वाणिज्यिक कर आयुक्त कार्यालय इंदौर में हो रहे भ्रष्टाचार ( करोड़ो का घाटा हो रहा राज्य सरकार हो हर वर्ष ) पर बड़ा खुलासा जल्दी : जाँच जारी
उपायुक्त कार्यालय जबलपुर संभाग क्र 1 में पदस्त नारायण मिश्र की करोड़ो की संपत्ति पर जल्द खुलासा होगा ,
खुद के और बेटे के नाम पर खरीदी है संपत्तिया, जाँच जारी
कार्यालय उपायुक्त की कुर्सी पर हक़ से बैठ रहे है, लूटने
बेचने का मिला है अधिकार, भ्रष्टाचारी पर
आयुक्त राघवेन्द्र सिंह इंदौर कार्यालय में आंखे मूंदे बैठे देख रहे,
शिकायत कर दी है दरकिनार , अगली कार्यवाही की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव पर निर्भर
करती है, जिनसे उनके कार्यालय में अंतिम चर्चा उपरान्त
सभी प्रमाणिक दस्तावेज माध्यम मेल के सुपुर्द किये गए है, अब
इस भ्रष्टाचारी पर शिकंजा कसना लगभग तय है, साथ ही
प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति हेतु अधीनीयम अनुसार आवेदन दायर है, अधिकारी ना ही सही, आवेदक ही दर्ज करावा
सके प्रकरण. भ्रष्टाचार से सम्बंधित यह
प्रकरण भारतीय दंड विधान की धारा 467, 468, 471, व्
भ्रष्टाचार प्रतिषेद अधीनीयम की धारा 13-1-डी, 13-2 के तहत दर्ज होने की सम्भावना शुरुवाती जाँच में है, जिसके प्रमाण जुटाने में वर्तमान सहा आयुक्त वाणिज्यिक कर वृत्त 2 को आवेदन दिया गया है, कार्यवाही जारी है, दस्तावेज मिलते ही प्रकरण दर्ज होगा,
संपूर्ण विश्व में
चरित्रहीनता में सबसे घिनौना अगर कोई व्यवसाय है जो समूचे मानव समाज को शर्मिंदगी
का एहसास दिलाता है वह है “वैश्यावृत्ति’
ठीक उसी प्रकार की समतुल्य जीवनशैली होती है उस भ्रष्ट अधिकारी की
जिसने बेरोजगारी का जीवन काटते समय बतौर पब्लिक सर्वेंट पूरी कर्तव्य निष्ठा और
ईमानदारी के साथ जनहित में और लोकहित में काम करने की शपथ ली हुई होती है और उसके
बाद वह पूरे समाज को शर्मिंदगी का एहसास उसी वेश्यावृत्ति के अंदाज में रिश्वत
खाकर और अपने विरासत में पाई हुई दुकान समझकर उस कार्यालय को अपनी व्यक्तिगत
अय्याशियां पूरी करने के लिए अपने हिसाब से संचालित करता है
अपने अधिकारों के दुरुपयोग की पराकाष्ठा को पार कर चुके इन अधिकारी
के विरुद्ध किन शब्दों में और क्या तारीफ करनी चाहिए यह आज के कवियों की भी
काबिलियत के परे है, फ़िलहाल भ्रष्टाचार से सम्बंधित हर वरिष्ठ अधिकारी
को शिकायत मंत्रालय में प्रस्तुत कर दी गयी है, कार्यवाही की
जारी है, जिस प्रकार होली
और दिवाली के समय पुलिस विशेष मुहिम के तहत अपराधियों को और टुच्चो को शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु
केंद्रीय कारागार में बंद कर देती है ठीक उसी प्रकार एक मुहिम की आवश्यकता है इस
प्रकार के धुर अपराधियों पर कार्यवाही करने की
अधीनस्त पब्लिक इनफार्मेशन
अधिकारीयों पर बना रहा है अनावश्यक दबाव, भ्रष्टाचार
