म. प्र. सरकार सम्हल सकती है, जमीनी अनुभवी निर्णायको के द्वारा यह संभव है, पर वहां तक कैसे पहुंचे मुखिया कमलनाथ - News Vision India

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म. प्र. सरकार सम्हल सकती है, जमीनी अनुभवी निर्णायको के द्वारा यह संभव है, पर वहां तक कैसे पहुंचे मुखिया कमलनाथ


Congress              `` Need To Reach Near The Need ``

मध्यप्रदेश में चल रहे घमासान में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने झटका दिया है, कमलनाथ सरकार तितर-बितर होने की स्थिति में सिंधिया के द्वारा आरोप लगाए गए हैं, कि पद के मद में  कमलनाथ सरकार ने दिग्विजय सिंह के साथ रहते हुए भारी उपेक्षा की है, जिस से आहत होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया  कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के करीबी होते हुए भी, मध्य प्रदेश सरकार में किसी मंत्री पद पर पदस्थ नहीं किए गए,  यह  असम्मान  कहीं ना कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के मन में, दिल और दिमाग में घर कर गया था, जिसने आज सिंधिया को पार्टी के विरुद्ध कदम उठाने पर मजबूर किया और नतीजतन पीछे-पीछे समर्थक विधायकों ने भी इस्तीफे पेश कर दिया, इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि सिंधिया के समर्थकों में से किसी को मंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव खारिज किए गए थे,  यह सत्य है कि सिंधिया के समर्थकों में विधायकों से कई लोगों को मंत्री पद भी दिए गए थे, और आज सरकार इस स्थिति से गुजर रही है, उसे केवल एक निर्णायक क्षमता , जमीनी स्तर व्यक्ति की आवश्यकता है, इस घमासान को खत्म भी किया जा सकता है, भविष्य में उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों को वर्तमान में एक निश्चित समय अवधि के अंतर्गत सुलझाया एवं जोड़-तोड़ करके मैनेज भी किया जा सकता है, 

परंतु इसके लिए उचित सलाहकार की कमी से जूझ रहे मध्य प्रदेश सरकार उर्फ़  कमलनाथ अकेले लड़ रहे हैं, और उनके पास जमीनी स्तर पर केवल अपने विधायकी  क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की भरमार है, राजनीति में राजनैतिक अनुभव अपने आप में एक महत्वपूर्ण होता है ,जिसका अनुभव किसी भी जनप्रतिनिधि को वरिष्ठ पदों पर एवं मुख्य जनप्रतिनिधि बन्ने में सहायक साबित होता है, इसी अनुभव की कमी से जूझ रहे मध्य प्रदेश सरकार अनावश्यक वेंटिलेटर पर है,

यह सरकार फिर से उठकर खड़ी हो सकती है, अपने बलबूते पर सांस ले सकती है, चल सकती है, दौड़ सकती है, परंतु उसके लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता है, वह केवल भाजपा ले रही है, और आज उसके स्वर में मजबूती दिख रही है, यह स्वर बदल भी सकते हैं, वर्षों तक प्रशासनिक स्तर पर बतौर विधायक और सांसद बतौर  मंत्री और राजनीति में कई वर्षों तक सक्रिय रहने के बाद भी एक संयुक्त टीम के पास अगर इस मामले में अनुभव नहीं है, की यह सरकार को बनाया जाने के बाद उसे निरंतर कैसे रखा जाए,  यह अपने आप में एक अपाचक  तथ्य है

प्रशासनिक स्तर पर सरकार के पास अधिकारों की ऐसी कोई कमी नहीं होती जिसका उपयोग करते हुए इस को संभाला भी जा सकता है,  और निरंतर रूप से चलाया जा सकता है, जमीनी स्तर पर प्रशासनिक शक्तियों का उपयोग सही दिशा में नहीं किए जाने के कारण,  यह  अनुभव हीनता से आज सरकार को इस मुकाम पर खड़ा कर देती है, जिसे अस्थायित्व  उत्पन्न होता हैइस सरकार को जारी रखा जा सकता है, परंतु उसके लिए जमीनी स्तर के अनुभवी निर्णायक  जनप्रतिनिधियों की विधायकों की, मंत्रियों  को प्राप्त अधिकारों के उपयोग, एवं एक उपयोगिता का प्रयोग करते आना चाहिए,  इसकी कमी से जूझ रही कमलनाथ सरकार वेंटिलेटर पर अनावश्यक है, EOW सिंधिया प्रकरण , उपेक्षा, राज्यसभा नही भेजना, यह सब एक मुश्त कारन रहे सरकार को अस्थिर करने के :

पर सवाल यही है,  कि ऐसे सूक्ष्म निर्णय लेने अनुभवी जनप्रतिनिधि नेता. मंत्री या सलाहकार कमला सरकार के पास कौन है. तो इस पर हम आकर के इस रिजल्ट पर पहुंचते हैं जिसे कहते हैं  + शून्य  ,

केवल मंत्रियों के फेरबदल से और स्वास्थ्य बदलने से सरकार में स्थायित्व उत्पन्न नहीं हो सकता यह फिर से टूट सकता है इसे मजबूती प्रदान करने के लिए या तो अपने स्तंभ मजबूत करने पड़ेंगे या तो सामने वालों के स्तंभ कमजोर करने पड़ेंगे जिस मामले में जानकारी की कमी और सक्रियता की कमी से जूझ रही सरकार में उसके समर्थक विधायक मंत्री सरकार को स्थायित्व प्रदान करने के लिए कार्य नहीं कर रहे हैं  यह भी एक अपने आप में बहुत बड़ा कारण है कि अगर सिपाही जंग में अपनी रुचि नहीं लेंगे तो राजा अपने आप हार जाएगा,  यह सामान्यत : मामूली कार्य है, जिसे भाजपा आसानी से कर लेती है, कांग्रेस में यह एक चुनौती हो चला है,  

संभावित तौर पर प्रदेश में लागू आयकर अधिनियम में भी संशोधन , निरसन , एवं अप्रभावी किया जा सकता है, 


Compilation :-