भैस के तबेले में
वाणिज्यकर विभाग की स्पेशल-26 फर्जी रेड, लगभग 600 करोड़ के घोटाले और
दर्जनों फर्जी फर्मो से अवैध इनकम का खेल, 7 साल से जबलपुर में पदस्त डिफाल्टर उपायुक्त का
नाटकीय ड्रामा
वाणिज्य कर विभाग में अक्षय कुमार
की फिल्म स्पेशल 26 की देखा देखी में आज एक फर्जी कूटरचित सुनियोजित रेड
कार्यवाही जबलपुर में की गई, एक ही पते पर कई फर्म खोली गई हैं, रेड मरने वाले भी जानते है, और फर्मो में करोडो के लेनदेन के पर लाखों
की रिटर्न सबमिट है,
जिस पर कुछ हजारों के टैक्स जमा कर
दिए गए हैं,
और उसे स्वीकृति भी सर्किल 2 के सहायक आयुक्त के
द्वारा प्रदान की गई और उसके assessment भी कर दिए गए, यह फर्जी आंकड़ों को मान्यता
प्रदान इसलिए कर दी जाती है क्योंकि माल मिल जाता है, साथ में 7 साल से जबलपुर के संभाग में पदस्थ संभागीय उपायुक्त
नारायण मिश्रा उर्फ़ डिफाल्टर उपायुक्त
कई वर्षों से यहां पर भ्रष्टाचार का नंगा नाच खेलते चले आ रहे हैं, पूर्व में उसके खिलाफ कई शिकायतें
प्रस्तुत की गई है,
परंतु कहीं ना कहीं विभाग में
लेनदेन की प्रक्रिया पूरी तरह से लामबंद
हो चुकी है,
मिनिट्री प्रमुख सचिव तक बिकाऊ
लिस्ट सेट है,
जिसका फायदा यहां के निचले स्तर के
अधिकारियों को मिलता है |
कंस्ट्रक्शन सम्बन्धी वस्तुओ के
लिए सर्किल दो को निर्माण घोषित किया गया है, जिसको स्पष्ट पहचान वाणिज्य कर विभाग की ओर से दी गई है, बावजूद उसके सर्किल – 4 से एक फर्जी पंजीयन लोहे-निर्माण के व्यापारी-बिल्डर और कंस्ट्रक्शन के व्यापारी के नाम
से जारी हो जाता है,
इस मामले में सहायक आयुक्त पंजीयन
जारीकर्ता अधिकारी सीधा-सीधा घुसपेठ में है है, इसकी शिकायत राज्य आर्थिक अपराध
अन्वेषण ब्यूरो को प्रस्तुत कर दी गई है
दर्जनों फर्जी फर्मो को पंजीयन एक
ही पते पर जारी हुआ है, एक
ही उसका डायरेक्टर है, कभी
उसका नाम उल्टा लिखा है, कभी
उसका नाम सीधा लिखा है, या
तो उसके डायरेक्टर की पत्नी का नाम उल्टा लिखा है, या पत्नी का नाम सीधा लिखा ,अभी जो रेड कार्रवाई की गई है, वह भैंस के तबेले में की गई है, क्योंकि जहां से फर्म पंजीकृत की
गई है,
वहां पर कोई स्थाई कार्यालय या
गोदाम है ही नहीं,
नाही लोकल यहां का ओनर-पार्टनर
रहने वाला है,
फर्जी किराए नामे और फर्जी पहचान
पत्रों को लगाया जाकर यह सारे पंजीयन जारी किए गए हैं, करोड़ों की काली कमाई कई वर्षों से संभागीय उपायुक्त नारायण मिश्रा और
वाणिज्य कर विभाग सर्किल दो कि महिला सहायक आयुक्त के नेतृत्व में हो रही है, और भी कई अन्य मामले हैं जिनकी
शिकायतें अभी विचाराधीन है, इनको पैसा दे दो ये आपका काम भी कर
देंगे,
शुद्ध बेईमान पदस्त है इस विभाग
में किसी के तबादले ही नही होते, अगर होते भी है तो 1 सर्किल से दुसरे में, इमान बेचने का इससे अच्छा विभाग
समूचे भारत में नही है, ऐसे