सम्बन्धी जानकारी देने से रोके जाने के खुलकर प्रयास
जारी है, बिना किसी
पर्याप्त आधार के सूचना अधिकार 2005 के आवेदन खुद भी कर रहा है ख़ारिज और अधीनस्तो को भी
दबाव बनाया जा कार करवा रहा है ख़ारिज,
पहले खुद के
कार्यालय से सम्बंधित जानकारी के आवेदन अन्य अधिकारियो को हस्तांतरित कर देता है,
जिससे ये भ्रष्ट उपायुक्त खुद के कार्यालय अंतर्गत जानकारी प्रदान
करने की जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करता है, फिर उसी
प्रकरण की अपील खुद ख़ारिज करने जैसी भूमिका बनाता है, जिसकी
अपील इंदौर स्थित प्रथम लोक सूचना अधिकारी के समक्ष होनी चाहिए, उसकी अपील खुद सुनने की भूमिका बनाने में बारम्बार प्रयासरत है खैर इसकी
शिकायत लोक सूचना आयोग आयुक्त महोदय को भी की गयी है, भ्रष्टाचार
की इस कड़ी में नए नए अधिकारी जुड़ते चले जा रहे है, विरासत
में प्राप्त की गयी दूकान को अधिकारिक रूप से संचालित करने में पारंगत हो चुके है भ्रष्ट उपायुक्त नारायण मिश्र, पर अब शेष रह गया है स्वागत, निलंबन आदेश का,
अब इस बेशर्मी की कीमत व्यापारी और समाज कब तक चुकाएगा देखना शेष है, अंग्रेज चले गए, लूटेरे
यही छोड़ गए,
मजाक बन गया वाणिज्य कर विभाग का उपायुक्त
कार्यालय, भ्रष्टाचार
का सीधा मतलब है वाणिज्यिक कर विभाग, और जहा पर नारायण मिश्र जैसा लापरवाह, भ्रष्टाचार पारंगत उपायुक्त पदस्त हो तो फिर
उस विभाग की छवि कितनी ख़राब हो सकती है, जिसका सीमांकन संभव
नही, आम
जनता व्यापारियो पर कार्यवाही पूरे नियम और समय के साथ होती है, जब खुद अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते है, तो
सबको सांप सूंघ जाता है, इस भ्रष्ट अधिकारी के द्वारा संस्थापन पंजी, निर्वर्तन पंजी टेबल डायरी, कुछ भी समय पर संधारित नही किया जाता है, फिर भी
आयुक्त ने खुली छूट देके रखी है, प्रमुख सचिव अन्य कार्यो में व्यस्त है
व्यापारियों के आवेदक देखते भी नही, भ्रष्टाचारियो के रिप्लाई तुरंत स्वीकार कर
लिए जाते है, गजब का भ्रष्टाचार है,
वाणिज्यिक कर विभाग संभाग क्रमांक 1 का उपायुक्त नारायण मिश्रा वर्तमान
में जबलपुर में इसके द्वारा किए जा रहे हो भ्रष्टाचार पर लगातार जांच जारी है जिस
में आए दिन नए नए खुलासे होते नजर आ रहे हैं हाल ही में पिछले महीने सूचना अधिकार
2005 के तहत दायर आवेदन में उनके कार्यालय में नियमित रूप से विभागीय स्तर पर किए
जाने वाले कार्यों की जानकारी हेतु आवेदन दायर किया गया था जिसमें की नारायण मिश्रा से जानकारी मांगी गई
थी उनके कार्यालय में कितने ऐसे प्रकरण है जो वर्ष 2011-12
से लेकर के 2015-16 तक प्रकरणों का निर्धारण आदेश पारित करने हेतु आवंटित किए गए थे और इन प्रकरणों को निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार और आयुक्त वाणिज्यकर के
