सुप्रीम कोर्ट
के 4 न्यायाधीशों ने ‘’भेदभाव’’ पर की पत्रकार वार्ता
न्यूज़ वर्ल्ड चैनल पर हुई चर्चा, जिसमे Dr. Siraj Khan भी शामिल हुए.
न्यूज़ वर्ल्ड चैनल पर हुई चर्चा, जिसमे Dr. Siraj Khan भी शामिल हुए.
अद्भुत, असामान्य परन्तु वार्ता में व्यक्त
किये गए "दर्द" पर आंशिक सत्यता की सम्भावना,
सर्वोच्च न्यायालय के 4
न्यायाधीशों, जे चेलेमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकूर
और कुरियन जोसेफ, द्वारा प्रकरणों के आवंटन पर खेद व्यक्त किया
गया, CJI द्वारा प्रकरणों के आवंटन अधिकार को अपने पास संवैधानिक रूप से सुरक्षित होने की
मामूली बात पर 4 न्यायाधीशों द्वारा पत्रकार वार्ता में दर्द को ब्यान किया गया,
इसके पीछे है वो पत्र जो चारो न्यायाधीशों के
द्वारा CJI को प्रकरणों के अनुभव के आधार पर आवंटन हेतु लिखा गया था, पत्र में निहित ऐच्छिक सकारात्मक कार्यवाही नही होने से चारों महानुभावो
के द्वारा पत्रकार वार्ता में खेद व्यक्त किया गया,
4 न्यायाधीशों के द्वारा इस विषय में भी
नाराजगी व्यक्त की गयी की पूर्व में सुप्रीम कोर्ट सीबीआई न्यायाधीश श्री बीएच लोया की नागपुर में रहस्यमयी मौत के पीछे गठित की गयी जांच टीम में उन्हें शामिल
नही किया गया, उस प्रकरण का ताल्लुक उस विषय से है जिसमे ‘’अमित शाह’’ को 1 महीने बाद बरी कर दिया गया था,
जुडिशियल
सिस्टम में प्रकरणों का ‘’आटोमेटिक आवंटन’’ एक
भेद्भाव्हीन प्रक्रिया है जिसे लागू होने में अभी समय है, इस विषय में उचित
मार्गदर्शी अनुभवो-नियमो के तहत आवंटन
ऑनलाइन आटोमेटिक कराया जा कर सामूहिक रूप से लोकतान्त्रिक अधिकारों को सभी के हक़
में सुरक्षित किया जा सकता है, 4 न्यायाधीशो द्वारा नए न्यायाधीशों को
पुराने जटिल मामलो के आवंटन पर अनुभव को आधार बता कर प्रकरणों के आवंटन पर भी एतराज
व्यक्त किया गया, जिसमें फिलहाल किसी प्रकरण का पृथक रूप से उल्लेख नहीं किया गया है
न्याय तंत्र के अंतर्गत हो रहे मामूली विवाद के पीछे के लक्ष्य, उद्देश्य और पर्याय को समझा तो जा सकता है परंतु प्रकाशित नहीं किया जा सकता, आज अधिकारों और अनुभवों के होते हुए, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को निराशा वश अपनी व्यथा पत्रकार वार्ता में व्यक्त करनी पड़ी, तो फिर आम आदमी की हालत का अनुमान आप लंबित प्रकरणों की गिनती से लगा सकते है, इनमे सबसे ज्यादा वही प्रकरण होते है जो कार्यपलिका के सताए हुए होते है, जो न्यायालय के पाले में पलटा दिए जाते है,
न्याय तंत्र के अंतर्गत हो रहे मामूली विवाद के पीछे के लक्ष्य, उद्देश्य और पर्याय को समझा तो जा सकता है परंतु प्रकाशित नहीं किया जा सकता, आज अधिकारों और अनुभवों के होते हुए, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को निराशा वश अपनी व्यथा पत्रकार वार्ता में व्यक्त करनी पड़ी, तो फिर आम आदमी की हालत का अनुमान आप लंबित प्रकरणों की गिनती से लगा सकते है, इनमे सबसे ज्यादा वही प्रकरण होते है जो कार्यपलिका के सताए हुए होते है, जो न्यायालय के पाले में पलटा दिए जाते है,
आज भेदभाव का शिकार 4 न्यायाधीश हुए है,
यहाँ आम आदमी इस भेदभाव का शिकार रोज होता है
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