म.प्र. के CM-को नही मिली हेल्प, खंडित CM-HELPLINE
का मिला पारितोषक, कमलनाथ
को इस्तीफा देना चाहिए, नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए, अगर जन प्रतिनिधि का
स्वाभिमान नही, तो वो जन प्रतिनिधी होने के योग्य कदापि नही,
कांग्रेस
की सरकार आने के बाद भ्रष्टाचार ने पैर पसारे प्रदेश में, कानून व्यवस्था तो मनो
शिवराज सिंह चौहान के कार्याकाल का भी स्तरहीन रिकॉर्ड लांघ चुकी थी, अधिकारियो के
तबादले बदले ओर पक्षपात के आधार पर दनादन हुए, विभागों में लोक सेवा प्रबंधन
प्रणाली तो मानो हवा हो चुकी है, सी. एम्. हेल्पलाइन का सामूहिक शोषण एल 1 से लेके एल 3 अधिकारी करना
शुरू कर चुके है, रिश्वत खोरो को प्रोमोशन बिना विभागीय जांच समाप्ति के मिल जाते
है, कुछ तो ऐसे भ्रष्टाचारी है जिनको विभागीय जांच के अनुसंधान्तार्गत रहते
प्रोमोशन दे दिया गया, सम्भावनाये किस सेटिंग की होने की, इन्हें नजर अंदाज नही किया जा सकता, आज सी एम् की फर्जी
हेल्पलाइन का नतीजा, खुद सी एम् को दिखा की उसकी किसी ने इस चुनाव में कोई हेल्प
नही की.
जहाँ
आम आदमी को पुलिस थानों में, शासकीय अस्पतालों में, कलेक्ट्रेट में , तहसीलों में
छोटे मोटे कार्यो के लिए, विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया से विपरीत, और अविवादित
मामलो में भी विधि संगत कार्यो को करवाने के लिए अनावश्यक परेशांन होना पड़ता है, और
कांग्रेस दिग्विजय के CM के कार्यकाल के दौरान भरपूर शोषण कर चुकी थी, जिसका दिग्विजय
को 15 साल बाद खुद का समय ख़राब करने के रूप पारितोषक मिला, एक ऐसी खूबसूरत हार जो
राजनैतिक इतिहास बना गयी दिग्विजय का, साथ ही दिग्विजय जैसे जन प्रतिनिधी जनादेश के रूप में ये सन्देश अनुदत्त हुआ की, आपकी जरुरत नही थी दिग्विजय जी, कोई और विकल्प आपकी
पार्टी देने की क्षमता नही रखती, क्योकि राजनैतिक परिवेश में मुख्य पदों पर खुद को
बनाये रखना, दुसरो को आगे ना बढ़ने देना
आपकी राजनीतिक प्रक्रिया का अहम हिस्सा रहा
है, आज छिंदवाडा को कमलनाथ ने नकुल नाथ दिया , अमेठी से राहुल को बाहर जाने का जनादेश
प्राप्त हुआ, ऐसे की कई लोक सभाए आज बाँझ हो गयी जहाँ से कांग्रेस के पास कोई
योग्य प्रत्याशी नही है, ना ही राजनीती करने वालो ने नए नेता निर्माण के विषय
में कभी सोचा, स्वयं राज घराने के सिंधिया ने सालो पुराना वर्चस्व
खोया,
भ्रष्टाचार
की मार प्रदेश की जनता झेल रही है, और हार की मार कमल नाथ के नेतृत्व में प्रदेश
कांग्रेस झेल रही है,
आइये बताते है भ्रष्टाचार से जुड़े कुछ मामलो
के बारे में ,
पुलिस थाना ओमती के अंतर्गत किसी एक पुराने पंजीकृत अनुसंधान अंतर्गत मामले
में न्यायाधीश के द्वारा आदेश पारित किए गए, जिसमें विवेचक के विरुद्ध और शासकीय चिकित्सक के
विरुद्ध मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया, यह अपने आप में एक गंभीर मामला है, जो स्तरहीन लोक सेवा का घोतक है, ऐसे कई मामले
है जिसमे पुलिस ने आरोपी बतौर गिरफ्तारी कर प्रेस कांफेर्रेंस की, और प्रकरणों को
गंभीर बता कर निराकरण करते हुए सुर्खिया बटोरी, परन्तु आरोपी न्यायालय से बरी रो
गया, या फिर अभियोजन के सफल ना होने पर, संदेह के आधार पर बरी कर दिया जाता है, इस
पत्रकार वार्ता में आरोपी और उसके परिवार का जो सामाजिक नुक्सान होता है, वो अपूर्णीय
होता है, ये प्रेस कांफेरेंस करने का