द्वारा निर्धारित की गई अवधि से संबंधित जारी की गई अधिसूचना के अंतर्गत प्रकरणों
का निराकरण किया गया है कि नहीं यह जानकारी की अपेक्षा की गई थी,
इस विभाग में पिछले 12 सालों से कर निर्धारण के संबंधित नोटिस ऑनलाइन जारी
किए जाते हैं साथ ही उनका निराकरण भी ऑनलाइन किया जाता है, यह
सभी आदेश ऑनलाइन अपलोड किए जाते हैं इस व्यवस्था
के होने के बावजूद इस अधिकारी के द्वारा मैनुअल रूप से आदेश पारित किए जाते रहे
हैं जिसके पुष्टिकरण हेतु यह सूचना अधिकार के तहत आवेदन दायर किया गया था जिसको
बड़ी निर्लज्जता और बेशर्मी के साथ इस (नारायण
मिश्रा ) अधिकारी महोदय के द्वारा खारिज किया गया आवेदन
खारिज करने में इतने मजाकिया है जिससे भृत्य सामान इनकी योग्यता उभरकर कर सामने आ
रही है और बड़ी विडंबना है जबलपुर नगर के व्यवसाइयों के लिए कि ऐसे अयोग्य भ्रष्ट
अधिकारी को बतौर उपायुक्त शासन के द्वारा जनता पर
थोपा गया है,
पिछले 5 सालों से लगातार यही भ्रष्ट अधिकारी जबलपुर संभाग क्रमांक 1
में पदस्थ है ट्रांसफर नीति के विरुद्ध इसे भ्रष्टाचार करने हेतु लगातार शासन के
द्वारा बल दिया जा रहा है आम जनता के पास इस भ्रष्ट अधिकारी के संबंध में
कार्यवाही करने के कोई सीधे अधिकार मौजूद नहीं है उल्टा अधिनियमित संरक्षण में
भ्रष्टाचार करने के लिए इस के हौसले बुलंद हैं और जनता सहने के लिए मजबूर है,
एक श्वान भी अपने मालिक का वफादार होता है, इनकी बराबरी उनसे भी नही की जा सकती, जो विभाग से
पगार तो ले रहे है, परन्तु सिर्फ अपनी व्यक्तिगत जीवन सुखमय
जीने के लिए, हाल ही में निविदा जरी की गयी है, जबलपुर सम्भाग क्र 1 एवं 2 में नए वाहन किराये पर लेने हेतु, जी पर अधिकारिक रूप से विभागीय कार्य कम, अय्याशी का
साधन ज्यादा बन जाते है ये वाहन, और पैसा देती है सरकार
इस तरह का भ्रष्ट अधिकारी का ना ही कोई समाज होता है ना ही कोई सेल्फ
रिस्पेक्ट जो केवल समाज का शोषण करने हेतु जनता पर थोपा गया है बलात्कारियों पर
कार्यवाही करने हेतु शासन सख्त है पर इस तरह के शोषण करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों
पर शासन नर्म है
इन सभी अवधियों से संबंधित निर्धारित किए गए प्रकरणों के आदेशों में
संधारित की गई डिस्पोजल सूची की जानकारी अगले आवेदन में अपेक्षित की गई है जिसमें
संभावना तो हो सकती है कि इन सभी प्रकरणों का निराकरण निर्धारित समय अवधि में किया
जा कर शासकीय दस्तावेजों में संधारित किया गया होगा परंतु यह सभी जानकारियां तबही
स्पष्ट हो पाएंगी जब यह ईमानदार अधिकारी अपने ईमानदार होने का प्रमाण बतौर पूरी
जानकारी देकर साबित कर सके, जो इनके रक्त
में नही,
वाणिज्यिक कर विभाग के आयुक्त के द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई थी आज
से 5 वर्ष पहले जिसमें यह कहा गया था कि रिटायर कर्मचारियों का कार्यालय परिसर में