बेईमानो से मरी हुयी है अर्थ व्यवस्था,
अभी स्पेशल ट्रेड में भैंस के
तबेले में पेपर जांचने गए है , जहां से पंजीयन जारी किया गया है वह अधिकारी पंजीयन जारी
करने से पहले कभी मौके पर बनी इंस्पेक्शन रिपोर्ट को चेक ही नहीं करता है, और पंजीयन जारी कर दिए जाते हैं, ऐसे दर्जनों संदिघ GSTIN जो कि इस प्रकार है 23AAACK8944NIZA, 23AAHCMI 493KIZB,
23AADCS0852QIZ4,23AAJAS3297BIZK, 23AAUAS5415QIZQ, 23AAFCB8899LIZY, 23AARCH8954L2Z7,
23AARCH8954L3Z6, 23AAEAMO785HIZO, 23AADAMI482GIZV, 23AAAAH9495DIZO,
23AAHCM1493KIZB, 23AARAS 9511J1Z2, अधिकतर का पता , 5 , Theatre Road , Napier Town,
Jabalpur
वर्तमान में हो चुकी फर्जी रेड
कार्यवाही की अनुमति मुख्यालय से नहीं ली गई है ना ही कोई जानकारी ऊपर दी गई है 1-2 करो
रुपए का घोटाला दिखाकर जांच में पूरे कागज बदल दिए जाने की तैयारी चल रही है, जिस जांच कार्यवाही में महीनों लग
सकते हैं उसे मिनटों में निपटा दिया जाएगा,
कई पंजीयन अभी और भी
हैं जिन पर जांच चल रही है जो इन-एक्टिव-inactive है, निलंबित है वर्षों
से उसकी रिटर्न जमा ही नहीं हुई है पर उन्हें पेनाल्टी भी नहीं लगती ब्याज भी नहीं
लगता और कर का आरोपण भी नहीं होता है, क्योंकि जब राज्य शासन में पदस्थ अधिकारी जिसको राजस्व वसूली के
लिए रखा गया है अगर उसकी व्यक्तिगत राजस्व की पूर्ति होती है तब शासन के राजस्व के
कलेक्शन की जिम्मेदारी सेकेंडरी हो जाती है, और ऐसे राज्य शासन में वाणिज्य कर विभाग में एक से एक गद्दार बैठे हैं जो चंद
रुपयों की खातिर अपना ईमान भी बेच देते हैं
अबे कौन समझाएं FINANCE MINISTER निर्मला सीतारमण जी को
फाइनेंस मिनिस्टर होना अपने आप में कितनी बड़ी सजा है जब तक नीचे गद्दार
बैठे हैं तो क्यों न देश की आर्थिक गरीबी बढ़ेगी, जहां से ट्रांजैक्शन CHECK ही नही होगा न करके योग्य राशियों की
इंस्पेक्शन होगा ना ही टैक्स का निर्माण होगा, जब नीचे का अधिकारी ही बिक जाएगा तो ऊपर टैक्स कहां से जाएगा उल्टा पगार
उसको और देनी पड़ेगी उल्टा इसकी नौकरी के साथ-साथ इस को दी जाने वाली सुविधाएं
उसके खर्चे भी झेलने पड़ेंगे ऐसे में देश की जीडीपी की तो बैंड बजेगी ही
विभाग के Principal Secretary I.P.C. Kesri बन गए विदुर, ज्ञानी है पर प्लेटफार्म से नदारद,पर इनके कर्मो-अधिकारों से भी कोई IPC वाणिज्य कर विभाग के DEFAULTARs पर लागू नही होती ...क्युकी जानकारी का अभाव है, नीचे के स्टेनो ही शिकायते गायब कर देते है,
विभाग के Principal Secretary I.P.C. Kesri बन गए विदुर, ज्ञानी है पर प्लेटफार्म से नदारद,पर इनके कर्मो-अधिकारों से भी कोई IPC वाणिज्य कर विभाग के DEFAULTARs पर लागू नही होती ...क्युकी जानकारी का अभाव है, नीचे के स्टेनो ही शिकायते गायब कर देते है,
अब कमलनाथ सरकार के बजट
में अगर पैसा नहीं है तो………………………..