पुलिस को अधिकार नही, जब तक दोष सिद्ध ना हो जाये, इस पर जनहित याचिका भविष्य में
प्रस्तावित है, प्रकरणों के अध्ययन ओर रिकॉर्ड लिस्ट करने उपरान्त,
थाना लार्डगंज एवं गोहलपुर के कार्य क्षेत्र अंतर्गत लगभग 23 पुलिसकर्मियों के
निलंबन इसलिए हुए क्योंकि सीडीआर डिटेल के आधार पर, और सटोरियों के बयान पर उनके संपर्क अवैध गतिविधियों
में लिप्त अपराधियों के साथ लंबे समय से कनेक्टेड पाए गए, ये हिस्ट्री शीटर नही
थे, क्योकि हिस्ट्रीशीटर वो होता है, जो पुलिस में जॉब नही कर रहा होता है,
एक समय था, जब थाना ओमती के अंतर्गत
होटल अनुश्री से 11 धनाढ्य लोगों को जुआ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, और
थाना ओमती से कलेक्ट्रेट तक उन्हें पैदल लेकर जाया गया था, पुलिस के द्वारा उस समय वाहन की व्यवस्था नहीं
की जा सकी थी, अपितु पुलिस ने संदेश दिया
था, उस समय की समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के साथ ऐसा व्यवहार किया
गया है, ताकि समाज में यह संदेश जा सके कि अपराध में लिप्त आरोपियों का हश्र क्या
होता है, परन्तु उनकी रैली नही निकली जिन लगभग 23 लोगो को ससपेंड किया गया था, ना
शकल दिखी ना प्रेस कांफर्रेंस हुयी,
सदर स्थित मोंटी कार्लो शोरूम में पुलिस ने अपनी बर्बरता दिखाई थी, शोरूम में कर्मचारियों के साथ मारपीट की संज्ञेय
अपराध की श्रेणी में आने वाले सभी धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया, महिलाओं के साथ अभद्रता की थी, बड़े लंबे समय के
बाद परिवार ने न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया, जहां से आदेश पारित करते हुए श्रीमान न्यायाधीश
ने, कैमरे में अपनी तुच्छ लोक सेवा का
प्रदर्शन करने वाले लोक सेवक / पुलिसवालों के खिलाफ दर्ज करने के आदेश पारित किए,
इस प्रकरण में भी कोई प्रेस कांफेर्रेंस नही हुयी ना शकल दिखी आरोपियों की, लाइन अटैच
की औपचारिकता हुयी थी,
ऐसे ही एक मामला था, थाना ओमती के
अंतर्गत डॉ सचिन लूथरा का इस मामले में पुलिस ने ऐसी संदिग्ध कार्यवाही की, जिसकी जानकारी आज तक सबके लिए सस्पेंस बनी हुई
है, ब्लैकमेल करने वाले के खिलाफ औपचारिक
कार्यवाही, बलात्कार के संबंध में प्राप्त शिकायत का अनुसंधान अंतर्गत रहते हुए
विलोपन हो जाना आज तक सस्पेंस बना हुआ है, तृतीय पक्ष की जानकारी मिलना आसान नही
RTI 2005 में
मध्य प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग के एक भ्रष्टाचारी रिश्वतखोर उपायुक्त ओम
प्रकाश वर्मा के संबंध में पूरी जानकारी उसके वरिष्ठ अधिकारियों को थी, परंतु शिकायतें प्राप्त होने के बावजूद भी उसे
प्रमोशन दिया गया, लंबित शिकायतों पर देर
सबेर मामला आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के द्वारा दर्ज किया गया, जिसका अतिरिक्त चालान न्यायालय में प्रस्तुत
किया गया, संज्ञेय, अपराधिक भ्रष्टाचार, कदाचरण, सहित
अन्य धाराओ के तहत इस मामले के अंतर्गत
उसे न्यायालय से 5 साल की सजा सुनाई गई, परंतु महरबान भ्रष्ट उप सचिव अरुण प्रमाण ने अपनी योग्यता ओर अधिकारों की पराकाष्ट दिखाई और उसे बहाल कर दिया, उसके
रिटायरमेंट के 1 दिन पहले, उसका निलंबन
काल मुक्त कर दिया, ताकि प्रोविडेंट फंड
का पूरा पैसा उसके अकाउंट में सकुशल वापस आ जाएं, और यह अपराधी जिसे स्वयं न्यायालय ने दंड दे
दिया, वह सम्मान के साथ रिटायर हो जाएं और
ऐसा हुआ भी, इस कदर भ्रष्टाचार ने अपने
पैर पसारे है इस प्रदेश में,