प्रवेश निषेध होगा बावजूद उसके इस आदेश की अवमानना करते हुए इस भ्रष्ट अधिकारी
नारायण मिश्र के द्वारा रिटायर कर्मचारियों से उन्हीं की हैंडराइटिंग में पुराने
लंबित कार्य संधारित किए जा रहे हैं जिससे यह हो चुके भ्रष्टाचार को नियंत्रित
करने का एक प्रयास है
जबलपुर संभाग के अंतर्गत कई ऐसी प्राइवेट लिमिटेड तथा लिमिटेड
कंपनियां पंजीकृत हैं जिनके टर्नओवर हजारों
करोड़ के आसपास होते हैं जिनके द्वारा कर का भुगतान
अनियमित रूप से किया जाता है तथा आंशिक अवैधानिक भी
होता है इन सभी लंबित प्रकरणों के असेसमेंट निर्धारित अवधि के अंतर्गत असेसमेंट हो जाना चाहिए और कर की गणना है तथा आगत कर दावा
और टीडीएस सर्टिफिकेट का मिलान असेसमेंट के समय किया जाना उपायुक्त क्रमांक 1
जबलपुर के द्वारा किया जाना है जो की एक सामान्य प्रक्रिया है जो की जा रही भी है
कि नहीं सही समय पर इसकी कोई जानकारी नहीं रखता ना ही इनके द्वारा सूचना अधिकार के
तहत चाहे जाने पर इनके द्वारा दी जाती है, भ्रष्टाचार का सीधा मतलब है वाणिज्यिक कर विभाग,
फिलहाल भारत देश बड़े-बड़े बैंक होटलों से जूझ रहा है अगर एक नजर इस
तरफ भी डाली जाए तो राज्य शासन को करोड़ों रुपए की क्षति कारित करने वाले ऐसे
भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक और दंडात्मक कार्यवाही की जा सकेगी और
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने हेतु बड़ी कारगर साबित होगी.
फिलहाल आवेदक के आवेदन पर इनके द्वारा जो जानकारियां नहीं दी गई हैं
उनकी अगली बार की जा रही है और स्पष्ट जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा
है
पूर्व में निलंबित वाणिज्यिक कर उपायुक्त ओम प्रकाश
वर्मा के सम्बन्ध में प्रकाशित खबरे जिसने विभाग पर भ्रष्टाचार का प्रकाश डाला और
निलंबित हुआ
1. पैसा दो न्याय लो, वाणिज्यिक कर विभाग जबलपुर में बिना लेनदेन के कोई काम नहीं
2. वाणिज्यिक कर विभाग के ओ. पी. वर्मा उर्फ़ ओमप्रकाश का एक और केस सामने आया
3. वाणिज्यिक कर उपायुक्त ओ. पी. वर्मा, उर्फ़ ओमप्रकाश, अंततः निलंबित
4. न्याय विक्रेता
निलंबित उपायुक्त पर
कार्यवाही लंबित वाणिज्यिक
कर विभाग
मध्य प्रदेश
5. रोग
मुक्त हुआ विभाग, भ्रष्टाचारी
सेवा से निवृत्त
हुआ, निलंबन काल में
वर्तमान में एक नया भ्रष्टाचारी वाणिज्यिक कर विभाग में उभर कर सामने आया है, जिसका नाम है नारायण मिश्र, जिसने करोडो के 49 फॉर्म बेच डाले
नाम
के नारायण , काम के भस्मासुर
1.
50
करोड़ का घोटाला, वाणिज्य कर विभाग का फार्म-49 घोटाला, जबलपुर मध्य प्रदेश
http://www.newsvisionindia.tv/2018/02/mpctd-fraud-50-crore-jabalpur-narayan-mishra-dc-defaulter.html
2.
घोटालेबाज उपायुक्त "नारायण मिश्र" पर कार्यवाही शुरू, वाणिज्यिक कर विभाग, मध्य प्रदेश
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