उसका सबसे बड़ा कारण तो यही है देश की विकास
की गति अगर रुक रही है, तो उसके पीछे का मूल कारण यही है, सरकार के नुमाइंदे चंद
रुपियो के लिए टैक्स वसूलना
छोड़ देते हैं, और निर्दोष लोगों के प्रति बकाया राशि निकाल देते हैं, इनको बोलने को हो जाता
है, कि बकाया वसूली बकाया
रह गई है, वसूली हो नहीं पा रही
है, और जिन से टैक्स लेना
है उस से एक परसेंट ले
लेते हैं, ऐसे कई फर्जी भर में
हैं जैसे हनुमान ट्रेडर- अशोक ट्रेडर्स पर न जाने कितनी करोडो की बकाया राशि का कर
का आरोपण कर दिया गया है, वसूली होनी नहीं है, फर्जी फर्म भी खोली गई थी, जिन पर कार्यवाही केवल
एक होती है, कि उस खिलाफ बकाया निकाल दी जाती है, वसूली की उम्मीद इसलिए
नहीं है , क्योंकि यह फर्म अस्तित्व में नहीं थी, परंतु हां वह व्यक्ति
अधिकारी जिसने पंजीयन फर्जी जारी किए थे, उसके खिलाफ कोई
कार्यवाही नहीं होती है, यह अपने आप में बहुत दुखद है एक से एक
डिफाल्टर विभाग में बड़े-बड़े पदों पर बैठे हैं ऐसा मान लो वित्त मंत्री
ने अधिकारियों को यह विभाग किराए पर दे दिया है
लोक प्राधिकरणों में लोक सेवा के लिए
नियुक्त किए गए लोक सेवक सशक्त किया गया है ताकि वह राज्य के हित में और लोक के
हित में उचित निर्णय लें परंतु सब कुछ विपरीत होता है यहां पर इस विभाग में चल रही
अनियमितताओं संबंधित खबरों के लिंक शेयर कर रहे हैं नीचे लिंक देखिए
अगर सेंट्रल जीएसटी डिपार्टमेंट की तरफ से इन फर्मो
पर रेड चली जाती तो
करोड़ों का गबन का मामला खुलासा किया जा सकता था, परंतु इसके पहले की सेंट्रल जीएसटी के कमिश्नर तक यह जानकारी पहुंचे, स्टेट जीएसटी ने यहां पर एक स्पेशल 26 के तर्ज पर कूटरचित रेड मारी, जहां पर औपचारिकताएं पूरी की जा कर कर चोर को बहुत
ही सम्मान भामाशाह अवार्ड भी दिया जाने का कारक संधारित किया जा सकता है,
कार्यवाही के बाद भी बदल दिए आदेश,
कुछ समय पहले रायपुर की एक बाहुबली लोहा व्यापारी की
फर्म में करोड़ों के घोटाले उजागर हुए थे जिसका एक्सिस बैंक में अकाउंट नंबर भी फ्रीज़ करने
का लेटर जारी किया गया था परंतु वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त संचालक मरावी के
नेतृत्व में उस बैंक अकाउंट के अटैचमेंट की कार्यवाही को होने के बाद भी निरस्त
किया गया जिसमें करोड़ों के बकायेदारों से लोहा व्यापारी से आज तक 10 रुपैया
नहीं वसूल पाए
घोटाले के मुख्य कारण
इस विभाग में किसी भी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कभी
कोई कार्यवाही नहीं होती है और ना ही उसका तबादला होता है एक यही सुरक्षा गार्ड
इनके साथ हमेशा से काम कर रहा है जो ऊपर से नीचे तक लेनदेन के मामले में इनके साथ
रहता है आज कई वर्षों से यह सारे अधिकारी यहां पर पदस्थ हैं बस इसी के चलते अवैध