ऐसे ही व्यक्त विभाग मध्यप्रदेश में करोड़ों के आसामी नारायण मिश्रा पर मेहरबान कांग्रेसी सरकार है, वित्त मंत्री मेहरबान है कार्रवाई करने से लगभग हाथ खड़े कर दिए हैं, न जाने कौन सी सेटिंग है साहब, कि यह
फाइल कलेक्टर के टेबल से आगे बढ़ ही नहीं रही है, इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, संभागायुक्त कार्यालय की ओर से लगातार जांच के
लिए परिपत्र जारी किए जा रहे हैं, इसमें
लगभग 2 साल हो चुके हैं, परंतु कार्यवाही को
उल्टा फर्जी एवं कूट रचित जवाब लगाकर फाइल को बंद करने के प्रयास किए जा रहे हैं,
एक फर्जी सेवा है, CMHELPLINE, सीएम
हेल्पलाइन की शिकायतें हैं, जिनको L-1 अधिकारी ने अपनी फर्जी और कूट रचित आधारहीन जानकारी के तहत बंद कर देना
परंपरा बना दिया है, जिसका अनुसरण करने के उपरांत एवं समीक्षा करने के उपरांत L-2 अधिकारी और अन्य अधिकारी ने भी समर्थन देकर शिकायत को बलपूर्वक बंद कर दिया
जाना परंपरा का हिस्सा है, शिकायतें कभी एल-4 अधिकारी तक पहुंच ही नहीं पाती, L-4 अधिकारी ने अपने सारे आईडी पासवर्ड L-3
अधिकारी को देकर रखे होते हैं, जिसका
दुरुपयोग निचले स्तर का L-3 अधिकारी कर भरपूर करता है, जनता को मिलता है, वरिष्ठ स्तर से लालीपॉप,
एक SDM पी.के. सेन गुप्ता सहित श्रीवास्तव तहसीलदार
पकडे जाते है, अय्याशी करते हुए, होता है कुल
ट्रान्सफर और चर्गंवा के नायब उर्फ़ नालायक तहसीलदार एस. के. पटेल को निर्देशन का पारितोषक
मिल जाता है, औपचारिकता पूरी हो जाती है, हरिओम राजपूत जैसे राजस्व निरीक्षक का
निलम्बन की घोषणा कर के, परन्तु तहसील का
संचालन उसी परिधि में होता है, जैसे
कलेक्टर ने इन भ्रष्टाचारियो को किराये पर देके रखी हो तहसील,
स्वयं SP-JBP और कलेक्टोरेट कार्यालय के ये हाल है की, यहाँ आवेदन देके
आना और कार्यालय में रखे कचरे के डब्बे
में दाल के आना समतुल्य है, इनकी तरफ कोई निहारता भी नही है, आवेदनो पर क्या
कार्यवाही होती है, मांग के देखो सूचना अधिकार में तब अहमियत समझ में आयेगी की इस
देश में संसद में पास होने के बाद ये अधिनियम काम किसके आता है, सिर्फ नेताओ के ,
ना की जनता के,
एक बच्ची का पैर कट के अलग हो गया, कार चालक शराबी फरार, पुलिस ने जादू दिखाया सुनील वर्मा को उठा लाई, एक्सीडेंट के मामले में सही दोषी ड्राईवर के विरुद्ध मामले को दर्ज करवाने की मशक्कत करनी पड़ रही है परिहार परिवार को, SP-JBP के सफल कार्याकाल की CR पूरी जबलपुर में उनके कार्यकाल में हो रहे कांडो से लिखी जाएगी,
एक बच्ची का पैर कट के अलग हो गया, कार चालक शराबी फरार, पुलिस ने जादू दिखाया सुनील वर्मा को उठा लाई, एक्सीडेंट के मामले में सही दोषी ड्राईवर के विरुद्ध मामले को दर्ज करवाने की मशक्कत करनी पड़ रही है परिहार परिवार को, SP-JBP के सफल कार्याकाल की CR पूरी जबलपुर में उनके कार्यकाल में हो रहे कांडो से लिखी जाएगी,
सभी कारण अभी बहुत कम है, केवल जबलपुर से जुड़े है, इनका एवरेज राज्य स्तर पर निकला जाना जाना बड़ा आश्चर्य का विषय भी हो जायेगा. फिलहाल शिवराज सरकार को कोसने वाली कमलनाथ सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है, इसका प्रमाण निर्वाचन आयोग ने आज उन्हें अनुदात्त कर दिया है, नैतिक निम्मेदारी के साथ, स्वाभिमानी व्यक्तित्व का प्रतिनिधि इस शर्मनीय स्तिथि का सामना कभी नही कर सकता, लिहाजा कमल नाथ से अपेक्षा है इस्तीफे की,
स्थगन .............