विभाग जबलपुर
पद के दुरुपयोग में राज्य शासन के राजस्व खजाने को 50 करोड़ से अधिक की क्षति कार्य करने के गंभीर आरोप में लिप्त नारायण मिश्रा के विरुद्ध फरवरी 2018 से जांच जारी है, जिस पर आवेदक के द्वारा आरोपी डिफाल्टर उपायुक्त वाणिज्यिक कर संभाग क्रमांक 1 नारायण मिश्रा के द्वारा की गई अनियमितताओं से संबंधित बिंदु वार जानकारी और एक किराना फर्म को अपनी एमपी टैक्स पोर्टल की आईडी से नाम बदलकर फार्म फोटो अज्ञात ट्रांसपोर्टरों को और व्यापारियों को बेच दिए थे जिसमें करोड़ों की क्षति हुई है जिस के संबंध में राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ के डीजीपी को दिनांक 5 दिसंबर 2018 को प्रथक आवेदन प्रस्तुत किया गया है,जो घोटाले के मूल्यांकन से संबंधित है,
पद के दुरुपयोग में राज्य शासन के राजस्व खजाने को 50 करोड़ से अधिक की क्षति कार्य करने के गंभीर आरोप में लिप्त नारायण मिश्रा के विरुद्ध फरवरी 2018 से जांच जारी है, जिस पर आवेदक के द्वारा आरोपी डिफाल्टर उपायुक्त वाणिज्यिक कर संभाग क्रमांक 1 नारायण मिश्रा के द्वारा की गई अनियमितताओं से संबंधित बिंदु वार जानकारी और एक किराना फर्म को अपनी एमपी टैक्स पोर्टल की आईडी से नाम बदलकर फार्म फोटो अज्ञात ट्रांसपोर्टरों को और व्यापारियों को बेच दिए थे जिसमें करोड़ों की क्षति हुई है जिस के संबंध में राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ के डीजीपी को दिनांक 5 दिसंबर 2018 को प्रथक आवेदन प्रस्तुत किया गया है,जो घोटाले के मूल्यांकन से संबंधित है,
साथ ही पदी दुरुपयोग से संबंधित पिछले 5
वर्षों के निर्वर्तन आदेश और प्रमुख सचिव
कार्यालय से जारी की गई अधिसूचना ओं के अंतर्गत कार्य करने के निर्देशों का भरपूर
ताबड़तोड़ बहिष्कार किया जाकर ऑनलाइन प्रक्रिया की ऐसी तैसी करके मैनुअल आदेश
पारित किए गए हैं जिसमें इस इस भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्रा ने करोड़ों की
हेराफेरी की है, जिसकी जांच का प्रकरण लेगा अरबों की
संपत्तिओं का राज जांच प्रतिवेदन के बाद अगर प्रकरण दर्ज हो जाता है तो भारतीय दंड
विधान की धारा 420, 467,
468, एंटी
करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13 1 और 13, 2-D के तहत प्रकरण दर्ज किया जाएगा जिसमें इस भ्रष्ट आरोपी अधिकारी को कम
से कम 7 साल की सजा होने का अनुमान है
और साथ ही करोड़ों की हेराफेरी में लिप्त अधिकारी का पूरा
फंड जप्त किया जा सकेगा और जांच में संपत्तियों का भी खुलासा होगा जो इसने अपने
पुत्र और साले के नाम से इंदौर में अलग-अलग फ्लैट ले रूप में एकत्रित कर रखी है,
इस भ्रष्ट अधिकारी के विरुद्ध सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की गई थी जिसका नंबर है 6908196 बड़ी
ही चालाकी से इस भ्रष्ट अधिकारी ने अपने अधीनस्थ कर्मचारी से जांच प्रतिवेदन अपने
अनुसार बनवा कर खुद इस शिकायत को बंद कर दिया गया,
इस भ्रष्ट अधिकारी के विरुद्ध सीएम हेल्पलाइन पर
पहले भी कई शिकायतें की जा चुकी है जिसके नंबर है 7434725 और 7228799 और 7908246, जिनका
कर तथ्यात्मक निराकरण अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से बनवा कर बंद करा दिया गया पद के
दुरुपयोग में अन्य और भी कई अनियमितताएं हैं जिसमें कार्यालय में बैठकर रात 2:00
बजे तक रिटायर्ड कर्मचारियों के साथ बैठकर अनर्गल व्यवहारिक और अविधिक संभावित गतिविधियों
में लिप्त रहना अज्ञात व्यापारियों के साथ बैठकर मिलीभगत कर आदेश पारित करने जैसी
राज्य द्रोही गतिविधियों में यह अधिकारी लिप्त रहा है
कार्यालय संभाग आयुक्त से जारी हुए हैं निर्देश जिसमें
कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन सौंपने हेतु नियुक्त किया गया है इस प्रतिवेदन के आते
ही आपराधिक धाराओं के तहत इसके विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने के रास्ते साफ हो जाएंगे , पद के दुरुपयोग की समीक्षा पूरी हो जाएगी और इसका असली घिनौना चेहरा सामने आ सकेगा.
इस जांच प्रतिवेदन के लिए पिछले 3 महीने
से सूचना अधिकार का आवेदन लंबित है, जिस पर चल रही कछुआ गति से कार्यवाही आरोपी
अधिकारी के पद पर बने रहने पर जांच को लगातार प्रभावित कर रहा है, बाद कुछ समय
कछुवा गति की में संदिघ्द स्थिति में एक ओर भ्रष्टाचार का खुलासा होने की सम्भावना
है, जिसमे देखा गया के कार्यालय कलेक्टर में शिकायत शाखा
में इस प्रकरण की फाईल में से महत्वपूर्ण दस्तावेज नदारद है, जिन पर कलेक्टर को
कार्यवाही करना है, आरोपी अधिकारी कार्यालय कलेक्टर में पेंडिंग प्रकरण में अपने
सूत्रों के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज गायब कराये जाने की संभावनाओ को जन्म देता
है, बहरहाल ऐसे गंभीर घोटाले के प्रकरणों में माननीय कलेक्टर
को देरी करना राज्य हित में उचित नही,
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