धंधा करने वाले व्यापारियों और दलालों के साथ उनके अच्छे संबंध हैं जो राजस्व हित
में बहुत बड़ा घोटाला कर रहे हैं
GST में नही होती है जमानत, पर बिकाऊ अधिकारी केस थोड़े ही बनाता
क्या होता है रेड
कार्यवाही में
जबलपुर महानंदा में साईं सन आउटसोर्सिंग प्राइवेट
लिमिटेड फर्म पर सेंट्रल जीएसटी ने रेड मारकर कार्यवाही की थी जिसमें ₹27 करोड़ की फिक्स
कर चोरी पकड़ी गई थी और उसके मालिक को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था ,
एक मामला सिवनी का है जिसमें नव शक्ति इंटरप्राइजेज
के दीपेश तिवारी आज भी फरार चल रहे हैं और उसका अशोक खन्ना अकाउंटेंट आज भी जेल
में सजा काट रहा है
पर स्पेशल-26 रेड में ऐसा कुछ भी नहीं मिलेगा
क्योंकि यहां पर रेड मारने वाले पहले से सोच समझ कर गए हैं यह क्या-क्या देखना है
और क्या-क्या नहीं देखना है भारतीय लोकतंत्र में मौके पर जांच करने वाले अधिकारी
के पूरे हाथ खुले रहते हैं वह जिसे चाहे आरोपी बना दे वह जिसे चाहे छोड़ दे, क्योंकि उसकी रिपोर्ट को प्राथमिकता से सुना जाता है, और देखा जाता है और उसके ऊपर का अधिकारी भी उसका
विरोध इसलिए नहीं करता क्योंकि उसके पास ग्राउंड पर काम करने के सीधे अधिकार नहीं
होते हैं ,जब तक कि भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस शिकायत और
वर्चस्व धारी व्यक्ति के द्वारा प्रस्तुत की गई ना हो,
इस फर्जी रेड में कोई कर की चोरी ना ही, न कोई अवैध अनियमितताएं इन्हें मिलेंगी क्योंकि शुरू
से ही कार्यालय से निकलने से पहले धृतराष्ट्र के भांति बिना इमांन के औपचारिक
कार्रवाईया स्पेशल-26 के तर्ज पर कुछ भी नहीं करेंगे, परंतु इसकी एक प्रति और शिकायतकर्ता ने
सेंट्रल जीएसटी को और प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स भोपाल को और
महानिदेशक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को तथा लोकायुक्त महोदय को
भेजी जा रही है,
ताकि इस करोड़ों की घोटालेबाज फर्मों के पिछले साल
के भाग के तथा इनकम टैक्स के 8 साल के रिकॉर्ड निकालें जा सके
जिसमें कम से कम 1000 करोड़
से ऊपर के घोटाले निकलेंगे, जो
इनके बैंक अकाउंट से लिंक है क कॉरपोरेट अकाउंट खाते, शहर से बाहर प्राइवेट बैंकों में खोले गए हैं फर्जी
ठेके,
कर चोरी, इनपुट
टैक्स रिबेट,
खर्चे अवैध, प्राप्तिया
और निकासी ट्रेस हो सकेगी,,
यूं तो वाणिज्य कर विभाग कहने को पिछले 15 सालों से
ऑनलाइन काम कर रहा है परंतु जब भी फर्जी
या पैसे के लिए कोई काम करना होता है मैनुअल तरीके से तो सारे काम
आवक जावक डिस्पैच रजिस्टर सब गायब कर दिए जाते हैं बदल दिए जाते हैं तारीख के छोड़
दी जाती हैं भर दी जाती है कुछ का कुछ लिख दिया जाता है..
भैस के तबेले में वाणिज्यकर विभाग
की स्पेशल-26 फर्जी रेड, लगभग 600 करोड़ के घोटाले और दर्जनों फर्जी
फर्मो से अवैध इनकम का खेल, 7 साल से जबलपुर में पदस्त डिफाल्टर
उपायुक्त का नाटकीय ड्रामा
वाणिज्य कर विभाग में अक्षय कुमार
की फिल्म स्पेशल 26 की देखा देखी में आज एक फर्जी कूटरचित सुनियोजित रेड
कार्यवाही जबलपुर में की गई, एक ही पते पर कई फर्म खोली गई हैं, रेड मरने वाले भी जानते है, और फर्मो में करोडो के
लेनदेन के पर लाखों की रिटर्न सबमिट है, जिस पर कुछ हजारों के टैक्स जमा कर दिए गए हैं, और उसे स्वीकृति भी सर्किल 2 के सहायक आयुक्त के द्वारा प्रदान की गई और उसके assessment भी कर दिए गए, यह फर्जी आंकड़ों को मान्यता
प्रदान इसलिए कर दी जाती है क्योंकि माल मिल जाता है, साथ में 7 साल से जबलपुर के संभाग में पदस्थ संभागीय उपायुक्त
नारायण मिश्रा उर्फ़ डिफाल्टर उपायुक्त कई वर्षों से यहां पर भ्रष्टाचार का
नंगा नाच खेलते चले आ रहे हैं, पूर्व में उसके खिलाफ कई शिकायतें प्रस्तुत की गई है, परंतु कहीं ना कहीं विभाग में
लेनदेन
की प्रक्रिया पूरी तरह से लामबंद
हो चुकी है,
मिनिट्री प्रमुख सचिव तक बिकाऊ
लिस्ट सेट है,
जिसका फायदा यहां के निचले स्तर के
अधिकारियों को मिलता है |
कंस्ट्रक्शन सम्बन्धी वस्तुओ के
लिए सर्किल दो को निर्माण घोषित किया गया है, जिसको स्पष्ट पहचान वाणिज्य कर विभाग की ओर से दी गई है, बावजूद उसके सर्किल – 4 से एक फर्जी पंजीयन लोहे-निर्माण के
व्यापारी-बिल्डर और कंस्ट्रक्शन के व्यापारी के नाम से जारी हो जाता है, इस मामले में सहायक आयुक्त पंजीयन
जारीकर्ता अधिकारी सीधा-सीधा घुसपेठ में है है, इसकी शिकायत राज्य आर्थिक अपराध
अन्वेषण ब्यूरो को प्रस्तुत कर दी गई है
दर्जनों फर्जी फर्मो को पंजीयन एक
ही पते पर जारी हुआ है, एक
ही उसका डायरेक्टर है, कभी
उसका नाम उल्टा लिखा है, कभी
उसका नाम सीधा लिखा है, या
तो उसके डायरेक्टर की पत्नी का नाम उल्टा लिखा है, या पत्नी का नाम सीधा लिखा ,अभी जो रेड कार्रवाई की गई है, वह भैंस के तबेले में की गई है, क्योंकि जहां से फर्म पंजीकृत की
गई है,
वहां पर कोई स्थाई कार्यालय या
गोदाम है ही नहीं,
नाही लोकल यहां का ओनर-पार्टनर
रहने वाला है,
फर्जी किराए नामे और फर्जी पहचान
पत्रों को लगाया जाकर यह सारे पंजीयन जारी किए गए हैं, करोड़ों की काली कमाई कई वर्षों से संभागीय उपायुक्त नारायण मिश्रा और
वाणिज्य कर विभाग सर्किल दो कि महिला सहायक आयुक्त के नेतृत्व में हो रही है, और भी कई अन्य मामले हैं जिनकी
शिकायतें अभी विचाराधीन है, इनको पैसा दे दो ये आपका काम भी कर देंगे, शुद्ध बेईमान पदस्त है इस विभाग
में किसी के तबादले ही नही होते, अगर होते भी है तो 1 सर्किल से दुसरे में, इमान बेचने का इससे अच्छा विभाग
समूचे भारत में नही है, ऐसे
बेईमानो से मरी हुयी है अर्थ व्यवस्था,
अभी स्पेशल ट्रेड में भैंस के
तबेले में पेपर जांचने गए है , जहां से पंजीयन जारी किया गया है वह अधिकारी पंजीयन जारी
करने से पहले कभी मौके पर बनी इंस्पेक्शन रिपोर्ट को चेक ही नहीं करता है, और पंजीयन जारी कर दिए जाते हैं, ऐसे दर्जनों संदिघ GSTIN जो कि इस प्रकार है 23AAACK8944NIZA, 23AAHCMI 493KIZB,
23AADCS0852QIZ4,23AAJAS3297BIZK, 23AAUAS5415QIZQ, 23AAFCB8899LIZY,
23AARCH8954L2Z7, 23AARCH8954L3Z6, 23AAEAMO785HIZO, 23AADAMI482GIZV,
23AAAAH9495DIZO, 23AAHCM1493KIZB, 23AARAS 9511J1Z2,
सर्किल 2 में पदस्थ महिला अधिकारी की संदिग्ध भूमिका का चलते मध्य
प्रदेश वाणिज्य कर विभाग राजस्व विभाग को करोड़ों की क्षति हो चुकी है, इसमें पूरा संरक्षण नारायण मिश्रा
संभागीय उपायुक्त का है, जिसके
खिलाफ 50 करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच पहले से वाणिज्यकर
मुख्यालय इंदौर में कमिश्नर के पास पेंडिंग पड़ी है, जिस पर जानबूझकर कमिश्नर कोई
कार्यवाही नहीं कर रहे हैं, आखिर मिश्र मुह्बोला साला है, कार्रवाई नहीं करने के पीछे
लेन-देन और मिलीभगत के सीधे बहुत लंबे चर्चे हैं, जिस पर कमिश्नर ने काफी लंबे समय
से जांच को जानबूझकर रोक कर रखा गया है,
वर्तमान में हो चुकी फर्जी रेड
कार्यवाही की अनुमति मुख्यालय से नहीं ली गई है ना ही कोई जानकारी ऊपर दी गई है 1-2 करो
रुपए का घोटाला दिखाकर जांच में पूरे कागज बदल दिए जाने की तैयारी चल रही है, जिस जांच कार्यवाही में महीनों लग
सकते हैं उसे मिनटों में निपटा दिया जाएगा,
कई पंजीयन अभी और भी
हैं जिन पर जांच चल रही है जो इन-एक्टिव-inactive है, निलंबित है वर्षों
से उसकी रिटर्न जमा ही नहीं हुई है पर उन्हें पेनाल्टी भी नहीं लगती ब्याज भी नहीं
लगता और कर का आरोपण भी नहीं होता है, क्योंकि जब राज्य शासन में पदस्थ अधिकारी जिसको राजस्व वसूली के
लिए रखा गया है अगर उसकी व्यक्तिगत राजस्व की पूर्ति होती है तब शासन के राजस्व के
कलेक्शन की जिम्मेदारी सेकेंडरी हो जाती है, और ऐसे राज्य शासन में वाणिज्य कर विभाग में एक से एक गद्दार बैठे हैं जो चंद
रुपयों की खातिर अपना ईमान भी बेच देते हैं
अबे कौन समझाएं FINANCE MINISTER निर्मला सीतारमण जी को
फाइनेंस मिनिस्टर होना अपने आप में कितनी बड़ी सजा है जब तक नीचे गद्दार बैठे हैं तो क्यों न देश की
आर्थिक गरीबी बढ़ेगी, जहां से ट्रांजैक्शन CHECK ही
नही होगा न करके योग्य राशियों की इंस्पेक्शन होगा ना ही टैक्स का निर्माण होगा, जब
नीचे का अधिकारी ही बिक जाएगा तो ऊपर टैक्स कहां से जाएगा उल्टा पगार उसको
और देनी पड़ेगी उल्टा इसकी नौकरी के साथ-साथ इस को दी जाने वाली सुविधाएं उसके
खर्चे भी झेलने पड़ेंगे ऐसे में देश की जीडीपी की तो बैंड बजेगी ही
अब कमलनाथ सरकार के बजट
में अगर पैसा नहीं है तो………………………..
उसका
सबसे बड़ा कारण तो यही है देश की विकास की गति अगर रुक रही है, तो उसके पीछे का मूल कारण यही है, सरकार के नुमाइंदे चंद रुपियो के
लिए टैक्स वसूलना छोड़ देते हैं, और
निर्दोष लोगों के प्रति बकाया राशि निकाल देते हैं, इनको बोलने को हो जाता है, कि बकाया
वसूली बकाया रह गई है, वसूली हो नहीं पा रही है, और जिन
से टैक्स लेना है उस से एक परसेंट ले लेते हैं, ऐसे कई
फर्जी भर में हैं जैसे हनुमान ट्रेडर- अशोक ट्रेडर्स पर न जाने कितनी करोडो
की बकाया राशि का कर का आरोपण कर दिया गया है, वसूली होनी नहीं है, फर्जी फर्म भी खोली गई थी, जिन पर कार्यवाही केवल एक होती है, कि उस खिलाफ बकाया निकाल दी जाती है, वसूली की उम्मीद इसलिए नहीं है , क्योंकि यह फर्म अस्तित्व में नहीं थी, परंतु हां वह व्यक्ति अधिकारी जिसने पंजीयन फर्जी
जारी किए थे,
उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है, यह अपने आप में बहुत दुखद है एक से एक डिफाल्टर
विभाग में बड़े-बड़े पदों पर बैठे हैं ऐसा मान लो वित्त मंत्री ने अधिकारियों को यह
विभाग किराए पर दे दिया है
लोक प्राधिकरणों में लोक सेवा के लिए नियुक्त किए गए
लोक सेवक सशक्त किया गया है ताकि वह राज्य के हित में और लोक के हित में उचित
निर्णय लें परंतु सब कुछ विपरीत होता है यहां पर इस विभाग में चल रही अनियमितताओं
संबंधित खबरों के लिंक शेयर कर रहे हैं नीचे लिंक देखिए
पोल खुल जाने का डर था,
अगर सेंट्रल जीएसटी डिपार्टमेंट की तरफ से इन फर्मो
पर रेड चली जाती तो करोड़ों का गबन का मामला खुलासा किया जा सकता था, परंतु इसके पहले की सेंट्रल जीएसटी के कमिश्नर तक यह
जानकारी पहुंचे,
स्टेट जीएसटी ने यहां पर एक स्पेशल 26 के तर्ज पर कूटरचित रेड मारी, जहां पर औपचारिकताएं पूरी की जा कर कर चोर को बहुत
ही सम्मान भामाशाह अवार्ड भी दिया जाने का कारक संधारित किया जा सकता है,
कुछ समय पहले रायपुर की एक बाहुबली लोहा व्यापारी की
फर्म में करोड़ों के घोटाले उजागर हुए थे जिसका एक्सिस बैंक में अकाउंट नंबर भी फ्रीज़ करने
का लेटर जारी किया गया था परंतु वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त संचालक मरावी के
नेतृत्व में उस बैंक अकाउंट के अटैचमेंट की कार्यवाही को होने के बाद भी निरस्त
किया गया जिसमें करोड़ों के बकायेदारों से लोहा व्यापारी से आज तक 10 रुपैया
नहीं वसूल पाए
इस विभाग में किसी भी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कभी
कोई कार्यवाही नहीं होती है और ना ही उसका तबादला होता है एक यही सुरक्षा गार्ड
इनके साथ हमेशा से काम कर रहा है जो ऊपर से नीचे तक लेनदेन के मामले में इनके साथ
रहता है आज कई वर्षों से यह सारे अधिकारी यहां पर पदस्थ हैं बस इसी के चलते अवैध
धंधा करने वाले व्यापारियों और दलालों के साथ उनके अच्छे संबंध हैं जो राजस्व हित
में बहुत बड़ा घोटाला कर रहे हैं
क्या होता है रेड
कार्यवाही में
जबलपुर महानंदा में साईं सन आउटसोर्सिंग प्राइवेट
लिमिटेड फर्म पर सेंट्रल जीएसटी ने रेड मारकर कार्यवाही की थी जिसमें ₹27 करोड़ की फिक्स
कर चोरी पकड़ी गई थी और उसके मालिक को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था ,
एक मामला सिवनी का है जिसमें नव शक्ति इंटरप्राइजेज
के दीपेश तिवारी आज भी फरार चल रहे हैं और उसका अशोक खन्ना अकाउंटेंट आज भी जेल में
सजा काट रहा है
पर स्पेशल-26 रेड में ऐसा कुछ भी नहीं मिलेगा
क्योंकि यहां पर रेड मारने वाले पहले से सोच समझ कर गए हैं यह क्या-क्या देखना है
और क्या-क्या नहीं देखना है भारतीय लोकतंत्र में मौके पर जांच करने वाले अधिकारी
के पूरे हाथ खुले रहते हैं वह जिसे चाहे आरोपी बना दे वह जिसे चाहे छोड़ दे, क्योंकि उसकी रिपोर्ट को प्राथमिकता से सुना जाता है, और देखा जाता है और उसके ऊपर का अधिकारी भी उसका
विरोध इसलिए नहीं करता क्योंकि उसके पास ग्राउंड पर काम करने के सीधे अधिकार नहीं
होते हैं ,जब तक कि भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस शिकायत और
वर्चस्व धारी व्यक्ति के द्वारा प्रस्तुत की गई ना हो,
इस फर्जी रेड में कोई कर की चोरी ना ही, न कोई अवैध अनियमितताएं इन्हें मिलेंगी क्योंकि शुरू
से ही कार्यालय से निकलने से पहले धृतराष्ट्र के भांति बिना इमांन के औपचारिक
कार्रवाईया स्पेशल-26 के तर्ज पर कुछ भी नहीं करेंगे, परंतु इसकी एक प्रति और शिकायतकर्ता ने
सेंट्रल जीएसटी को और प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स भोपाल को और
महानिदेशक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को तथा लोकायुक्त महोदय को
भेजी जा रही है,
ताकि इस करोड़ों की घोटालेबाज फर्मों के पिछले साल
के भाग के तथा इनकम टैक्स के 8 साल के रिकॉर्ड निकालें जा सके
जिसमें कम से कम 1000 करोड़
से ऊपर के घोटाले निकलेंगे, जो
इनके बैंक अकाउंट से लिंक है क कॉरपोरेट अकाउंट खाते, शहर से बाहर प्राइवेट बैंकों में खोले गए हैं फर्जी
ठेके,
कर चोरी, इनपुट
टैक्स रिबेट,
खर्चे अवैध, प्राप्तिया
और निकासी ट्रेस हो सकेगी
यूं तो वाणिज्य कर विभाग कहने को पिछले 15 सालों से
ऑनलाइन काम कर रहा है परंतु जब भी फर्जी
या पैसे के लिए कोई काम करना होता है मैनुअल तरीके से तो सारे काम
आवक जावक डिस्पैच रजिस्टर सब गायब कर दिए जाते हैं बदल दिए जाते हैं तारीख के छोड़
दी जाती हैं भर दी जाती है कुछ का कुछ लिख दिया जाता है
कमलनाथ को ले डूबेंगे वित्त मंत्री, वाणिज्यिक कर बना दलाली का अड्डा, पैसा दो काम करवा लो, एक उपायुक्त को हो चुकी 5 साल की जेल, दुसरे को बचाने में लगे मंत्री,
Congress
CM के रहते भी भ्रष्ट उपायुक्त नारायण
मिश्र कों मिल रहा संरक्षण, वित्त मंत्रालय का आयुक्त मुख्य
आरोपी
कलेक्टर जांच प्रतिवेदन पर रुका है, शासन के घोटालेबाज नारायण मिश्रा का निलंबन वाणिज्य कर विभाग जबलपुर
https://www.newsvisionindia.tv/2018/12/dm-jbp-div-jbp-mpctd-dc-defualetr.html
रिश्वतखोर उपायुक्त वाणिज्यिक कर ओ पी वर्मा को 5 साल का कारावास,
https://www.newsvisionindia.tv/2018/07/mpctd-defaulter-dc-opverma-narayanmishra.html
हराम की टैक्स वसूलने नियुक्त डिफाल्टर उप-आयुक्त वाणिज्यिक कर नारायण मिश्र ले रहा फ़ोकट की पगार, सूट बूट पहन नियुक्त है सफेद कालाबाजारी
https://www.newsvisionindia.tv/2018/11/defaulter-dc-narayan-mishra-mpctd.html
राज्य के गद्दारों को IAS पवन कुमार शर्मा का संरक्षण, वाणिज्यिक कर विभाग के घोटालों में रिश्वत की गन्दगी ने पकड़ा जोर
https://www.newsvisionindia.tv/2018/12/mp-state-culprits-gettign-relief-dc-defaulter-narayan-mishra.html
Jabalpur Collector Failed To Submit Report On The Scam,
https://www.newsvisionindia.tv/2019/01/jabalpur-collector-failed-to-submit.html
Defaulter Dy. Commissioner Narayan Mishra has got security, from a senior official, Game of Collusion on the amount of scam
https://www.newsvisionindia.tv/2018/05/mpctd-dc-defaulter-narayan-mishra.html
जबलपुर पुलिस सावधानी बरते तो करोडो की कर चोरी पकड़ में आयेगी, थाना प्रभारी ही जांच कर सकते है,
https://www.newsvisionindia.tv/2018/09/jabalpur-police-ko-handle-karna.html